tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post8030562298184324307..comments2023-10-27T15:06:34.550+05:30Comments on निर्मल-आनन्द: घर पर पुलअभय तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-71398497819148023392009-04-22T03:46:00.000+05:302009-04-22T03:46:00.000+05:30चिन्तन घर से निकल कर पुल पर आया अथवा पुल से गुजर क...चिन्तन घर से निकल कर पुल पर आया अथवा पुल से गुजर कर घर खोज रहा है?<br />अपनी एक कविता याद आ गई भाई, सुनें-<br /><br /><br />पुल कभी स्वप्न<br />कभी दुःस्वप्न<br />कभी रिश्ता हुआ<br />पुल को जो होना था<br />वो कभी नहीं हुआ<br />सब इस पार ही रह गए पुल के<br />पार जाने का तो भ्रम ही हुआ...<br /><br />कैसी लगी? मैं छंदबद्ध कविता का हामी ऐसी कविता लिख कर भी बेशर्मी से पूछ रहा हूं :)अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-71320937961884620382009-04-21T09:38:00.000+05:302009-04-21T09:38:00.000+05:30दो अटल सत्य के बीच अल्पविराम - अच्छी लगी जीवन क...दो अटल सत्य के बीच अल्पविराम - अच्छी लगी जीवन की यह परिभाषा।Ashok Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/14682867703262882429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-1356280984283932522009-04-18T10:38:00.000+05:302009-04-18T10:38:00.000+05:30पढ़ कर नजीर का आदमीनामा याद आई।पढ़ कर नजीर का आदमीनामा याद आई।बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/09557000418276190534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-68055576800018062002009-04-17T17:06:00.000+05:302009-04-17T17:06:00.000+05:30जय हो!जय हो!दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com