tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post4974915971215790937..comments2023-10-27T15:06:34.550+05:30Comments on निर्मल-आनन्द: जनादेश क्या है?अभय तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-75988854574230615332009-05-29T20:11:49.276+05:302009-05-29T20:11:49.276+05:30अभय जी आपने बहुत अच्छा विश्लेषण किया है इसके लिए ब...अभय जी आपने बहुत अच्छा विश्लेषण किया है इसके लिए बधाई हो लेकिन कुछ और भी बाते है जिसकी तरफ आपको ले चलने की कोशिश करुगा. शहर में रहते हुए हम लोग बाकि हिंदुस्तान को भूल जाते है अभी पिचले दिनों मेरा गाँव की तरफ जाना हुआ था और लोगो से मेरा भी यही सवाल था कि वो अगली सर्कार के बारे में क्या सोचते है. और इन सवालो के जबाब कि कुछ बानगी दे रहा हूँ शायद आपके विश्लेषण में काम आये. <br />किसान पहले ४५० रुपया कुंतल गेहू बेचता था अब सरकार ने गेहू का सरकारी मूल्य १०८० रुपया है ६५ रुपया कुंतल गन्ना का भाव पहले था जो कि अब १७५ रुपया कुंतल है और इसी तरह बाकी चीजो के दाम में भी फरक पड़ा है. और इसके विपरीत अरुण जेतली टीवी पर बार बार कहते सुने गए कि महगाई बहुत बढ़ गई है और उनकी सरकार आई तो खाद्दनो का दाम काम करेगे. लोगो का कहना था कि बीजेपी सबसे पहले किसानो का गला दबाएगी. काग्रेस को वोट मिलने के पीछे कुछ कारण यह भी है और आप यह बिलकुल नहीं कह सकते है कि सरकार ने किसानो के लिए कुछ नहीं किया है गांवो कि तस्वीर बहुत कुछ बदली है लेकिन उन्हें आशा बहुत है मनमोहन सिंह सरकार सेAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/07713657523946639395noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-73541186558520522502009-05-24T13:29:25.337+05:302009-05-24T13:29:25.337+05:30अभय, आपका ब्लौग बहुत सुन्दर और उपयोगी है. ऊपर हैडर...अभय, आपका ब्लौग बहुत सुन्दर और उपयोगी है. ऊपर हैडर में दिया गया बांसों का झुरमुट मन को भाता है. मैं आपकी लघु फिल्म देखना चाहूँगा. मैं फिल्मों का दीवाना हूँ और विश्व सिनेमा की बेहतरीन फिल्में देख चूका हूँ, बहुत सी देखना बाकी हैं. आप बहुत अच्छा लिखते हैं. मेरी शुभकामनायें.<br />आपके ब्लौग पर दिया गया हिंदी टूलकिट डाउनलोड करने का लिंक काम नहीं करता. इसे चैक कर लें.निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-60943491415662379502009-05-19T17:02:00.000+05:302009-05-19T17:02:00.000+05:30कांग्रेस का यूपी मे प्रयोग सफल रहा, बिहार मे फेल। ...कांग्रेस का यूपी मे प्रयोग सफल रहा, बिहार मे फेल। कमोवेश स्थिति ये थी कि यूपी मे हर पार्टी अपनी अपनी अंदरुनी कमजोरी से परेशान थी।ऊपर से वरुण गांधी ने बेवजह बयानबाजी करके मुस्लिम वोटो का ध्रुवीकरण कराया। तमिलनाडू मे डीमके ने लाज बचा ली, पश्चिम बंगाल मे तृणमूल कांग्रेस ने। अलबत्ता राजस्थान मे गहलोत का कमाल हुआ, वो भी बीजेपी की अंदरुनी गुटबाजी के कारण। मै तो अभी भी मानता हूँ, कि ये बीजेपी और एनडीए की हार है,। जाहिर है, उनकी हार मे कांग्रेस की जीत छिपी हुई है। <br /><br />इस जनादेश की सबसे अच्छी बात, गुंडा माफिया को जनता द्वारा नकारना है। राजनीतिक पार्टियां इस सन्देश को ठीक से समझे। जनता सोचती समझती सबकुछ है, लेकिन पाँच साल मे एक फैसला करती है।<br />कांग्रेस और उनके सहयोगियों को जीत की ढेर सारी शुभकामनाएं, अब जनता जल्द से जल्द आर्थिक सुधार देखना चाहेगी, भले ही कुछ कड़े फैसले लेने पड़े।<br />आपने बहुत अच्छी समीक्षा की है । आपके ब्लॉग पर बहुत दिनो आना हुआ अच्छा लगा।Jitendra Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/09573786385391773022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-16244864204165519952009-05-19T15:33:00.000+05:302009-05-19T15:33:00.000+05:30Achachha mulyankan kiya hai aapne.
