tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post3226438579258789603..comments2023-10-27T15:06:34.550+05:30Comments on निर्मल-आनन्द: रिलायंस दि रियल नटवरअभय तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-1635236267170512472009-02-02T10:22:00.000+05:302009-02-02T10:22:00.000+05:30रिलायंस दि रियल नटवर की जानकारी के लिये बहुत धन्यव...रिलायंस दि रियल नटवर की जानकारी के लिये बहुत धन्यवाद,Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-63614934199580871262009-02-01T04:18:00.000+05:302009-02-01T04:18:00.000+05:30ab inconvenienti सही कहते हैं, द पालिएस्टर प्रिंस ...ab inconvenienti सही कहते हैं, द पालिएस्टर प्रिंस की सारी प्रतियां एकदम खरीद लीं गयीं और अब प्रकाशक उसे नहीं बेच रहा है. दो साल पहले हिन्दुस्तान में पायरेसी में यह उपलब्ध थी. आजकल वह भी गायब है.<BR/><BR/>लेकिन इन्टरनेट जिन्दाबाद.<BR/>इसका ई-बुक वर्जन निम्न लिंक पर डाउनलोड के लिये उपलब्ध है.<BR/>http://rapidshare.com/files/192225622/ThepolysterPrince.rar.htmlAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-21055054944516777162009-02-01T00:19:00.000+05:302009-02-01T00:19:00.000+05:30ham bhrastan ke bhrast hamare.....ausi hi bat dikh...ham bhrastan ke bhrast hamare.....ausi hi bat dikhti hai ab to har jageAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-83326754964834755782009-01-31T22:55:00.000+05:302009-01-31T22:55:00.000+05:30Aah Indian Journalism (electronic)!!!...don't want...Aah Indian Journalism (electronic)!!!...don't want to sound cynical but I don't see any ray of hope either...ye patrakarita paidaa hone se pehlehi mar gayee humaare desh mein...Lets enjoy "the first lady" Neeta Ambani's interview on NDTV...<BR/> I agree with Mr.Chiplunkar that no one speaks about business community and religion...humaare desh mein nyaay bhee haisiyat or auhde ke hisaab se miltaa hai...We are a great democracy you know...<BR/><BR/>BTW, I am the fortunate(?) one to read Polyester Prince(a smuggled copy) but I haven't read this one...will read it this Summer vacation for sure...Thanks for returning to the blog-world.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/02247441408324864963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-82448319360595473932009-01-31T22:13:00.000+05:302009-01-31T22:13:00.000+05:30पॉलीएस्टर प्रिंस मेरे पास भी पड़ी है, इंदौर के पाइ...पॉलीएस्टर प्रिंस मेरे पास भी पड़ी है, इंदौर के पाइरेसी बुक स्टाल से ली थी. अगर आपको भारत में पायरेटेड किताबों के अड्डे मालूम हों तो ही इसे खरीद सकते हैं, वरना लीगल प्रति दुनिया के किसी बुकस्टोर या लाइब्रेरी में नहीं मिलेगी, सिर्फ़ हारवर्ड या लाइब्रेरी ऑफ़ कांग्रेस जैसे पुस्तकालयों में ही कुछेक प्रतियाँ हैं. शायद यह 'एलेन एंड अन्विन' (प्रकाशक) के पास भी बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं है. अमेज़न और बर्न्स एंड नोबल के पास भी यह पुस्तक आउट ऑफ़ स्टॉक है.<BR/><BR/><B>हर बड़े और ताक़तवर कारोबार की नींव गुनाहों से चुनी जाती है.