नोबेल पुरुस्कार विजेता मशहूर लेखक वी एस नइपॉल ने कभी नए लेखकों को अच्छा लिखने के लिए कुछ सूत्र बताए थे, जिसका ज़िक़्र अमित वर्मा ने अपने ब्लॉग पर किया था.. सूत्र कुछ यूँ हैं:
१. लम्बे वाक्य न लिखें. एक वाक्य में दस या बारह से अधिक शब्द नहीं होने चाहिये.
२. हर वाक्य एक सीधा बयान होना चाहिये. पिछले वाक्य में इस वाक्य को कुछ जोड़ना चाहिये. एक अच्छा पैराग्राफ़ सिलसिलेवार बयानों की एक कड़ी है.
३. बड़े शब्द ना इस्तेमाल करें. अगर आप का कॅम्प्यूटर बताता है कि आप का औसत शब्द पाँच अक्षरों से अधिक लम्बा है, तो ठीक नहीं है. छोटे शब्दों का इस्तेमाल आप को आप के विषय के बारे में सोचने को मजबूर करता है. कठिन शब्दों को भी छोटे शब्दों में तोड़ा जा सकता है.
४. ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कभी न करें जिनके अर्थ के बारे में आप को पक्का नहीं पता. अगर आप यह नियम तोड़ते हैं तो आप कोई और धंधा तलाश लें.
५. नए लेखक को रंग, मात्रा और अंक को छोड़ विशेषणों के इस्तेमाल से बचना चाहिये. क्रियाविशेषणों का कम से कम इस्तेमाल करें.
६. अमूर्तन से बचें. ठोस बातें करें.
७. कम से कम छै माह तक रोज़ इस तरह लिखने का अभ्यास करें. छोटे शब्द; छोटे, सीधे, ठोस वाक्य. थोड़ा तक़्लीफ़ होगी , पर इस से आप भाषा के उपयोग में अभ्यस्त हो जायेंगे. हो सकता है विश्वविद्यालय में आप ने लेखन की जो बुरी आदतें विकसित कर लीं थीं, उन से भी छुटकारा मिल जाय. एक बार इन नियमों को अच्छी तरह समझ लेने और अधिकार पा लेने के बाद आप इन्हे पार कर आगे बढ़ सकते हैं.
गल्प लेखन के लिए कुछ ऐसे ही सूत्र अमरीकी लेखन कर्ट वॉनेगट ने सुझाए हैं, ये सूत्र भी अमित वर्मा के ब्लॉग से साभार हैं:
१.एक सम्पूर्ण अजनबी के वक़्त का ऐसे इस्तेमाल करें कि उसे यह न लगे कि समय बरबाद हुआ.
२. अपने पाठक को कम से कम एक ऐसा चरित्र दें जिस के साथ वे जुड़ाव महसूस कर सके.
३. हर चरित्र की कुछ चाहत हो, भले ही वह एक गिलास पानी ही क्यों न हो.
४. हर वाक्य दो में से एक मक़सद ज़रूर पूरा करे- चरित्र को खोले या कहानी को बढ़ाए.
५. कहानी को अन्त के जितने करीब से मुमकिन हो उतने करीब से शुरु करें.
६. पत्थरदिल बनें. आप के चरित्र कितने भी मासूम और अच्छे क्यों न हो, उन्हे भयानक घटनाओं के बीच धकेल दें- ताकि आप के पाठक देख सकें कि वे किस मिट्टी के बने हैं.
७. सिर्फ़ एक व्यक्ति को खुश करने के लिए लिखें. अगर आप खिड़की खोल कर पूरी दुनिया के साथ प्रेम करेंगे, तो आप की कहानी को न्यूमोनिया हो जाएगा. (हमारी परिस्थितियों में लू लगने की भी सम्भावना है)
८. अपने पाठकों को जितनी जल्दी हो सके अधिक से अधिक सूचना दे दें. रहस्य गया तेल लेने. पाठक को पूरी जानकारी होनी चाहिये कि क्या हो रहा है, कहाँ हो रहा है और क्यों हो रहा है और अगर आखिर के कुछ पन्ने कीड़े खा भी जायँ तो पाठक स्वयं कहानी को पूरा कर सकें.
14 टिप्पणियां:
हमारे खिलाफ़ साजिश के सिवा कुछ् और् दिखता आपको इसमें अभय भाई। आप् तो अब् डैसिंग ब्लागर हो लिये। इत्ती बात तो समझा करो भाई।
यह हुई न फुर्सतियात्मक चकाचक पोस्ट। अच्छे गल्प लेखन वाले में एक और जोड़ लें - ९. भूल कर भी साम्यवाद-फाम्यवाद छाप न ठेलें! :-)
अपने पाठकों को जितनी जल्दी हो सके अधिक से अधिक सूचना दे दें. रहस्य गया तेल लेने. पाठक को पूरी जानकारी होनी चाहिये कि क्या हो रहा है, कहाँ हो रहा है और क्यों हो रहा है और अगर आखिर के कुछ पन्ने कीड़े खा भी जायँ तो पाठक स्वयं कहानी को पूरा कर सकें.
हमें तो नम्बर ८ सबसे ज्यादह पसंद आयी :-)
हम्म सोचना पड़ेगा कैसे लागू करें इन बातों को।
दो नुस्खे या पन्द्रह नुस्खे? दो प्रकार के नुस्खे हुए भाई.
पाठको को सही संकेत दे.
बहुत कठिन है डगर ...... !
हो सकता है विश्वविद्यालय में आप ने लेखन की जो बुरी आदतें विकसित कर लीं थीं, उन से भी छुटकारा मिल जाय
अपना तो केई चान्से नही बचा, हम अब तक ये आदते ही इकट्ठी कर रहे हैं :(
पूरी की पूरी पोस्ट से लिखने -पढने मे मदद मिलेगी. ज्ञान वर्धक पोस्ट है.
संजय भाई कोशिश तो हमारी यही रहती है कि पाठको को सही संदेश ही दिया जाय.. यहाँ पर पन्द्रह सूत्र हैं दो अलग अलग नुस्खों में। आम तौर पर डाक्टरी परचे को नुस्खा कहा जाता है। एक परचे में आम तौर पर एक से अधिक दवाएं रहती हैं.. देख ही रहे हैं यहाँ सात और आठ हैं।
मूल रूप में नुस्खा अरबी शब्द है जिसके मायने होता है हस्तलिखित पत्रिका..
सीखने की कोशिश करूँगी.....
आत्मसात करने की कोशिश करते हैं, शुक्रिया।
इस राह पर सही से चल सकें ऐसा प्रयास करेंगें।
बहुत लाभकारी पोस्ट है. कुछ उलझन भी है -
६. पत्थरदिल बनें. (बनने के उपाय सुझाएँ)
७. सिर्फ़ एक व्यक्ति को खुश करने के लिए लिखें. (सम्भव कैसे हो)
८.......पाठक को पूरी जानकारी होनी चाहिये कि क्या हो रहा है, कहाँ हो रहा है और क्यों हो रहा है''' (अनिल जी की पोस्ट याद आ रही है जिसमें उन्होंने कहा कि ज़रूरी नहीं कि सब जानकारी हो) अब ?
काम की पोस्ट है.....कितना कुछ सिखाती हुई....अच्छा और मददगार लोखकों के लिए।
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