-Zakir Ali ‘Ra...Achachha mulyankan kiya hai aapne.<br /><br /><A HREF="http://alizakir.blogspot.com/" REL="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</A><A HREF="http://tasliim.blogspot.com/" REL="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </A><A HREF="http://sciblogindia.blogspot.com/" REL="nofollow">& SBAI }</A>Science Bloggers Associationhttps://www.blogger.com/profile/11209193571602615574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-70553078530078506932009-05-18T08:50:00.000+05:302009-05-18T08:50:00.000+05:30मैंने भी कांग्रेस को मत दिया.....उस दल को जिसकी मौ...मैंने भी कांग्रेस को मत दिया.....उस दल को जिसकी मौजूदा आर्थिक नीतियों के विरोध में रहा हूं। जाहिर है कि यह विकल्पहीनता की मजबूरी ही है। अब यदि कोई मेरे मत को आर्थिक सुधारों के लिए जनादेश में गिनती करता है तो यह गलत ही होगा। यदि मुझे निजीकरण और बाजारीकरण की पूंजीवादी नीतियों के पक्ष में जनादेश देना होता तो मैं भाजपा को वोट देता। मैंने कांग्रेस को इसलिए वोट दिया क्योंकि मुझे अभी भी आशा है कि नेहरू खानदान के वारिस शायद अभी भी पी चिदंबरम की नीति को राम-राम कर पुरानी समाजवादी जड़ों की ओर लौटें।<br /><br /><br />भारतीय जनमानस आशावादी होता है। एक आशा के सहारे ही तो भारतीय किसान अपनी तमाम उम्र आकाश निहारते काट देता है।Ashok Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/14682867703262882429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-17840494521784348282009-05-17T20:43:00.000+05:302009-05-17T20:43:00.000+05:30जो भी विकल्प उभर कर आ रहे थे, उसमें शायद यही सबसे ...जो भी विकल्प उभर कर आ रहे थे, उसमें शायद यही सबसे बेहतर और स्थाईत्व देने वाला था. काफी उम्मीदें हैं इस विकल्प से.<br /><br />मुबारकबाद की तो बनती ही है.<br /><br />अच्छा विश्लेषण किया है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-31528266533644189762009-05-17T17:15:00.000+05:302009-05-17T17:15:00.000+05:30भारत के अधिकांश मतदाता विकल्पहीनता का शिकार हैं. क...भारत के अधिकांश मतदाता विकल्पहीनता का शिकार हैं. कम मतदान प्रतिशत शायद इसी का प्रमाण है.निशाचरhttps://www.blogger.com/profile/17104308070205816400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-2048162033390796552009-05-17T15:10:00.000+05:302009-05-17T15:10:00.000+05:30अडवानी को तो कोई भी प्रधानमंत्री के रूप में नहीं द...अडवानी को तो कोई भी प्रधानमंत्री के रूप में नहीं देखना चाहता था, यहां तक की भाजपा के कई दिग्गज नेता भी इसके विरोध थे। भाजपा को यही गलती तो भारी पड़ी है। <br /> एक नजर इधर भी देखें <br /><A HREF="http://rajtantr.blogspot.com/2009/05/blog-post_16.html" REL="nofollow">मनमोहन का अर्थशास्त्र आया काम-अडवानी का नहीं भाया नाम <br /></A>राजकुमार ग्वालानीhttps://www.blogger.com/profile/08102718491295871717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-3128651758379238612009-05-17T14:34:00.000+05:302009-05-17T14:34:00.000+05:30इस जनतंत्र का हाल यह हो रहा है कि इस में शासकशक्ति...इस जनतंत्र का हाल यह हो रहा है कि इस में शासकशक्तियाँ (देशी-विदेशी बड़े उद्योगपति और भूस्वामी) ही हमारे सामने विकल्प रखते हैं। हमें उन में से ही किसी को चुनना पड़ता है। जनता कब संगठित हो कर अपने प्रतिनिधि इन के मुकाबले लाने में सक्षम हो सकेगी?दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-5126269361981283252009-05-17T14:29:00.000+05:302009-05-17T14:29:00.000+05:30समीक्षा जँची । अबू आजमी पर लोगों को बेहिचक बताना ज...समीक्षा जँची । अबू आजमी पर लोगों को बेहिचक बताना जरूरी है - बनारस में भी उसने अमर सिंह के साथ ’धन्धा’ फैलाया है ।अफ़लातूनhttp://kashivishvavidyalay.wordpress.comnoreply@blogger.com