रविवार, 21 अक्टूबर 2007

माँ के ब्लॉग-पते में परिवर्तन

हमारी ब्लॉग की दुनिया के साथियों ने तकनीक के बारे में सबसे ज़्यादा किसी से सीखा है तो रवि रतलामी जी से और श्रीश पण्डित से.. मैंने निजी रूप से श्रीश से ही.. आज भी वो मेरी मदद को स्वतः ही आगे आए.. मैंने कल मम्मी के ब्लॉग का पता अपनी मूर्खता में उनके ब्लॉग के शीर्षक को ही रख छोड़ा था.. http://jeevanjaisamainedekha.blogspot.com/ .. श्रीश ने अपनी प्रतिक्रिया में मेरी माँ के ब्लॉग पर खुशी ज़ाहिर तो की ही साथ-साथ एक सुझाव भी दे डाला..

तो मैंने जवाब में पूछा कि भाई ग़लती तो हो गई अब इसका कोई उपाय भी बताइये महाराज.. तो धड़ाक से उत्तर आया...

तो एक दिन के अन्तराल में ही मम्मी के ब्लॉग के पते में एक सुखद परिवर्तन हो गया है.. जिन मित्रों ने जीवन जैसा मैंने देखा को http://jeevanjaisamainedekha.blogspot.com/ के रूप में अपने ब्लॉगरोल में शामिल किया हो या अपने रीडर में सब्सक्राइब किया हो.. मेहरबानी कर के वे अब मम्मी के ब्लॉग के पते में आवश्यक बदलाव कर लें.. नया पता है आसानी से याद रहने वाला.. http://vimlatiwari.blogspot.com/

श्रीश पण्डित की जय हो..!!

5 टिप्‍पणियां:

ePandit ने कहा…

खुशी हुई कि मेरी राय आपके काम आई। ब्लॉग का नाम-पता कैसा रखा जाए, इस बारे एक लेख काफी समय से पैण्डिंग है।

Udan Tashtari ने कहा…

नोट कर लिया भाई.

श्रीश भाई और रवि जी का तो कितना आभार किया जाये, कम ही है.

हमसे तो कोई भी कुछ पूछता है तो हम तो तुरंत श्रीश भाई के पीछॆ लगा देते हैं और वो खुशी खुशी मदद करते चले जाते हैं. अब तो गिनती भी नहीं रही कि कितनों को उनके पास रवाना किया है. उनके बहाने हम नाम कमा लेते हैं. :)

Rajesh Roshan ने कहा…

मुझे टू माता जी का ब्लॉग देख कर बड़ा अच्छा लगा. इस ब्लोग्गिंग दुनिया में आदरणीय विमला जी का स्वागत. श्रीश जी के बारे में मैं क्या कहू. मुझे हिन्दी का मर्म समझाने वाले यही हैं.

Sagar Chand Nahar ने कहा…

जब हम किसी तकनीक को सीख लेते हैं,... मसलन चिट्ठाकारी के अटपटे तकनीकी प्रयोग, तो उन्हें दूसरों को सिखाने में जो मानसिक संतोष/ आनंद मिलता है, वह अपनी पोस्ट लिखने पर भी नहीं होता।
नया पता नोट कर लिया है।

बोधिसत्व ने कहा…

हमने कुछ भी नोट सोट नहीं किया है..हमें जरूरत होगी तो आपको तकलीफ दूँगा.....

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...