tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post7719644762989781046..comments2023-10-27T15:06:34.550+05:30Comments on निर्मल-आनन्द: साहसअभय तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-89580158058709633812013-09-06T04:52:16.554+05:302013-09-06T04:52:16.554+05:30हम जिसे भूत वर्तमान और भविष्य मानते हैं वह क्रम इत...हम जिसे भूत वर्तमान और भविष्य मानते हैं वह क्रम इतना गुँथा है कि अलगाव का आभास नहीं होता-वे अलग हैं भी नहीं.एक ही धारा के क्रम में अपनी सुविधा के लिए हम खाँचे बनाते हैं पर वे पल में बह जाते हैं अनादि अनन्त में मिलने के लिए.<br /> प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-32410267113414253682013-09-05T07:51:27.182+05:302013-09-05T07:51:27.182+05:30एक सतत वह,
बाँट रहे पर बँटे जा रहे।एक सतत वह,<br />बाँट रहे पर बँटे जा रहे।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-77014582993647841612013-09-04T13:25:42.192+05:302013-09-04T13:25:42.192+05:30समय ठहरता तो नहीं पर भूत भविष्य और वर्तमान बन सामन...समय ठहरता तो नहीं पर भूत भविष्य और वर्तमान बन सामने ही रहता है ... विचारणीय संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com