मंगलवार, 14 जुलाई 2009

अ सिविलाइज़्ड एण्ड डीसेन्ट सोसायटी

भारत ने कहा है कि पाकिस्तान शुड एक्ट अगेन्स्ट हाफ़िज़ सईद इफ़ इट इज़ अ सिविलाइज़्ड एण्ड डीसेन्ट सोसायटी। वेल सेड।

विडम्बना यह है कि यह बयान उस दिन आया है जब प्रोफ़ेसर सबरवाल की हत्या के सभी आरोपियों को सबूत के अभाव में अदालत द्वारा बाइज़्ज़त रिहा कर दिया गया। मुक्त हुए मुल्ज़िमों ने मालाएं पहनी, मिठाई चाभी और मुस्कुराहटें बिखेरीं।

क्या आप ने प्रोफ़ेसर सबरवाल की मौत से पहले उनकी पिटाई का वीडियो देखा था। मैंने देखा था.. मज़े की बात है अदालत के पास एक भी गवाह नहीं कोई सबूत नहीं।

अजीब बात है लाहौर हाई कोर्ट में भी यही दलील देकर हाफ़िज़ सईद को आज़ाद छोड़ दिया गया।

10 टिप्‍पणियां:

ab inconvinienti ने कहा…

किम् आश्चर्यम? मज़हब अलग है पर नस्ल तो एक ही है न, एक ही खून दोनों की रगों में दौड़ रहा है. तो एक सा कमीनापन भी एक सा ही रहेगा.

जय पुष्‍प ने कहा…

इसे ट्रैजिक कॉमेडी कहें या कॉमिक ट्रैजेडी, पर जो भी है हमारे सामने है और चुभने वाली बात है। इस छोटी सी मारक टिप्‍पणी के लिए धन्‍यवाद।

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

हमारी सिविलियनता संदेह के घेरे में है।

अजित वडनेरकर ने कहा…

क्या किया जा सकता है सिवाय शर्म से सिर झुकाने के

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

ओह, अब ये मिठाई खा, माला पहन संसद में जाने की ट्राई कर सकते हैं! :)

Shiv ने कहा…

मिठाई चाभते, माला पहने ये लोग छात्र हैं. अब ये कानून की पढ़ाई में अपनी किस्मत आजमा सकते हैं.

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

बहुत थोड़ा अंतर है -अ सिविलाइज़्ड और अनसिविलाइज़्ड में:)

azdak ने कहा…

पाकिस्‍तान का मालूम नहीं, हिन्‍दुस्‍तान कितना सिविलाइज्ड है इसपर तहलका के ताज़ा अंक में (एक और यह (दूसरी स्‍टोरी है..

संदीप ने कहा…

अरे अरे भाईसाहब, आप भी कहां....भारत में सब कुछ सिविलिलाइज़्ड और डीसेंट होता है...

मुनीश ( munish ) ने कहा…

Come on , Law takes its OWN course here !

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