शुक्रवार, 20 जुलाई 2007

एक खोए हुए आदमी की तलाश

(३१ जनवरी १९९१ को दिल्ली रेडियो से प्रसारित एक सूचना )


खबर है कि एक आदमी खो गया है, जिसकी उमर यही कोई तीस पैंतीस साल बताई जाती है। वैसे वह चालीस पैंतालिस का भी हो सकता है। जिसने भूरे रंग की बगैर इस्त्री की हुई पतलून और हलके नीले रंग की बुश्शर्ट पहन रखी है। पैरों में एक्शन के स्पोर्टज़ शूज़ हैं और मोज़े कई दिनों से नहीं धुले हैं। बुश्शर्ट की ऊपर की जेब में एक बॉल पेन और कुछ फ़ालतू कागज़ात रखे हुए हैं। जिन्हे वह आदतन बीच बीच में रह रह कर देखता है और बचे हुए कोनों में कुछ लिखता भी है। क्या लिखता है यह अभी तक पता नहीं चल सका है।

वैसे तो उसके बाल उलझे और रूखे रहते हैं पर वो अक्सर नहा कर उनमें नारियल का तेल लगाता है, तब वे एकदम काले और चमकदार हो जाते हैं। हाँ उसके हाथों में एच एम टी की अविनाश मॉडल की घड़ी है जिसके ऊपर उसने पानी से बचाव के लिए पीले रंग का शीशा चढ़ाया हुआ है। उसके बदन का रंग साँवला, आँखों का रंग भूरा और मूँछों का रंग काला है। कई दिन तक दाढ़ी न बनाने पर पतली मूँछे मोटी भी होती रहती हैं। उसे पीलिया नहीं है, पर उसकी आँखों में पीलापन छाया रहता है। उसे डायबिटीज़ ज़रूर है। और शायद वह चाय वगैरह में चीनी का परहेज़ भी करता है। पर उसे अक्सर चावल खाते देखा गया है। और यह भी कहा जाता है कि ज़रा से पैसे मिलने पर वह उन्हे जलेबियों में उड़ा देता है।


विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि उसका घर जमना-पार है। पर अफ़वाह यह भी है कि वह फ़रीदाबाद से आता है। ट्रेनों और बसों में चढ़ने में वह बहुत चुस्त है। यूँ तो उसे नींद कभी-कदार ही आती है, जिसकी वजह से उसकी आँखों के नीचे काले धब्बे पड़ गए हैं, और वह फटी-फटी सी लगती हैं। रात को बस स्टैंड पर उसे माचिस देने वाले बहुत सारे लोग इन्ही आँखों को देख कर बहुत डर गए थे। नींद आने पर वह कहीं भी सो जाता है। पर अब तक उसे बसों में खड़े-खड़े ही सोता पाया गया है।


उसे बातें करने का बहुत शौक है। जैसा कि पहले कहा गया है कि वहा माचिस माँग कर बात शुरु करता है इसके लिए वह सिगरेट बीड़ियां रखता है पर माचिस कभी नहीं। वह खोई-खोई सी बातें करता है, और कहता है कि वह खो गया है। वह कभी कभी राह चलते लोगों को रोक कर पटलमपुटपू या ऐसी ही किसी जगह का नाम लेता है और उसका रास्ता पूछता है।

शादी या इस तरह के समारोह, जहाँ पर बहुत सारे लोग इकठ्ठा हों, उसे आकर्षित करते हैं। आश्चर्य की बात ये है कि पहले तो अति प्रसन्न हो कर वहाँ घुस जाता है। यदि रोका जाय तो समझाने की कोशिश करता है कि वह भी समारोह का हिस्सा है। लेकिन बाद में वह बहुत दुखी हो कर बड़बड़ाने लगता है और बीड़ियां फूँकने लगता है। कुछ पटलमपुटपु, पहचान और इतिहास जैसे शब्द बार बार दोहराता है। छेड़ा जाय तो गाली गलौज और हाथापाई पर भी उतर सकता है।

आम नागरिकों को हिदायत दी जाती है कि वे सावधान रहें और इस व्यक्ति के दिखने या खबर मिलने पर फ़ौरन १०० न० डायल करें या पास की पुलिस चौकी में सम्पर्क करें। राष्ट्र व समाज के हित में इस व्यक्ति को पकड़वाने वाले को ईनाम व सम्मान प्रदान किया जायेगा।


इस ब्लॉग पर यह प्रविष्टि छपने तक के साढ़े सोलह बाद भी इस आदमी को पकड़ा नहीं जा सका है.. हो सकता है यह अभी भी दिल्ली में भटक रहा हो.. या हो सकता है इस बीच मुम्बई, चेन्नई, अहमदाबाद, कानपुर या पटना आदि किसी दूसरे बड़े शहर में चला गया हो.. सावधान रहें..

तस्वीरें: प्रसिद्ध नॉरवीजियन चित्रकार एदवर्द मंच की कृतियाँ.. डेस्पेयर, एंग्ज़ाइटी व स्क्रीम।

9 टिप्‍पणियां:

Arun Arora ने कहा…

जी ह पहले यही था फ़रिदाबाद दिल्ली रूट पर दिखाई देता था ,शायद अब जमनापार रहने लगाथा कुछ दिनो से उसके मूंबई चले जाने की अफ़वाह जोरो पर है जरा देखिये और बताईयेगा मिला क्या..?

बेनामी ने कहा…

उसके मिलते ही निर्मल-आनन्द में "एक खोए हुए आदमी की तलाश पूरी हुई" के नाम से तुरंत पोस्ट छापी जाय।

Pratyaksha ने कहा…

क्या ईनाम सम्मान ? खुलासा करें

Yunus Khan ने कहा…

जहां तक याद आता है इस आदमी को एक दिन मैंने वेस्‍टर्न एक्‍सप्रेस हाईवे पर गोरेगांव में आरे के आसपास देखा था । कुछ पक्‍का याद नहीं आ रहा है ।

VIMAL VERMA ने कहा…

आखीरी बार मैने उसे गोरेगांव के सांई बाबा कॉमप्लेक्स मे निर्मल आनन्द प्राप्त करते देखा है. आपने ये नहीं बताया कि उसकी गलती क्या है? कमाल तो ये है कि ये संदिग्ध चेहरा मेरे सपने में भी कई दिनों से आ रहा है क्या करें?

बोधिसत्व ने कहा…

विमल भाई कोई कह रहा था कि यह खोया हुआ बंदा बोधिसत्व है।

अनिल रघुराज ने कहा…

गोंद में छोरा, नगर में ढिंढोरा। ज़रा अगल-बगल देखिए। नहीं मिले तो आइने में देख लीजिए। शायद मिल जाए, उसकी शिनाख्त हो जाए...

Udan Tashtari ने कहा…

कुछ पैसे वैसे धरे है कि नहीं साथ में वो? अगर पैसे नहीं हैं तो आता ही होगा. इन्तजार करिये. कल रिपोर्ट अपडेट दिजियेगा.

इनाम का अमाउंट भी बता दें. सम्मान की कोई बात नहीं हैं, वो तो इनाम की राशि पर हम खुद ही स्व-सम्मानित हो लेंगे, पूरे आयोजन समारोह के साथ..

अनूप शुक्ल ने कहा…

सुबह् का भूला शाम् को वापस् आ जाता है। अभी ये आया कि नहीं इत्ते साल् हो गये!

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