शशि जी ने समीर भाई को ले आने की ज़िम्मेदारी स्वतः उठा ली थी और बखूबी निभाई.. ये अलग बात है कि लोग बाद में देर तक इस पर हैरान होते रहे कि समीर भाई को लाने की ज़िम्मेदारी को उन्होने उठाया कैसे !
मैं तो सबसे पहले पहुँच ही गया था.. मेरे बाद आए अनिल भाई और प्रमोद भाई.. अनिल भाई ने ज़ुल्फ़ें कटवा कर एक नया स्टाइल अपनाया है.. सोचिये वे आप को किस की याद दिला रहे हैं.. समय पर किसी को न आता देख प्रमोद भाई ने फ़ैसला किया कि वे चमकती धूप में नौका विहार का आनन्द लेंगे.. मैं इस आनन्द का पान करने से एकदम पीछे हट गया.. जलराशि मेरे भीतर गहरा डर उपजाती है.. अनिल भाई और प्रमोद भाई ने इस आनन्द में साझेदारी की.. ये बात अलग है कि वे बाद में इसे वे पैर का दर्द का नाम देते रहे.
ये दोनों पुराने मित्र अभी नौकारूढ़ ही थे कि समीर भाई का आगमन हुआ.. उन्हे देख कर लगा ही नहीं कि पहली बार मुलाक़ात हो रही है..लगा किसी पुराने मित्र से बड़े दिनों बाद मिलना हो रहा है.. धीरे-धीरे सभी लोग आ गए.. हर्षवर्धन आ गए.. युनुस के साथ बोधि जी भी आ गए जो काफ़ी देर तक मुझे उल्लू बनाते रहे कि वे नहीं आ पा रहे हैं.. आभा फिर भी नहीं आईं.. ये मलाल रह गया.. समीर भाई अपने कनाडा के जीवन के विषय में बताते रहे.. सब उनके विशाल हृदय कोमल व्यक्तित्व और उदार जीवन मूल्यों के प्रति उत्सुक थे.. बात होती रही..
जब विकास और विमल भाई भी आ गए तो हम ने जगह बदलने की क़वायद की.. दूसरी जगह थोड़ी सी ऊँचाई पर स्थित थी.. इस जगह का नाम रखा गया है छोटा काश्मीर.. डल लेक तो देख ली थी.. अब पहाड़ भी देखने थे.. तो हम चले पहाड़ों की शरण में..
शशि जी ने देर से आने की भरपाई करने का जो वादा किया था वो कचौड़ी/ लिट्टी की शक्ल में झोले से निकाला और प्लास्टिक की प्लेट में सब के आगे वितरित कर दिया.. प्रमोद जी वितरण की इस कृपणता से खुश नहीं रहे.. जिसमें सब के हिस्से एक ही एक लिट्टी आई और जो एक बची हुई थी वो बोधिसत्त्व ने हथिया ली..
बातें जारी थीं.. फिर किसी ने अचानक यह शिकायत की कि समीर भाई के सानिध्य को घंटे भर से ऊपर हुआ जाता है और अभी तक किसी ने साधुवाद नहीं दिया.. यह कहते ही पूरा छोटा काश्मीर साधुवाद के घोष से गूँज उठा.. और वहाँ बैठे सभी लोगों को विश्वास हो गया है कि समीर भाई के रहते साधुवाद के युग का अंत हो ही नहीं सकता..
इसके बाद तमाम असाधुवादी बातों की चर्चा भी हम ने की मगर उन्हे असंसदीय क़रार दिया गया.. और फिर मोमबत्ती की लौ पर हाथ रखकर सबने कसम खाई कि वहाँ मौजूद कोई भी ब्लॉगर अपनी ब्लॉगर मिलन रपट में उन बातों का ज़िक्र नहीं करेगा.. यह अविस्मरणीय तस्वीर भी इसी कारण से सेंसर हो गई..
