tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post6564900165136249999..comments2023-10-27T15:06:34.550+05:30Comments on निर्मल-आनन्द: राजनीति: एक बिकाऊ मालअभय तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-8269444030486566672010-06-27T09:09:34.209+05:302010-06-27T09:09:34.209+05:30Beautifully written , wonderful analysis.Beautifully written , wonderful analysis.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-40187242397734405642010-06-26T07:38:16.295+05:302010-06-26T07:38:16.295+05:30प्रकाश झा जिस 'बिहार' के विशेषज्ञ भी माने ...प्रकाश झा जिस 'बिहार' के विशेषज्ञ भी माने जाते हैं, उसमें भी बिहार को लेकर उनकी चिंता नहीं होती बल्कि वह एक अच्छा बिकाऊ माल ही होता है। बिल्कुल सही आकलन !!!Farid Khanhttps://www.blogger.com/profile/04571533183189792862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-8317816582953079282010-06-26T00:24:09.389+05:302010-06-26T00:24:09.389+05:30ise kahte hain sanyog, aaj mera weekly off tha to ...ise kahte hain sanyog, aaj mera weekly off tha to aaraam se baith kar bas yahi film ekhi apan ne,<br /><br />kahani kuchh bhi kahiye vahi kahi na kahi gangajal se judi hui si lagi han lekin editing badhiya hai, kahani to jaisa ki aap kah hi rahe hain hai hi....<br /><br />vaise kahu to pasand aai film, bas afsos yahi hai ki kahi kahi kya bahut se jagah par prakash jaa saheb apne aap ko duhrate hue dikhe.....Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-85173361800975776752010-06-26T00:16:46.704+05:302010-06-26T00:16:46.704+05:30आजकल फिल्मों के प्रोमो वीडियोज में कुछ दिखाते हैं ...आजकल फिल्मों के प्रोमो वीडियोज में कुछ दिखाते हैं और फिल्म कुछ और होती है, परन्तु प्रकाश झा से इस तरह की आशा नहीं कर रहा था | परन्तु देखने पर यही लगा की रामू की 'सरकार' (in turn Godfather) और महाभारत को मिक्स कर दिया गया हो साथ में मूवी के आने से पहले प्रोमो के जरिये ये एहसास दिलाया गया की कांग्रेस के पत्रों के इर्द-गिर्द रची गयी है (कैटरीना को बार-बार दिखाया जाना ); ऐसा थोडा बहुत है लेकिन सब मिक्स है | सो पूरी तरह आशा के अनुरूप नहीं गयी, थोडा गुस्सा भी आया | सामान्य श्रेणी में ही रखूँगा |<br />इससे अच्छी तो झा की 'अपहरण' ही थी कुछ कहानी बनती है उसमें, उसका मुद्दा भी समझ में आता है, 'राजनीति' में पता नहीं वो मारकाट को फोकस कर रहे हैं या महाभारत को या बस यूँ ही फिल्म बनाने के लिए ही फिल्म बनाकर टाइम पास कर रहे हैं |<br /><br />अभी कश्यप की <b>'उड़ान'</b> का बेसब्री से wait कर रहा हूँ |योगेन्द्र सिंह शेखावतhttps://www.blogger.com/profile/02322475767154532539noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-80823713329539933142010-06-26T00:10:38.938+05:302010-06-26T00:10:38.938+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.योगेन्द्र सिंह शेखावतhttps://www.blogger.com/profile/02322475767154532539noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-53541105932979620102010-06-25T21:51:34.737+05:302010-06-25T21:51:34.737+05:30एक वर्त्तमान राजनीतिग्य (प्रकाश झा) से ये आशा करना...एक वर्त्तमान राजनीतिग्य (प्रकाश झा) से ये आशा करना ही बेमानी है की वो वर्त्तमान राजनीति का (सच्चे मन से) चित्रण करेंगे. <br /><br />आपसे सहमत हूँ की आज की राजनीति बस अर्थ (पैसा) के आस-पास ही घुमती है.Rakesh Singh - राकेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/03770667837625095504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-26509351659755569042010-06-25T20:43:23.831+05:302010-06-25T20:43:23.831+05:30हमारा सदुपदेश नहीं है। शुभकामना है कि आप का ऐसा बढ़...हमारा सदुपदेश नहीं है। शुभकामना है कि आप का ऐसा बढ़िया लेखन लगातार जारी रहे।Himanshu Mohanhttps://www.blogger.com/profile/16662169298950506955noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-69278943375176313422010-06-25T10:40:28.637+05:302010-06-25T10:40:28.637+05:30राजनीति ने मुझे भी प्रभावित नहीं किया... फिल्म के ...राजनीति ने मुझे भी प्रभावित नहीं किया... फिल्म के पोस्टर देखकर लगता था कि इसमें कहीं सामयिक राजनैतिक माहौल और किरदारों की झलक मिलेगी लेकिन वह तो इसमें कहीं नहीं थी।<br /><br />महाभारत के इसमें पात्र थे, लेकिन कथानक गॉडफादर से लिया। बार-बार उंगली उठा कर कहने का मन कर रहा था कि यह तो मैंने देख रखा है। मनोज बाजपेयी प्रभावशाली रहे लेकिन अजय देवगन की प्रतिभा के साथ खिलवाड़ हुआ, मुझे लगता है कि जो रोल अर्जुन रामपाल को दिया गया उसके लिये वह ज्यादा सही थे। <br /><br />कौन यह नया लड़का शायद किसी बड़े अभिनेता की औलाद है, इसका मोम में ढला चेहरा देख-देखकर कोफ्त हुई। जिस तरह की पैनी सोच वाला व्यक्ति इसे दर्शाने की कोशिश की गयी वैसा यह एक सीन में भी नहीं लग पाया... मुझे तो ज्यादातर जगह यह एक ढीला, भोथरे दिमाग का डमी लगा। शायद 7-8 फिल्मों के बाद इसके अभिनय में रवानगी आये। सिर्फ एक भाषण के सीन में थोड़ा जमा।<br /><br />कैटरीन कैफ को पोस्टर पर देखकर लगता था कि किरदार अहम होगा लेकिन फिल्म के लगभग अंत में उनका ट्रांसफार्मेशन हजम नही हो पाया.<br /><br />बहरहाल फिल्म पैसा वसूल रही... सीटी बजाने के भी मौके तमाम थे।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-53845650480977454752010-06-25T10:17:17.820+05:302010-06-25T10:17:17.820+05:30मुझे लगता है कि जिस तरह की राजनीति इस देश में चल र...मुझे लगता है कि जिस तरह की राजनीति इस देश में चल रही है, उसे बचते बचाते पेश करना भी एक बड़ी हिम्मत का काम है .....एक जरा सा अंश लिए 'सरकार' क्या आ गई लगे अगवार पछवार करने लोग.....असल चीजें दिखाने पर तोड़ फोड़ और बैनिंग को कोई नहीं झेलना चाहेगा....इसलिहाज से प्रकाश जी ने बचते बचाते बीच का रास्ता ठीक समझा और सह सलामत बच भी निकले...फिल्म उसी बचते बचाते का ही कट शॉर्ट रूप है। <br /><br />बाकी तो दक्षिण के इन महानुभावों की राजनीति में अभी और न जाने कौन कौन से गठजोड़ होंगे कि समूची धरा को खोखला कर...खनन कर एक नया विवर न बन जाय.....राजनीतिक विवर और आने वाली पीढ़ियों को ये कह दें कि यह तो किसी बाहरी शक्ति....किसी उल्का पिंड आदि की देन है :)<br /><br /> अच्छी समीक्षा की है।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.com