मंगलवार, 13 नवंबर 2007

बेदखल की डायरी

पिछले दिनों आप ने वेब दुनिया में हुई मेरी चर्चा के बारे में देखा होगा। मुझसे पहले भी जिन चिट्ठाकारों की चर्चा की गई आज मुझे उनके लिंक प्राप्त हो गए मनीषा के माध्यम से। ये चर्चाएं मनीषा ने ही कलमबद्ध की हैं। आज इन कड़ियों को उपलब्ध कराने के अलावा मेरा मक़सद आप को मनीषा के ब्लॉग से रूबरू करवाना भी है।

मनीषा पाण्डेय स्वतंत्र मानस की एक मेधावी लड़की हैं। वैसे तो वे इलाहाबाद से तअल्लुक रखती हैं पर मेरा उनसे परिचय मुम्बई का है, जब वे यहाँ पर उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही थीं। उस दौरान ही उन्होने तमाम किताबों के अनुवाद को अंजाम दे डाला। फ़िलहाल वे इन्दौर में रहते हुए वेबदुनिया से सम्बद्ध हैं।

उनकी दिलचस्प डायरी पहले मोहल्ला पर शाया होती रही है.. अब से यह उन के खुद के ब्लॉग पर नियमित देखी जा सकेगी.. बेदखल की डायरी के नाम से.. जो इस धरती से बेदखल आधी आबादी के लिए लिखी जा रही है.. पर उसे पढ़ने का हक़ पूरी आबादी को प्राप्त है.. जिसमें आप भी शामिल हैं.. ज़रूर पढ़े मनीषा को और उनका उत्साह वर्धन भी करें.. उनके लेखन से मेरी बड़ी उम्मीदें हैं..

वेबदुनिया में ब्लॉग चर्चाओं के पुराने लिंक..
(इसमें से शुरुआती तीन, यूनुस खान, रवि रतलामी और पंकज पराशर वाले मनीषा की बीमारी के दौरान किसी और ने लिखे हैं। बाकी के उन्होने ही लिखे हैं)

यूनुस खान

रवि रतलामी

पंकज पराशर

उदय प्रकाश

प्रत्‍यक्षा

रवीश कुमार

ज्ञानदत्‍त पांडेय

अनिल रघुराज

अभय तिवारी


अगली चर्चा फ़ुरसतिया पर है.. ऐसी सूचना मिली है..

7 टिप्‍पणियां:

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

मनीषा को पढ़ना चाहूंगा। पर, मुहल्ला पर मैं जाता नहीं। और न जाने का अफसोस नहीं है।

अनिल रघुराज ने कहा…

मनीषा जैसे सच्चे इंसान को जानना अच्छा रहेगा।

Bhupen ने कहा…

मैं मनीषा की दुनिया में होकर लौट आया हूं.

Tarun ने कहा…

आपके ब्लोग की चर्चा पढ़ी थी और मनीषा के लिये और आपके ब्लोग के लिये कमेंट भी छोड़ा था वेबदुनिया में, आशा है उन्हें मिल ही गया होगा।

Sanjeet Tripathi ने कहा…

शुक्रिया मनीषा जी से परिचय करवाने के लिए!!

मोहल्ले पर उनकी डायरी के कुछेक पन्ने पढ़ने के बाद से ही लगा था कि इन मोहतरमा को और पढ़ना ही है! पर तब इनके अपने ब्लॉग का पता ठिकाना मालूम ही नही था!!

आज रवि रतलामी जी की पोस्ट के माध्यम से इनके ब्लॉग पर जाना हुआ!! इनके लेखन का अंदाज़ बड़ा दिलचस्प है!!

फ़ुरसतिया जी को बधाई!!

अनूप शुक्ल ने कहा…

बढ़िया है। मनीषाजी का लेखन नियमित सा होने लगा यह बड़ी अच्छी बात है। लेखन का अंदाज उनका खास है। उनके हास्टल के विवरण मुझे अभी भी याद हैं। मैंने उनसे कहा भी बड़े बीहड़ सौंदर्य चेतना वाले चित्र हैं। :)

मनीषा पांडे ने कहा…

बेदखल की डायरी से लोगों को परिचित कराने के लिए शुक्रिया। और जिन लोगों ने यहां टिप्‍पणियां दी हैं, उनका भी शुक्रिया। मैं बस इतना ही कहूंगी कि अभय ने कुछ ज्‍यादा ही तारीफ कर दी है। ऐसा है नहीं। इतनी उम्‍मीदें मत पालिएगा। फिर भी कोशिश करूंगी कि जितना और जैसा जीवन अब तक देखा है मैंने, उसकी एक ईमानदार और पारदर्शी तस्‍वीर पेश कर सकूं।

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...