इस तरह सब की हथेलियों में गरमी आ जाने के बाद लोगों के हाथों में कुछ खुजली से होने लगी.. और सब एक दूसरे की तस्वीर खींचने में व्यस्त हो गए..
भाई हर्षवर्धन की खुजली फिर भी शांत न हुई तो वे हाथ मलते हुए उठे और सबसे हाथ मिला कर विदाई का लग्गा लगाया.. वे विदा हुए फिर मिलने के वादे के बाद.. ये एहसास होते ही कि अब विदाई का क्षण नज़दीक है एक सामूहिक तस्वीर खींची गई..
(सबसे नीचे की सामूहिक तस्वीर में बाएं से दाएं: अनीताजी, युनुस, समीर भाई, बोधिसत्व, प्रमोद भाई, विकास, अनिल भाई, शशि सिंह और विमल भाई।
उसके ठीक ऊपर की तस्वीर में कत्थई कमीज़ में हर्षवर्धन)
39 टिप्पणियां:
साधूवाद...
तस्वीरें साझा करने के लिए.
तस्वीरों के साथ पात्र परिचय भी हो जाता तो क्या बात थी!
वैसे साधूवाद.
जे हुई ना बात । अब हमें समझ आई कि कैमेरा तिरछा करके । खुद आड़ी तिरछी मुद्राएं बनाके आप कर क्या रहे थे । साधुवाद साधुवाद साधुवाद । छा गये । अच्छा है । बढि़या है । और लिखें । लिखते रहें । हम पढ़ रहे हैं । जारी रखें । बधाई हो । शुक्रिया
। धन्यवाद । बस बस अब थक गए ।
साधु.. कौन वात्? यहां सरेआम उसकी चर्चा उचित है?
ब्लोगेरस मिलन कि बहुत से बातें और तस्वीरें हमसे शेयर करने के लिए आपको भी साधुवाद.
पर ये क्या कि आपने और रघुराज जी दोनों ने एक उत्सुकता मन मे छोड़ दी हमारे.
ये अच्छी बात नही है.
साधुवाद मित्र,जिन बातों को असंसदीय मान लिया गया था फिर भी आप कुछ असंसदीय बात का ज़िक्र करके मर्यादा का उल्लंघन किया है, आपने सबकी फ़ोटो अच्छी खीची है, इसलिये बक्श रहा हूं वरना ........ !!!!समीर जी से मिलना हो गया, अहा अहा मिलके मन पुलकित है .........साधुवाद...साधुवाद...साधुवाद !!
खाते-पीते घर का होते हुये भी मेरे द्वारा समीरलालजी को उठा लाने की बात पर तो कोई भी बिना गुदगुदी के ही हंस देगा (ये हंसी समीर भाई की बुलंदी के सम्मान में)। दरअसल हम तो उन्हें किसी तरह घेर-घार के आपके सम्मुख पेश करने में सफल रहे... इसके लिए नि:संदेह हम बधाई के पात्र हैं...
साधुवाद!!!
उड़नतश्तरी आपके शहर में उतरी और आप सबने मिलकर आनन्द उठाया व कुछ असंसदीय बातें भी कीं , बधाई । फोटो व लेख अच्छा लगा ।
घुघूती बासूती
आप साधुवाद के पात्र हैं....
उड़न तश्तरी का अगला पड़ाव कहां है?
ब्लागर्स मीट शेयर करने के लिए आभार
वैसे समीरलालजी कब तक भारत भ्रमण पर हैं। वे जब तक टिपियाते नहीं ब्लॉग अधूरा सा लगता है। जरा पता हो तो बताइये कि उनकी उडन तश्तरी कब आ रही है।
इतनी शानदार तस्वीरें कि मैंने इनमें से एक को उठाकर पोस्ट बना डाली। दिलकश नजारों के बीच शानदार ब्योरा मिल गया। हर लम्हा कैमरे और शब्दों में कैद...
