सोमवार, 19 नवंबर 2007

वार मेड ईज़ी

हाल ही में प्रदर्शित हॉलीवुड की फ़िल्म लायन्स फ़ॉर लैम्ब्स अफ़ग़ानिस्तान और इराक़ में अमरीका के खूनी खेल का पर्दाफ़ाश करती है, शेष दुनिया के नज़रिये से नहीं.. खुद अमरीकी नज़रिये से। कि किस तरह अमरीकी सियासतदां और अमरीकी मीडिया मिलकर अमरीकी जनता की आँखों में धूल झोंकते रहे और मासूम अमरीकी नौजवानों को मौत के मुँह में धकेलते रहे। इस फ़िल्म को मुख्यधारा के समीक्षकों ने बहुत पसन्द नहीं किया और अतिवाम झुकाव से पीड़ित बताया.. स्वाभाविक है ऐसा लिखना उनकी मजबूरी है.. इस फ़िल्म की राजनीति का समर्थन करना उनकी छिपी राजनीति के खिलाफ़ है। फ़िल्म के निर्देशक राबर्ट रेडफ़ोर्ड मुख्यधारा के एक बड़े अभिनेता रहे हैं जो अपने देश के निरन्तर युद्धघोष और उसकी अमानवीयता से तंग आ चुके हैं। मौका मिले तो ज़रूर देखिये यह फ़िल्म!

इसी साल अमरीकी सिनेमा घरों में एक डॉक्यूमेन्टरी भी प्रदर्शित हुई –वार मेड ईज़ी जो पिछले पचास साल से एक के बाद एक हर अमरीकी सरकार के उस धोखेबाज़ और फ़रेबी व्यवहार का जायज़ा लेती है जिसके तहत वे अपनी जनता को वियतनाम से इराक़ तक एक के बाद दूसरे युद्ध के लिए उकसाते रहे हैं.. इस फ़िल्म को देख कर एक दर्शक की यह प्रतिक्रिया हुई.. जो उसने IMDB की साइट पर दर्ज की है..

Feel Your Blood Boil.. That's exactly how I felt after walking out at the end of this gripping, but short documentary (only about 75 minutes). I was riveted to the screen from start to finish. I thought to myself, "I'm so glad I didn't vote for the Fourth Reich (i.e. The Bush Administration)either in 2000, or 2004 (not that voting mattered much, as I'm sure the voting machines were rigged so that Fuhrer George II came out on top both times). ... there is still a chance for you to see this important document on how our (alleged)leaders are flushing our country down the proverbial toilet.

फ़िल्म तो मैं ने नहीं देखी है पर उसका एक दो मिनट का ट्रेलर मिला है.. वह भी देखने योग्य है..

3 टिप्‍पणियां:

Yunus Khan ने कहा…

अभय भाई पिछले शुक्रवार से ही इस फिल्‍म को देखने की योजनाएं बन और बिगड़ रही हैं । कमबख्‍त बहुत दूर दूर के थियेटरों में लगी है । अब तो जल्‍दी से जल्‍दी ही देख लिया जायेगा ।

अनुनाद सिंह ने कहा…

आप भी हद करते हैं। अपने देश में ही कामरेड अपने ही लोगों से उससे बुरा बर्ताव कर रहे हैं और आप हैं कि अमेरिका के पीछे पड़े हैं। जरा नन्दीग्राम की तरफ भी कभी देख लीजिये।

अभय तिवारी ने कहा…

प्रिय अनुनाद .. मेरे आर्काइव पर नज़र डालो तुम्हारी शिकायत दूर हो जाएगी.. दो पोस्ट मिलेंगी इसी माह में..

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