रविवार, 24 फ़रवरी 2008

एक असहिष्णु नैतिकता

शाहरुख मेरे दोस्त नहीं हैं उलटे उनकी फ़िल्मों और उनमें उनके अभिनय से मैं काफ़ी पका रहता हूँ लेकिन उनकी इस बात में मैं उनके साथ हूँ कि उन्हे सिगरेट पीने से रोकने के लिए रामदौस को सिगरेट पीने मात्र को क़ानूनी तौर पर अवैध घोषित करना होगा। और वे स्कीन पर सिगरेट पियेंगे या नहीं पियेंगे, इसका फ़ैसला वे अपनी रचनात्मक आज़ादी के दायरे में खड़े होकर करेंगे।

मगर रामदौस को यह बात पसन्द नहीं आई.. उनका कहना है कि शाहरुख को रचनात्मक आज़ादी के बारे में आमिर खान से सीखना चाहिये कि किस तरह से 'तारे ज़मीन पर' उन्होने डाइसलेक्सिया से पीड़ित बच्चों के प्रति लोगों की मानसिकता को बदलने का काम किया है.. रचनात्मक आज़ादी ऐसी होनी चाहिये!

'ये होना चाहिये' वाली भाषा कुछ जानी पहचानी नहीं लग रही आप को..? मुझे तो इसी लाइन ने यह पोस्ट लिखने को प्रेरित किया है। एक तरफ़ हम लोग रचनात्मक आज़ादी और लोकतांत्रिक अधिकार जैसे शब्दों के इस्तेमाल से एक प्रगतिशीलता का आवरण बनाए रखते हैं मगर उसके भीतर-भीतर ही एक असहिष्णु नैतिकता के डण्डे से दूसरों की पिटाई करते रहते हैं।

दूसरों की.. क्योंकि दूसरा नरक होता है.. मगर दूसरे (अपने से भिन्न मत, धर्म, सेक्स, विचार, जाति वाले और शुद्ध दूसरा व्यक्ति भी) के साथ आप का बरताव कैसा है यही लोकतंत्र की असली कसौटी है। चुनाव में बहुमत जीतने वाली पार्टी की सरकार बन जाना नहीं.. बल्कि अल्पमत वाली पार्टी की असहमति का अधिकार सुरक्षित रहना।

7 टिप्‍पणियां:

मनीषा पांडे ने कहा…

हां अभय, सहिष्‍णुता और लोकतंत्र को सही संदर्भ में देखा आपने।

बालकिशन ने कहा…

अति सुंदर लेख और अच्छा तार्किक विश्लेषण.
अपन सहमत हैं.

वनमानुष ने कहा…

शाहरुख के मुंह से रचनात्मकता की बात सुन के वैसे ही हंसी निकल जाती है.मेरा ख़याल है कि आप रामदौस की बात को "डंडा" समझने की भूल कर रहे हैं. क्यों न इसे एक शुभचिंतक का सुझाव समझा जाए.आप कितना भी नकारें पर ये सच तो मानेंगे कि फिल्मों और क्रिकेट के दीवाने इस देश में "तथाकथित आदर्शों की नाटकीयता" अधिक तत्परता से स्वीकारी जाती है. और बात को तूल देने से क्या फायदा है.शाहरुख कौनसा रामदौस की बात संजीदगी से लेकर सिगरेट छोड़ने वाले हैं.

रामदौस खुद शायद "तारे ज़मीन पर" फिल्म का मर्म नहीं समझ पाए.शायद इसीलिए वे "रचनात्मक डिसलेक्सिया" से पीड़ित शाहरुख पर आमिर जैसा अच्छा कलाकार बनने के लिए दबाव डाल रहे हैं. :)

mamta ने कहा…

कम शब्दों मे ज्यादा अर्थपूर्ण बात।

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

बहुत बढिया , बहुत सुंदर लेख!

Anita kumar ने कहा…

सही बात

बेनामी ने कहा…

bahut khub..... agar aap ko azadi hai lekin mere izzat ke sath.... ye azadi to fir gulami kis bala ka naam hai....

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...