बुधवार, 28 नवंबर 2007

आई आई टी से निकला ब्लॉग बुद्धि

कुछ रोज़ पहले युनुस का मेल आया कि रांची से मनीष कुमार आये हैं और आई आई टी में ठहरे हैं जो विकास का अपना शिक्षा संस्थान है। पिछली बार जब अनूप जी आए थे तो बाद में विकास ने मेल लिख कर शिकायत की थी कि हम उसे भूल गए.. ये हमें याद था। और विकास के द्वारा हमें याद रखा गया जबकि भूल तो हम अनीताजी को भी गए थे.. ऐसा उन्होने बताया और ये भी बताया कि हम ने उनकी मेल का जवाब न देने की बदतमीज़ी भी की थी। मैं भूल जाता हूँ पर सच में कुछ गड़बड़ हुई थी.. मैंने अनीता जी को यक़ीन दिलाया.. मेल मुझे नहीं मिला था। मुझे शर्मिन्दा होते देख उन्होने मुस्कुरा के हमारी बात पर यक़ीन कर लिया।

माफ़ी चाहता हूँ बात शुरु होते ही बीच में चली गई। क्रम से बताता हूँ । कल शाम यानी बुधवार २७ नवम्बर को सात बजे से आई आई टी के सुरम्य प्रांगण में एक ब्लॉगर मिलन सम्पन्न हुआ। इस में शामिल होने वाले थे मेज़बान मनीष (जो स्वयं मुम्बई के मेहमान हैं) और विकास के अलावा अनीता कुमार, अनिल रघुराज, विमल वर्मा, प्रमोद सिंह, युनुस खान और मैं।
बातचीत का कोई एजेण्डा नहीं था बात एक दूसरे के परिचय से लेकर ब्लॉग जगत के ज्वलन्त सवालों तक यहाँ से वहाँ झूलती रही। सबसे पहले तो विकास और मनीष के प्रमोद जी को देखते ही भयाकुल हो जाने की चर्चा बड़ी देर तक हमारे कौतूहूल का विषय बनी रही। उन्हे स्वप्न में भी उम्मीद नहीं थी कि प्रमोद भाई अपने साहचर्य से उन्हे उपकृत करेंगे। और हमें रह-रह कर गर्व की एक अनोखी अनुभूति होती रही कि न सिर्फ़ हम इस साहचर्य का मुफ़्त सेवन हर दूसरे-तीसरे रोज़ करते हैं बल्कि हम प्रमोद जी की डाँट-फटकार का सामना पूरे अभय होकर करते हैं।

इसी निर्मल-आनन्द के बीच अनीता जी ने विकास को प्यार से झिड़का कि कुछ काम क्यूं नहीं करता और तुरन्त आज्ञाकारी बालक की तरह विकास ने अनीता जी के लाए नाश्ते/मिठाई को हम सब के हाथ में धकेल दिया। हम उन्हे इस को धन्यवाद दे रहे थे मगर उन्होने इसे अपने महिला होने का विशेषाधिकार कह कर टाल दिया।
वैसे तो वरिष्ठता के लिहाज़ से अनीता जी को सबसे सीनियर सभी मान रहे थे.. मगर उन्होने सब से उमर पूछ कर यह इति सिद्धम भी कर दिया। और मनीष ने सबको परोक्ष रूप से याद दिलाया कि उमर में हम से ज़रूर छोटे हों पर वरिष्ठता क्रम में ब्लॉगजगत पर आलोक जी से टक्कर लेने का भ्रम भी पैदा कर सकते हैं, ऐसा उन्होने अपनी ब्लॉगयात्रा का इतिहास बताते हुए कई बार ९८ का ज़िक्र करके सिद्ध कर दिया। (विन्डोज़ ९८ जिसे हम १९९८ समझ रहे थे)

(जिन्हे स्माइली की कमी महसूस हो रही हो वे कल्पना से यहाँ वहाँ टाँकते हुए चलें और जो खुले और छिपे रूप से स्माइली से चिढ़ते हैं वे देख सकते हैं कि उन्हे आहत करने योग्य यहाँ कुछ भी नहीं है!)

