सोमवार, 20 दिसंबर 2010

राम-राम हरे-हरे



बोधिसत्त्व की एक ताज़ी कविता:




घरे-घरे दौपदी, दुस्सासन घरे-घरे।
हरे राम हरे राम, राम-राम हरे-हरे॥

गली-गली कुरुक्षेत्र, मरघट दरे-दरे।
हरे राम हरे राम, राम-राम हरे-हरे॥

देस भा अंधेर नगर, राजा चौपट का करे।
हरे राम हरे राम, राम-राम हरे-हरे॥

सीता भई लंकेस्वरी, राम रोवें अरे-अरे।
हरे राम हरे राम, राम-राम हरे-हरे॥

राजा दसरथ भुईं लोटैं, राज करे मंथरे।
हरे राम हरे राम, राम-राम हरे-हरे॥

आम गा महुवा गा, अब त बस बैर फरे।
हरे राम हरे राम, राम-राम हरे-हरे॥

कोयल मोर मूक भए, दादुर टर-टर टरे।
हरे राम हरे राम, राम-राम हरे-हरे॥

ऊपर से कुछ बात, और कुछ बा तरे-तरे।
हरे राम हरे राम, राम-राम हरे-हरे॥

- बोधिसत्त्व

18 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

भगवान हम सबको क्षमा करे।

Abhishek Ojha ने कहा…

बहुत सही. एक नंबर :)

दीपक बाबा ने कहा…

हरे राम हरे राम
राम राम हरे हरे

गिरिजेश राव, Girijesh Rao ने कहा…

छेदश्चन्दनचूतचम्पक वने, सेवा करीर द्रुमे,

हिंसाहंसमयूरकोकिलकुले, काकेषु लीलारति:।

मातङ्गेनखरक्रयसमतुला कर्पूरकार्पासयोः

एषा यत्र विचक्षणा गुणिगणे, देशाय तस्मै नमः।।

मनीषा पांडे ने कहा…

एक पंक्ति और जोड़ रही हूं।

राम भए रावण सब सीता रोवें अरे-अरे।
हरे राम हरे राम, राम-राम हरे-हरे॥

ghughutibasuti ने कहा…

बहुत बढ़िया!
या फिर,
राम रहे राम ही, सीता रोए अरे-अरे ।
हरे राम हरे राम, राम-राम हरे-हरे॥
घुघूती बासूती

डॉ .अनुराग ने कहा…

दिलचस्प......

प्रदीप कांत ने कहा…

रावण इहाँ रावण उहाँ, परजा का करे
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे

जय हो........

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

प्रिय बंधुवर

बहुत रोचक कविता है , पढ़ने का अवसर देने के लिए आभार !


~*~नव वर्ष 2011 के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~

शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार

Domain For Sale ने कहा…

ब्लॉग दुनिया में बांह फैलाकर
हम सब आपका अभिनन्दन
करतें हैं

अनूप शुक्ल ने कहा…

हरे हरे। खूब फ़रे।

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

पढ़ि के हंसि देत हैं,बोधिसत्त्व का करे।
हरे राम हरे राम, राम-राम हरे हरे।।

रंजना ने कहा…

वाह...वाह...वाह...

क्या बात कही है...

करारा प्रहार...सुन्दर व्यंग्य और कविता ...क्या कहने...

लाजवाब कविता ...मन आनंदित हो गया पढ़कर...

Reetesh Gupta ने कहा…

बहुत सुंदर ..अच्छी कविता...धन्यवाद

रीतेश

ravishndtv ने कहा…

aaj is kavitaa ko khoob gaya. laga ki kisi film ke parde par utaar dun...music me maahir hota to dhun bhee lage haath taiyaar kar deta.

विवेक रस्तोगी ने कहा…

वाह जी वाह

हरे राम हरे राम
राम राम हरे हरे

अजित वडनेरकर ने कहा…

जबर्दस्त यति-गति वाला पद्य।
आनंदम् आनंदम्
बोधिभाई जिंदाबाद ...

Amrendra Nath Tripathi ने कहा…

रचना नीक लाग , लुभाऊ लाग ! अवधी बिलाग पै यहिका रखा चाहित है . यहिते अनुमति मांगे आवा अहन , साभार अभय-बोधि यहिका रखब . बड़ी मेहरबानी भाय !

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