पिछले कुछ माह से जिस लघु फ़िल्म के निर्माण में व्यस्त था, आखिरकार वह सम्पन्न हुई। फ़िल्म की पटकथा मैंने पिछले बरस मई में ही लिख ली थी मगर शूटिंग दिसम्बर में मुमकिन हुई। तमाम दोस्तों और शुभचिन्तकों ने उदार मन से इस फ़िल्म के निर्माण में सहयोग किया, तब जा कर ये लघु फ़िल्म तैयार हो सकी। जनवरी और फ़रवरी माह फ़िल्म के पोस्ट-प्रोडक्शन में गए। अब यह फ़िल्म एक डी वी डी की शक़ल में एक स्वतंत्र अस्तित्व अख्तियार कर चुकी है। इरादा रखता हूँ कि अधिक से अधिक मंचो पर इस फ़िल्म का प्रदर्शन कर सकूँ।
दस से पन्द्रह मार्च तक मैं दिल्ली में हूँ; दिल्ली के मित्र अगर मेरे इस लघु प्रयास को अपना समय देंगे तो मुझे खुशी होगी।
फ़िल्म की अवधि है लगभग अठारह मिनट। कैमरा किया है सुधीर पलसाने ने और मुख्य कलाकार हैं प्रशान्त नारायनन, रचना शाह और गरिमा श्रीवास्तव।