शनिवार, 15 दिसंबर 2007

पूँजीवाद के पार जीवन

पूँजीवाद और उपभोक्तावाद के खिलाफ़ जनता की गोलबंदियों के एक नए मंच की जानकारी हुई आज.. फ़्रीगन्स। अंग्रेज़ी दैनिक डी एन ए में इस आन्दोलन के ऊपर एक लेख छपा है। मुख्यतः अमरीका के शहरों में मौजूद इन फ़्रीगन्स का नारा है ‘पूँजीवाद के पार जीवन’

बड़े-बड़े सुपर मार्केट और मॉल्स के कचरे में से काम की चीज़े निकाल लेने में विश्वास रखते हैं ये लोग। बाहर से देखने वालों को लग सकता है कि ये लोग कचरा बीनने वाली प्रजाति के नंगे-भूखे लोग हैं पर ऐसा है नहीं.. ये पढ़े-लिखे नई सोच से लैस नए ज़माने के लोग हैं.. आने वाला मानव इन से जीवन की सीख ले कर ही आगे बढ़ेगा.. ऐसा मेरा विश्वास है।

आप इस लिंक पर देख सकते हैं एक फ़्रीगन से साक्षात्कार..

5 टिप्‍पणियां:

चंद्रभूषण ने कहा…

ये सचमुच नैतिक लोग हैं..सच्चे अर्थों में नैतिक लोग, लेकिन अमेरिकी समाज जरूर-जरूर इनकी गिनती सनकियों में करता होगा। फ्रीगन्स के बारे में मैंने यहां पहली बार पढ़ा है लेकिन वेगन्स के बारे में सुना है कि अपने दायरे से बाहर उनका उठना-बैठना, शादी-ब्याह तक मुश्किल हो जाता है। अपरंपार रद्दी पैदा करते जाना इस कथित उपभोक्तावादी सभ्यता का आधार है। अपनी मेहनत की कमाई से खरीदी गई चीजों से छुटकारा पा लेने और नई के लिए दौड़ पड़ने की प्रवृत्ति से लड़ना और सेकंड हैंड चीजों के अधिक से अधिक उपयोग को प्रोत्साहित करना हर दृष्टि से नैतिक है, भले ही इसके लिए आपको अपने मित्र-परिचितों की हंसी का पात्र ही क्यों न बनना पड़े।

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

अच्छा है। आशा है यह मात्र फैड न हो - जीवन धारा हो। यह भारतीय अवधारणा - फ्रूगेलिटी या मितव्ययता नहीं है क्या?

Sanjay Tiwari ने कहा…

यह तो होगा ही. मनुष्य मात्र नैसर्गिक जीवन जीना चाहता है. यह तो कंपनियां हैं जो इंसान का जीवन फ्रेम में बांध देती हैं.

Reetesh Gupta ने कहा…

हर समय की तरह आपके ब्लाग पर आकर और एक अच्छा लेख पढ़कर अच्छा लगा ...बधाई

ab inconvenienti ने कहा…

मुझे यह देख कर ओशो रजनीश की भविष्यवाणी सही होती मालूम पड़ रही है की नैतिक और युटोपियन कम्युनिज्म अमेरिका जैसे देश में ही सम्भव होगा, जहाँ लोग यूज़ एंड थ्रो की भोगवादी जीवनशैली से ऊबकर स्वेच्छा से प्रकृति साथ जीने लगेंगे. निश्चय ही यह आन्दोलन बढेगा और हर विकसित पूंजीवादी देश में फैलेगा. पर एशिया और अफ्रीका में नहीं क्योंकि इन महाद्वीपों ने अभी तक उपभोग का स्वाद ही नहीं चखा तो उससे ऊबने की बात तो बहुत बाद की है.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...