हार्वर्ड पत्रिका में एक दिलचस्प लेख छपा है। लिखते हैं कि बहुत पहले वैज्ञानिकों ने पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीवों को जीन सम्बन्ध के आधार पर एक जीवन वृक्ष के रूप में प्रदर्शित किया था जिसमें जिसका चित्र कुछ यूँ था..
मगर हाल की कुछ खोजों से पता चला है कि पुराने लोग इस पूरे जीवन को टेलेस्कोप के गलत सिरे से देख रहे थे.. सच्चाई कुछ यूँ दिखती है..
वनस्पति, जन्तु और फ़न्गी जगत इस विशाल वृक्ष के अत्यन्त मामूली अंग है..जिसके मुख्य अंग का निर्माण करते हैं:
१)बैक्टीरिया यानी एककोशीय वे सभी जीव जिनके भीतर कोई नाभिक नहीं होता।
२)आर्किया या आर्किबैक्टीरिया यानी वे जीव जो अपने सरल रूप में बैक्टीरिया जैसे ही होते हैं पर उनकी कोशीय संरचना काफ़ी अलग होती है। और
३)यूकेरया यानी शेष सभी जीव जिनके कोश में नाभिक मौजूद होता है। इस श्रेणी में पशु, पक्षी पौधे सभी आयेंगे।
पुरानी समझ के चित्र में मोनेरा के अन्तर्गत बैक्टीरिया और आर्किया को रखा गया है और प्रोटिस्टा के अन्तर्गत बची हुई सारी नाभिकीय संरचनाएं। हम अपनी पृथ्वी में किस कदर अल्पमत में हैं, इसका एहसास इस नई खोज से हो रहा है।
अगर आप के मन इन जीवों को लेकर कोई विकार हो तो दूर कर लें। आप सोचते हों कि बैक्टीरिया मतलब बीमारी। तो समझें कि हम भी इन्ही के जैसे ही एक जीव हैं बस हमारी कोशिकाओं में एक नाभिक है और हमनें पौधों और अन्य पशुओं की तरह या उनके साथ एक लम्बी विकास की प्रक्रिया में एक जटिल संगठन बना लिया है.. अपनी ही विघटित कोशिकाओं का संगठन। आज भी मनुष्य का जीवन एक कोशिका से ही शुरु होता है, जो माँ के गर्भ में विघटित हो-हो कर एक जटिल संरचना के रूप में विकसित हो जाता है जिसे हम मनुष्य मानते हैं। और इस जटिल संरचना का ब्लू प्रिंट ही हमारा डी एन ए कहलाता है। और जहाँ तक डी एन ए का प्रश्न है तो एक आलू और मनुष्य ज़्यादा करीब के रिश्तेदार हैं बजाय कि दो बैक्टीरिया के। कल्पना कीजिये इस जगत की विविधता को।
हमारा जीवन इस अदृश्य माइक्रोबायल जगत से बुरी तरह प्रभावित है। वे बादल बनाते हैं, चट्टानों को तोड़ते हैं, खनिज जमाते हैं, पौधों को खाद देते हैं, मिट्टी को तैयार करते हैं, विषैले अवशिष्ट को साफ़ करते हैं। मनुष्य के शरीर में लगभग १० ट्रिलियन कोशिकाएं हैं, मगर १०० ट्रिलियन माइक्रोब्स हैं। जो हमारे लिए खाना पचाते हैं, विटैमिन्स बनाते हैं, और हमें इन्फ़ेक्शन से बचाते हैं। हाँलाकि कुछ माइक्रोब्स हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक भी हैं। लेकिन अगर हमें इन माइक्रोब्स से वंचित कर दिया जाय तो हम बुरी तरह बीमार पड़ जायेंगे। अभी भी इनकी पूरी भूमिका को जाना जाना है।
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4 टिप्पणियां:
बैक्टीरिया समाज को धन्यवाद....
ज्ञानवर्धक आलेख...
बैक्टीरिया अच्छे भी होते हैं और बुरे भी। हमें अच्छे को बचाना है, बुरे को हटाना है। यह बात अभी दांतों के डॉक्टर ने मुझे हाल में समझाई थी।
अच्छा लेख है। बाद में ध्यान से पढूंगा।
अच्छी जानकारी देता है आलेख. सिलसिला बनाये रखें
बैक्टेरिया ज्ञान के लिये आभार. क्या पढ़ रहे हैं आजकल? :)
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