tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post5240625016198125524..comments2023-10-27T15:06:34.550+05:30Comments on निर्मल-आनन्द: मार्क्सवादी आस्थायें और नन्दिग्रामीय निष्ठुरतायेंअभय तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-64228102023087749222007-03-21T18:39:00.000+05:302007-03-21T18:39:00.000+05:30सच तो यह है की यह भूतकाल में की गई बेवकुफी को ठीक ...सच तो यह है की यह भूतकाल में की गई बेवकुफी को ठीक करने की गलत कोशिश है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-43423576938342432402007-03-21T07:52:00.000+05:302007-03-21T07:52:00.000+05:30इतनी लंबी सोच नहीं हो सकती कि पहले गरीब बनाऒ फिर उ...इतनी लंबी सोच नहीं हो सकती कि पहले गरीब बनाऒ फिर उनको संगठित करो। सच तो यह है कि यह बाजार के आगे समर्पण है।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com