मंगलवार, 25 दिसंबर 2007
अपने दिमाग़ को बचाएं !
नेट पर टहलते हुए ‘कारगर दिमाग़ की दस आदतें’ पढ़ने को मिलीं. वैसे दिमाग़ी आदते न हों तो ही अच्छा है. इसलिए मुझे शीर्षक से कुछ ऐतराज़ है पर सुझाव बुरे नहीं हैं. मुझे तो काफ़ी ठीक-ठाक लगे.. आप देखें..
१.दिमाग़ का इस्तेमाल करें. रखे-रखे सड़ सकता है, उपयोग से स्वस्थ रहता है.
२. अपने खान-पान का ख्याल करें. वैसे तो दिमाग़ आप के पूरे वजन का केवल २% होता है.. पर २०% ऑक्सीज़न और भोजन का इस्तेमाल करता है.
३. कसरत करें. शारीरिक व्यायाम दिमाग़ को भी स्वस्थ रखता है.
४.चिंता और तनाव से बचें. वे पुराने न्यूरॉन्स की हत्या करते हैं और नए न्यूरॉन्स के बनने में बाधा बनते हैं.
५. नई चुनौतियों से लड़ते रहें. दिमाग़ का यही औचित्य है.
६.’शिक्षा पूरी हो जाने पर भी कुछ न कुछ सीखते रहें, कुछ नया जानते रहें.
७.घूमें फिरें, नई जगहों और नए वातावरण में ढलने और नए फ़ैसले लेते हुए दिमाग़ का इस्तेमाल करें.
८. अपने फ़ैसले, अपनी ग़लतियाँ खुद करें. और उनसे सीखें. दूसरों के हाथ की कठपुतली न बनें.
९. नए दोस्त बनाएं और दोस्तियाँ निभाएं.
१०.हँसे और अपने भीतर के अनोखे हास्यरस को पहचानें.
अगर ये बातें सही हैं तो हमारा दिमाग़ या तो खराब हो चुका है या खराब होने के करीब है. कई बिन्दु हमें पराजित कर मुँह चिढ़ा रहे हैं.. ४ और १० तो कुछ ज़्यादा ही!
मूल लेख यहाँ देखें.
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10 टिप्पणियां:
दूसरा बिंदु पढ़ने के बाद खुद ब खुद चौथे बिंदु की समस्या घेर लेती है। खाने के बाद भी अक्सर मुझे क्यों इतनी भूख लग जाती है अब समझ में आया जबकि, पेट तो भरा रहता है।
अभय भाइ जरा साफ़ साफ़ बताया करे .. दिमाग किस तरह इस्तेमाल करे ..? क्या पडोसी का दिमाग खाने मे भी अपना दिमाग इस्तेमाल होता है....?
भाई, क्यों लोगों को गलत सलाह देते रहते हो, दिमाग-गतिकी के नियम इस प्रकार हैं (ऊष्मा गतिकी के नियमों से प्रेरित)
१) पैदा होते समय बच्चे का दिमाग शून्य से प्रारम्भ होता है (शून्य डिग्री केल्विन पर Entropy शून्य होती है )
२) दिमाग सीमित है, इसका उत्पादन और खर्चा आपस में साम्य में रहने चाहियें । मसलन मैने हाई-स्कूल में ज्यादा दिमाग खर्च कर लिया तो अब दिमाग की कमी महसूस हो रही है ।
३) अगर आज दिमाग खर्च करने का मन हो तो अपने को समझायें कि ये कल के लिये बचत है । जैसे भी हो आज दिमाग का खर्च मिनिमाइज करें । (Inspired by the principle of maximum laziness or entropy) :-)
पढ़ा ज़रुर पन टेंशन नई ले रै अपन, क्योंकि टेंशन वो लेंगे जिनके पास दिमाग है, अपन के पास तो हई नई।
हमने नीरज की बात मान ली है ।
नुस्खा क्रमांक 1,2,6,9 का तो उपयोग करते ही हैं फिर भी ना जाने क्यों दोस्त लोग कहते हैं कि मुझमें दिमाग है ही नहीं।
:)
कुछ दिन हम दिमाग को शांत आराम कराते कराते इसी दिमाग के बारे में पढ़ रहे थे --
"use it or lose it" i think it should be loose... जो भी हो... दिमाग खोने के डर से फिर से ब्लॉगजगत पर इसे चलाने आ गए. सुना है कि इसे जितना खर्च करो उतना ही बढ़ता है....
नीरज जी क्षमा करिएगा बचत करने की लाख कोशिश की लेकिन यह कला नहीं आई...
हम आखिरी उपाय अपना रहे हैं- हंस रहें हैं।
जिसमें जले दिम आग
वही दिमाग जले आग
लगे तो भी नहीं भाग
खुल जायेंगे बंदे भाग
कहां करें इस पर भी प्रकाश डलवाइये। क्यों करें यह समझ कर क्या करेंगे।
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