ये हर रिपोर्ट मे जो बात कह कर भी नही कही जा रही है वो बड़ा परेशान कर रही है। समीर जी से मिलाने का शुक्रिया।
इस ब्लाग के लिए आपको भी साधुवाद।
:-)
ये वाली झील तो हमने भी देखी है। बहुत मजे की है। और जी न बतायें आप असंसदीय बातें, पर चार ब्लागरों ने ईमेल कर दिया है हमें। पर हम भी गोपनीयता की शपथ से बंधे हैं। गोपनीयता की शपथ से बंधे-बंधे सारी कार्यवाही एकाध दिन में ओपन हुई जाती है। गोपन कुछ भी नहीं है।
इतनी अच्छी पोस्ट और फोटो के लिए धन्यवाद।
बढ़िया विवरण। धांसू फोटो। संसद में आजकल जैसी खराब-खराब हरकतें होती हैं उससे तो अच्छा ही लगा कि आप लोगों ने मुंबई में ससंदीय हरकतें की। अच्छे ब्लागरों से यही आशा थी। लेकिन बताने में संकोच कैसा? सत्कर्मों का प्रचार भी करना चाहिये।
सर
खुजली तो रह ही गई है। बहुत सी बातें हो नहीं पाईं। शायद अगली किसी मुलाकात में संभव हो सकें। मैं हफ्ते भर से गुजरात चुनाव की कवरेज में था सीधा ही भागकर आया था। अगली बार की मुलाकात में खुजली शांत करके लौटने का प्रयत्न करूंगा। खुजली अभी भी हो रही है।
भाई फोटो में भेदभाव क्यों? मेरा क्लोज़प क्यों नहीं हैं? जिन दाँतों की इतनी चर्चा हुई, आँखों को जो काजल आप को लगता रहा वो आप की पोस्ट में क्यों नहीं दिख रहा है? एक बाटी पर इतनी बदनामी.. क्या करूँ? स्वाद से हारा हूँ!
shukriya is rapat ke liye...
shandar meeting vivaran.dhanyawad.
सबसे मिल कर अचअचा लगा।
april fool post repeated
अंतिम तस्वीर में पीछे का दृश्य मनोहारी है
aap sabhi ko khub badhaaee...
arsh
वार्ता के 'पतनशील' पहलू पर तो रोक नहीं थी ? फिर?
मुंबई में ब्लोगर मीट और हमें खबर तक नहीं....ये बहुत बेईन्साफ़ी है ठाकुर.... फिर भी कलेजे पे पत्थर रख कर हमने रीपोर्ट पढ़ी और फोटो देखी साथ ही हम क्यूँ न हुए का गीत भी गाते रहे...
नीरज
ब्लॉगर मिलन के इस विवरण और तस्वीरों को साझा करने के लिए हमारी ओर से भी साधुवाद। आप सबों को एक साथ देखकर बहुत अच्छा लगा।
अरे महाराज, १ अप्रेल को पिटवा दिये. बम्बई से फोन आ रहे हैं कि आये और हमसे बिना मिले सटक लिए. किस किस को डेट पढ़वाऊँ?? :)
तस्वीरें बहुत सुंदर हैं, दिखाने को साधुवाद!
बहुत अच्छा लगा अप सब मिल लिये और हमेँ भी मिलने का अहसास हुआ -
- लावण्या
achchaa laga.
वाह कैम्राडेरी !
कितने बेकार हो यार निर्मल आनंद भाई। गुज़रे ज़मानों की बातें करके अप्रैल गिल खिला रहे हो। हा हा ।
इतनी देर बाद बात समझ में आयी ... पुराने चित्र हैं ... मैं परेशान थी ... ब्लागर मीट हुआ नहीं तो पिक्चर कहां से आयी।
वाह्।
पता नहीं मुझे कुछ जलन सी हो रही है। इस आग में जलकर सोना तो नहीं हो रहा लेकिन खाक हो रहा
साधूवाद...साधूवाद...साधूवाद...:)
इतने सारे ब्लोगर मिले और इतनी छोटी रिपोर्ट...नाइंसाफी है ये तो!
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