</B>----- मारियो पुज़ो <I>('द गॉडफादर' में)</I>ab inconvenientihttps://www.blogger.com/profile/16479285471274547360noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-63016241671052317432009-01-31T20:06:00.000+05:302009-01-31T20:06:00.000+05:30मैथिली जी@.. यानी आप ने भी यह किताब पढ़ी है.. आप भी...मैथिली जी@.. यानी आप ने भी यह किताब पढ़ी है.. आप भी कुछ लिख डालिए.. <BR/>और पोलिएस्टर प्रिन्स के बारे में सुना है.. पढ़ी नहीं.. मिली नहीं.. आप के पास है क्या?अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-76334035805869828392009-01-31T19:26:00.000+05:302009-01-31T19:26:00.000+05:30चलिये आपने भी ये किताब पढ़ ली.क्या आपने अम्बानी के...चलिये आपने भी ये किताब पढ़ ली.<BR/>क्या आपने अम्बानी के ऊपर लिखी द पोलिस्टर प्रिंस पढ़ी है?मैथिली गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/09288072559377217280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-51288425280280854642009-01-31T14:53:00.000+05:302009-01-31T14:53:00.000+05:30वसंत पंचमी की शुभकामनाएंवसंत पंचमी की शुभकामनाएंpurnimahttps://www.blogger.com/profile/11242876475538217323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-47562966282440129172009-01-31T14:17:00.000+05:302009-01-31T14:17:00.000+05:30"...और सब ने नटवर जैसे भ्रष्ट, अनैतिक मंत्री को सत..."...और सब ने नटवर जैसे भ्रष्ट, अनैतिक मंत्री को सत्ता से धकेल कर ही दम लिया जब देश में वापस शुचिता की बयार मंद-मंद बहने लगी।"<BR/><BR/>भाई, ये छायवादी पंक्तियां बहुत पसंद आईं। बाकी पुस्तक की सूचना समेत समूची पोस्ट ज्ञानवर्धक थी। आनंदम् आनंदम् ....अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-77876691068678410902009-01-31T11:42:00.000+05:302009-01-31T11:42:00.000+05:30अभयजी,इस पोस्ट के लिये बहुत धन्यवाद, इसके बारे में...अभयजी,<BR/>इस पोस्ट के लिये बहुत धन्यवाद, इसके बारे में १-२ जगह पढा अवश्य था लेकिन प्रामाणिक जानकारी आपके चिट्ठे से मिली।<BR/><BR/>किन पत्रकारों की बात कर रहे हैं, उनकी जो एक ब्लाग पर अपनी जरा भी आलोचना बर्दाश्त न सके और पूरे NDTV का लीगल डिपार्टमेण्ट एक इकलौते ब्लागर के पीछे लगाकर उसको प्रताडित करने की कोशिश की। अफ़सोस की बात है कि हिन्दी ब्लागरों में पत्रकारों की भारी जमात के बावजूद किसी ने इस पर एक शब्द तक लिखना उचित नहीं समझा। अधिक जानकारी इस लिंक से लें<BR/>http://www.desipundit.com/2009/01/28/blogger-silenced-by-ndtv/Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-18106609124024339662009-01-31T11:13:00.000+05:302009-01-31T11:13:00.000+05:30आपको और तिवारी जी दोनों को धन्यवाद, लेकिन अब इस तर...आपको और तिवारी जी दोनों को धन्यवाद, लेकिन अब इस तरह की रिपोर्टें आम हो चली हैं, भ्रष्टाचार को हमने शिष्टाचार मान लिया है… आपके और मेरे खून के खौलने से क्या फ़र्क पड़ता है? मैं कहूँगा कि इसीलिये एक देशभक्त हिटलर चाहिये, आप कहेंगे कि नहीं लोकतन्त्र और न्यायपालिका पर भरोसा करना चाहिये, तीसरा कहेगा कि ये सब बेकार की बाते हैं… होगा कुछ भी नहीं, आप लिखेंगे-मैं लिखूंगा सिर्फ़ भड़ास और गुस्सा निकालने के लिये, हम भी जानते हैं कि उद्योग जगत और धर्म के खिलाफ़ न कोई बोलता है न कोई छापता है… आत्मा को गिरवी रख चुके इस देश के लोगों में मुझे तो कोई खास उम्मीद नज़र नहीं आती…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.com