(तस्वीर में बाएं से दाएं: मनीष, अनिल भाई, युनुस, विमल भाई, विकास, प्रमोद भाई और कुर्सी पर अनीता जी)

तरल और सरल बातें तो बहुत हुईं पर एक ठोस बात ये हुई कि सभी ने अपनी तकनीकि कठिनाईयों का रोना रोते हुए पिछली ब्लॉगर मिलन में आशीष से की हुई गुज़ारिश और फ़रमाईश को याद किया। जिस पर विकास ने तपाक से इस काम को अपने दोनों हाथों से लूट लिया और देखिये उत्साही बालक ने काम शुरु भी कर दिया.. ब्लॉग बुद्धि नाम के इस ब्लॉग पर विकास पर अपने बुद्धि से जो विषय समझ आएंगे उस पर तो लिखेंगे ही साथ ही साथ आप सब की तकनीकि समस्याओं का समाधान भी करेंगे। आप को किसी भी प्रकार की तकनीकि तक्लीफ़ हो.. आप उन्हे मेल करें। वे हल मुहय्या करने की भरपूर कोशिश करेंगे ऐसा क़ौल है उनका..।

और हाँ विकास का नाम अंग्रेज़ी में Vikash लिखा ज़रूर जाता है.. पर पुकारने का नाम विकास ही है।

ये ब्लॉगर मिलन मेरे लिए इस लिए खास यूँ भी रहा कि मनीष ने बहुत कहने के बाद जब गाना नहीं गाया तो प्रमोद जी के कहने पर विमल भाई ने हमारे छात्र जीवन का एक क्रांतिकारी गीत गाया, मैंने और अनिल भाई ने साथियों की भूमिका ली। तन मन पुरानी स्मृतियों और अनुभूतियों से सराबोर हो गया। प्रमोद भाई को गाना याद था पर वे चुप रहे। बाद में उन्होने कहा कि उन्हे गाने के अनुवाद और धुन दोनों से शिकायत रही.. हमेशा से। आज जब विमल भाई ने इसे अपने ब्लॉग पर छापा तो मैंने ग़ौर किया कि तसले को बड़ी आसानी से थाली से बदला जा सकता है.. ह्म्म.. प्रमोद भाई की सटीक नज़र..

अनीता जी को दूर जाना था, उनसे फिर मिलने का वादा कर और विदा ले कर हम ने थोड़ा सा कुछ खाया-पिया और फिर चलने के पहले पवई झील के किनारे चाँदनी रात का कुछ लुत्फ़ उठाया!

19 टिप्‍पणियां:

Manish Kumar ने कहा…

Bhai bahut khoob vivran diya aapne.
kal shaam se raat kaise ho gayi ye pata hi nahin laga aur aaj bada khali khali lag raha hai.darasal agar waqt jyada nahin ho gaya hota to vimal bhai aur aap sab jis form mein aa gaye the mujhe yaqeen tha ki aap logon ke krantikari geeton ki kuch aur banagiyan sunne ko miltin.

Bahut anand aaya aap logon ke sanidhya mein. Meri is shaam ko yaadgaar banane ke liye aap sabhi ko dhanyawaad. Friday wale program mein koyi pragati ho to soochit karein.

Srijan Shilpi ने कहा…

ब्लॉग बुद्धि देख आए। विकास जी का परिचय आपसे जाना। उनका प्रयास और उत्साह काबिलेतारीफ है।

मुम्बई में हुई इस बैठक का यह सचित्र विवरण देखकर अच्छा लगा।

आगे कभी मुम्बई का प्रोग्राम बना तो इन साथियों से मिलने के लिए अलग से समय निकालूंगा।

Neeraj Rohilla ने कहा…

आई. आई. टी. के बालक का कमरा इतना साफ़? कुछ लोचा लग रहा है :-)

वैसे बढिया लगा इस ब्लागर मीट का आँखो देखा हाल पढकर ।

अनिल रघुराज ने कहा…

मैं भी ब्लॉग बुद्धि की झलक देख आया। अपार संभावनाएं हैं विकास में। ब्लॉग ने सचमुच एक नई दुनिया खोल दी है। कल के बिछुड़े एक नए बंधन में बंध रहे हैं। इसका नतीजा हम सबके लिए बेहद शुभ होगा।

अभय तिवारी ने कहा…

नहीं नीरज.. कमरा उस गेस्ट हाउस का है जिसमें मनीष ठहरे हुए हैं.. वे अपनी एक ट्रेनिंग के सिलसिले में यहाँ पधारे हैं..

