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सहज-वृत्ति (इन्सटिंक्ट) --जब घर में आग लगी हो तो आदमी को खाने-पीने की सुध नहीं रहती-- सही है, पर बाद में राख के ढेर पर खाया जाता है वही खाना।
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अपनी प्रतिष्ठा के लिए किसने एक बार भी नहीं दिया है अपना बलिदान?
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क्या? महान व्यक्ति? मुझे तो हमेशा अपने आदर्श का अभिनेता भर दिखाई पड़ता है।
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निराशा की आवाज़: "मैंने सुनना चाही एक अनुगूँज और सुनाई दी सिर्फ़ प्रशंसा--।"
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ऐंद्रिकता अक्सर प्रेम को इतनी तेज़ी से विकसित कर देती है कि उसकी जड़ें कमज़ोर रह जाती हैं और आसानी से उखड़ आती हैं।