जनरल साहब को धकिया-धकेल के वर्दी से वंचित कर दिया गया। बेचारों को इस ग़म से राहत देने को दहशतगर्दों (?) ने बीबी साहिबा का क़त्ल कर डाला। इन्तिखाब टालने पड़े। जनरल साहिब (रिटायर्ड) थोड़े सुकुन से हैं पर लोग बड़ी गालियाँ दे रहे हैं उन्हे। बेनज़ीर का खून तो उनके कपड़ों पर मल ही रहे हैं और पाकिस्तान की सारी मुसीबतों का ज़िम्मेवार भी मान रहे हैं उन्हे।
माना बुरे हैं पर अब इतने भी बुरे नहीं जनरल (रिटायर्ड) साहिब। कुछ तो आज़ादी का माहौल बनाया था उन्होने पाकिस्तान में। वरना एक अली सलीम, बेगम नवाज़िश अली बनकर क्यूंकर सबकी खिल्ली उड़ा सकता था ? वो भी नेशनल टेलेविज़न पर? कुछ लोग कहते हैं कि उनकी ही फ़ौज के एक कर्नल के बेटे अली को उन्हे खून के घूँट पी कर बरदाश्त करना पड़ा।
वजह जो भी रही हो लेकिन इतना क्रेडिट तो देना पड़ेगा आप को कि बरदाश्त करने की क़ुव्वत है जनरल साहिब में। और इसी जज़्बे को तो डेमोक्रेसी कहते हैं। वैसे बेगम नवाज़िश अली को अब आप भी देख सकेंगे 9X पर हर शनिवार रात दस बजे। कुछ लोग अली को होमोसेक्चुअल कहते हैं कुछ लोग बाइसेक्चुअल.. मैंने उन्हे एक इन्टरव्यू में खुद को ट्राइ(try)सेक्चुअल बताते हुए सुना है।
देखिये महेश भट्ट के साथ उनके प्रोग्राम की यह क्लिप..