ये एक ऐसा अनोखा गीत है जो सचमुच निराला है.. जीवन के अन्तिम वर्षों में लिखा गया यह ध्वन्य गीत, निराला की मृत्यु के बाद सान्ध्य काकली में संकलित हुआ.. आनन्द लें..
ताक कमसिनवारि,
ताक कम सिनवारि,
ताक कम सिन वारि,
सिनवारि सिनवारि।
ता ककमसि नवारि,
ताक कमसि नवारि,
ताक कमसिन वारि,
कमसिन कमसिनवारि।
इरावनि समक कात्,
इरावनि सम ककात्,
इराव निसम ककात्,
सम ककात् सिनवारि।
4 टिप्पणियां:
निराला संगीत मर्मज्ञ भी थे।हर स्थिति में रहे होंगे।गुंडेचा बन्धुओं ने विविधभारती के 'संगीत-सरिता' कार्यक्रम में इसे ध्रुपद शैली में हाल ही में सुनाया था ।
निराला भविष्यदृष्टा भी थे.. देखिये रामविलास शर्मा क्या कहते हैं ताक कमसिनवारि के बारे में- "यह भी निराला की 'क्लासिकी' संगीत रचना है। डागर बंधुओं को ध्रुपद गाते सुना है आपने? पंक्ति एक, शब्द को उलट पलट कर कहने की दस तरकीबें....कमसिन शब्द का ध्यान देंगे तो 'ताक' क्रिया सार्थक हो जायेगी, क्लासिकी संगीत रचना को संगीत की तरह आप समझ सकेंगे।"
कतिपय आलोचकों ने जब इस गीत को ले कर निराला की मनोदशा पर सवाल खड़े किये और इसे मानसिक विकृति का लक्षण माना तब राम विलास जी ने इसकी तुलना हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन विशेषकर ध्रुपद गायन की शब्दों के उलटफेर और दुहराव वाली अनुपम शैली से करके इस गीत को नए और स्वस्थ परिप्रेक्ष्य में देखने का मार्ग प्रशस्त किया . रामविलास जी द्वारा सम्पादित निराला की कविताओं का छोटा-सा संकलन 'राग-विराग' हर हिंदीभाषी घर में ज़रूर होना चाहिए . हिंदी कविता के सौष्ठव,उसकी रागात्मकता तथा उसकी उत्कृष्टता के मानक के रूप में .
भाई अर्थ भी लिखें तो कुछ समझ में आए क्या होता है कमसिनवारि
एक टिप्पणी भेजें