मंगलवार, 2 जून 2009

बौद्धिक यायावर

कहा जाता है कि सत्य एक है, स्थिर है, अटल है, दुर्लभ है। उसके संधान के लिए अनुसंधान करने होते हैं, यत्न और अन्वेषण करने होते हैं। मैं ने अपने नन्हे स्तर पर सत्य की खोज की है, कर रहा हूँ।

ग्रंथो में, किताबों में, लोगों में, स्थानों में, अपनी बुद्धि के उपकरण को उठाकर मैं इतनी जगह भटका हूँ कि हाल ही में पाया कि मैं सत्य की खोज में एक बौद्धिक यायावर बन गया हूँ एन इन्टेलेक्चुअल ड्रिफ़्टर।

7 टिप्‍पणियां:

Ashutosh ने कहा…

कुछ समय पहले मेरे भी मन में कुछ ऐसा ही विचार आया था - "मै इश्वर को नहीं, खुद को तलाश रहा हू". और शायद यही तलाश ही मेरे जीवन का धेय्य है .

इरशाद अली ने कहा…

आप बड़े गुरूजी लोग है, ऐसी पोस्टों पर टिप्पणी करने की अभी मेरी औकात नही है, इसलिये बस आपको नमस्कार कर लेता हूं।

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

यह भी सत्य है।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

बुद्धं शरणं गछामि....:)

स्वप्नदर्शी ने कहा…

"Truth" is an abstract concept and has a root in region and philosophy.

In real life its subjective and not an absolute entity.

In science we say "pursuit of knowledge"

सुमन्त मिश्र ‘कात्यायन’ ने कहा…

अभय जी, लोग अनुसंधान के फल से ही मदमस्त हो जाते है। आप तो सत्य का संधान कर रहें। पग-पग पर नवीन सत्यॊं से साक्षात्कार होगा। अंतिम सोपान तो बुद्धत्व ही है। उस अनिर्वचनीय का आस्वादन ही किया जा सकता है। चरैवेति! शुभस्तु पन्थानं।

बेनामी ने कहा…

मेरी समझ से सत्य स्थिर चीज नहीं है बल्कि सत्य प्रक्रिया का ही नाम है। जब तक किसी निष्कर्ष की प्रक्रिया को नहीं जाना जाय तब तक वह सत्य नहीं है।

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