Vikash ने कहा…

मेरे कमरे की हालत तो ना देखें तब ही ठीक है. ;)कल जितना आनंद आया उसका वर्णन असंभव है. आप लोगों से इसी तरह मिलते रह्ने की आशा है. आप लोगों की ही प्रेरणा से ब्लोग-बुध्दि प्रारंभ किया है. गलतियों को बालक की नादानी समझ क्षमा करने के लिये तैयार रहिये.

अब फ़टाफट सब अपनी अपनी आवश्यकतायें बताना प्रारम्भ करें. त्वरित जवाब के लिये यह फॉर्म प्रयोग मे लायें. http://blogbuddhi.blogspot.com/2007/11/blog-post_28.html

azdak ने कहा…

ओहो आहाआ हुआ, अच्‍छी बात है, मगर अब ब्‍लॉगबुद्धि और विकास को लपेटा जाये!

azdak ने कहा…

हां, नवी मुंबई से अनीता कुमार इतनी दूर पवई तक आयीं, उनके उत्‍साही दु:स्‍साहस को एक बार फिर नमन..

अनूप शुक्ल ने कहा…

बढि़या है समाचार। फोटॊ भी अच्छे हैं। लगता है अब एक बार फिर आन पड़ेगा मुंबई!

Sanjeet Tripathi ने कहा…

बढ़िया विवरण दिया आपने!!

ब्लॉग बुद्धि अच्छा लगा!! हम जैसे बहुतों को मदद मिलेगी उससे!!

मीनाक्षी ने कहा…

बैठक का सचित्र विवरण पढ़कर बहुत अच्छा लगा. अब हम निर्भय होकर मुम्बई आ सकते हैं इस विश्वास के साथ कि बहुत से अनदेखे मित्र अपने से लगने वाले वहाँ हैं.

Anita kumar ने कहा…

अभय जी आप सबसे मिल कर बहुत अच्छा लगा और तीन घटें कैसे गुजरे पता ही न चला। अब आप के विवरण को पढ़ कर लग रहा है कि अरे पवई झील के किनारे बैठ विमल भाई का गाना सुनने के लुत्फ़ से हम वंचित रह गये। बाकी कल लिखेगे

Pankaj Oudhia ने कहा…

बढिया लगा पर चित्र के नीचे यह लिखकर बताये कि कौन-कौन है। मुझे तो अनिल जी पहचान आये। ब्लाग मे दुबले से लगते है पर यहाँ तो भीमकाय दिख रहे है। वो लाल शर्ट वाले कौन है?

अभय तिवारी ने कहा…

पंकज जी.. देखिये आप का आदेश शिरोधार्य किया गया है.. अब तो आप पहचान ही लेंगे कि लाल शर्ट वाले कौन है?

Batangad ने कहा…

ब्लॉग बुद्धि बढ़िया है। लेकिन, मुझे जलन हो रही है कि इस बुद्धिचर्चा में मैं शामिल नहीं हो सका। ऐसे महती क्षण गुजारने का जा साथ में तरह-तरह के एंगल से फोटो भी ब्लॉग पर छपेगी ही। बहुत बढ़िया ये नया सामाजिक दायरा बन रहा है।

कंचन सिंह चौहान ने कहा…

मनीष जी के मुंबई जाने के बाद से ही खोज रही थी कि कहीँ तो मिले खबर कि हमारे गवाक्ष की प्रेरक पवन वहाँ कौन से गुल खिला रही है, आज जा के कुछ क्ल्यू मिला, धन्यवाद कई नए लोगों के विषय में भी जानकारी हुई। विकास जी का ब्लॉग बुद्धि ज़रा फुर्सत से देखेंगे।

काकेश ने कहा…

धांसू रही यह मिलन वार्ता भी. प्रमोद भाई को क्या हो गया.बड़े डरावने से लग रहे हैं और आपकी फोटो कहाँ है?

अजित वडनेरकर ने कहा…

अनिता जी का वृत्तांत भी पढ़ा और आपका भी बांचा और उसके बाद मैं और मेरी तनहाई.....
आप लोग मिलते रहें और हमें न मिल पाने की पीड़ा से उबारते रहें ...यूं ही लिख लिख कर ...शुक्रिया..

बोधिसत्व ने कहा…

सब तो ठीक है...यह दाढ़ी वाले सज्जन कौन हैं....और प्रमोद जी नहीं दिख रहे....वे कहाँ हैं...चित्र में कौन हैं....

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