tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post4673967630116600968..comments2023-10-27T15:06:34.550+05:30Comments on निर्मल-आनन्द: ३६५ दिन का मौन ?अभय तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-67827057415274592742007-04-24T12:01:00.000+05:302007-04-24T12:01:00.000+05:30क्या भाई ,आपने बताया नही कि कितने दिन का मौन रखा ह...क्या भाई ,आपने बताया नही कि कितने दिन का मौन रखा है? मौन टूट्ने का इन्तज़ार है....VIMAL VERMAhttps://www.blogger.com/profile/13683741615028253101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-21331958404869922322007-04-19T16:03:00.000+05:302007-04-19T16:03:00.000+05:30अभय भाई,भई मेरे को जो दिखा, सही समझ मे आया आपके सा...अभय भाई,<BR/><BR/>भई मेरे को जो दिखा, सही समझ मे आया आपके सामने रखा, कोई जरुरी नही है कि सभी लोग मेरे विचारों से सहमत हो। आप अपने ब्लॉग पर लिखने ना लिखने के लिए स्वतंत्र है।<BR/><BR/>बस एक बात ही कहना चाहता था कि मृतकों को श्रद्दांजिली मौन रहकर ही दी जाती है। मै ३० तारीख को नही लिखूंगा बाकी लोग अपने स्तर पर स्वयंविवेक से निर्णय लें।Jitendra Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/09573786385391773022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-87867247048424412002007-04-19T12:33:00.000+05:302007-04-19T12:33:00.000+05:30मेरी भी सहमति दर्ज कीजिए। इस तरह का मौन किन्ही ज्...मेरी भी सहमति दर्ज कीजिए। इस तरह का मौन किन्ही ज्यादा गंभीर और व्यापक मसलों पर उतनी ही गंभीरता के साथ विचार नहीं, बल्कि संवेदनशीलता की नौटंकी है। आपने बिल्कुल ठीक लिखा है।<BR/>मनीषाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-10787901316333847352007-04-19T11:55:00.000+05:302007-04-19T11:55:00.000+05:30मौन मन की शुद्धि के लिए व्यक्तिगत रूप से करें.लिखन...मौन मन की शुद्धि के लिए व्यक्तिगत रूप से करें.लिखना स्वान्तः सुखाय के साथ सामाजिक जिम्मेदारी भी है. प्रतिवाद कभी स्थगित नहीं होना चाहिए . गलत बात के विरोध का स्वर मंद नहीं पड़ना चाहिए . हां! यह ज़रूर है कि कभी-कभी ज्यादा हो-हल्ले और रोवा-रोहट के बाद जब शब्दों के पनारे पर पनारे बह रहे हों तो मौन रहने का मन होने लगता है .Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-61017915826226654332007-04-19T09:39:00.000+05:302007-04-19T09:39:00.000+05:30सही कहा आपनेसही कहा आपनेPratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-31868621619711130652007-04-19T09:00:00.000+05:302007-04-19T09:00:00.000+05:30मौन रहने के कारण ही ये सब हुआ, अगर जनता से घुलता म...मौन रहने के कारण ही ये सब हुआ, अगर जनता से घुलता मिलता तो उसे अवसाद नही होता, अवसाद नही होता तो शायद ये घटना भी नही होती।<BR/><BR/>मौन रहने के कारण ही ये सब हुआ, अगर गन इतनी आसानी से उपलब्ध कराने के लिये विरोध हुए होते तो शायद ये नही होता।<BR/><BR/>लेकिन क्या कर सकते हैं, होनी तो होकर रहे अनहोनी ना होए। हमारी संवेदना उन ३३ लोगो के लिये भी है और उन १२३ (या १४०) लोगों के लिये भी।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-14518475869790970012007-04-19T06:10:00.000+05:302007-04-19T06:10:00.000+05:30मेरी भी सहमति है . वैसे भी अपन कोई डेली तो लिखते न...मेरी भी सहमति है . वैसे भी अपन कोई डेली तो लिखते नहीं हैं इसलिये इसका विरोध नही किया था... जब मन आया मौन रख लिया . लेकिन यदि हम गहराई से सोचें तो समझ आयेगा कि हम क्या करने जा रहे हैं . सिर्फ और सिर्फ पिछलग्गू बन रहे हैं . क्या कभी किसी मुद्दे पर हिन्दी चिट्ठा जगत मौन रखता है तो क्या बाकी दुनिया वाले उसे मानेंगे. और वहां तो केवल कुछ लोग मरे हैं वो भी सिर्फ एक व्यक्ति के पागलपन से इससे भी बड़े बड़े किस्से यहां होते हैं तब तो नहीं रखते हम मौन . क्या किसी ने मुम्बई बम धमाकों के समय मौन रखा था ?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-54544011587190896582007-04-19T05:12:00.000+05:302007-04-19T05:12:00.000+05:30मेरी सहमति भी दर्ज की जाए.मेरी सहमति भी दर्ज की जाए.v9yhttps://www.blogger.com/profile/07973018577021600722noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-13233207906666790932007-04-19T01:18:00.000+05:302007-04-19T01:18:00.000+05:30अमरीका में घटी किसी भी घटना से हम आखिर इतना भावुक ...अमरीका में घटी किसी भी घटना से हम आखिर इतना भावुक क्यों होने लगते हैं? फिर हर साल नृशंसता के ऐसे किस्से हो रहे हैं वहां, बस मरनेवालों की संख्या में फर्क आता है। गस वान सांट की एक कान पुरस्कृत फिल्म है 'एलीफेंट', स्कूल परिसर में दो लड़कों की अंधाधुंध फायरिंग की सत्यकथा पर आधारित। मायकल मूर ने 'बॉलिंग फॉर कॉलम्बाइन बनाई थी अमरीकी समाज के हथियारों से ओब्सेशन के थीम पर। सरकार ने वहां इस विषय में अबतक क्या किया है? स्कूल परिसरों व कैंपसों में बच्चे हथियार लेकर पहुंच रहे हैं ऐसे फार्स पर हम गुस्सा हों कि शोक मनायें? फिर यह तो व्यक्ति विशेष के मानसिक विकार का क्षेत्र है, उस अमरीकी बड़े सामाजिक विकार का कहां-कहां शोक मनायें और किस तरह का मौन धरें जो इराक को इतने वर्षों से आक्रांत किये है?azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-67108424494531516462007-04-19T00:01:00.000+05:302007-04-19T00:01:00.000+05:30इराक़ में आज ही 120 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं बम ...इराक़ में आज ही 120 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं बम धमाकों में. उनके लिए भी तो दिल दुखना चाहिए. कितना रोएँगे...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-11480189561183444882007-04-18T21:45:00.000+05:302007-04-18T21:45:00.000+05:30अभयजी के विचारों से सहमति है ।अभयजी के विचारों से सहमति है ।Anonymousnoreply@blogger.com