tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post2806035558557116211..comments2023-10-27T15:06:34.550+05:30Comments on निर्मल-आनन्द: कब होगी क्रांति?अभय तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-71309101324165221602007-08-22T21:58:00.000+05:302007-08-22T21:58:00.000+05:30भाई बेनाम, अनुनाद मेरे पाठक हैं.. उनके मान की रक्ष...भाई बेनाम, अनुनाद मेरे पाठक हैं.. उनके मान की रक्षा मेरा धर्म है..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-88136813476126050102007-08-22T18:54:00.000+05:302007-08-22T18:54:00.000+05:30काट दिए गुरू...? अनुनाद सिंह पर मेरे आप्त वाक्य को...काट दिए गुरू...? अनुनाद सिंह पर मेरे आप्त वाक्य को थोड़ा फ़िल्टर करके लगा देना था...<BR/><BR/>पर आप मालिक हैं. आपकी सदिच्छा.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-60455194405093144572007-08-22T18:53:00.000+05:302007-08-22T18:53:00.000+05:30मने कुल जमा समझ में ये आया कि हिंसा के बग़ैर आप क्...मने कुल जमा समझ में ये आया कि हिंसा के बग़ैर आप क्रांति करना चाहते हैं. मानता हूँ कि हिंसा का विरोध हर स्तर पर होना चाहिए, मगर हिंसा के बिना परिवर्तन होता नहीं है. देखें कैसे:<BR/>1- दो सौ अड़तीस साल तक नेपाली जनता ने राजशाही को अवसर दिया -- मगर माओवादियों की बंदूक़ ही राजा को (संभवतया राजशाही को भी) कोने में बिठा सकी.<BR/>2- सद्दाम हुसैन ने हिंसक राज चलाया, बुश ने बम मार मार कर इराक़ियों के चीथड़े उड़ा दिए और अब इराक़ी तमाम लोगों के चीथड़े उड़ा कर अमरीकी जनतंत्र का ये प्रयोग असफल करने में लगभग सफल हो रहे हैं.<BR/>3- इसराइल गनशिप से मिसाइल छोड़ता है, फ़लस्तीनी लोग टुकड़ों में बदल जाते हैं... फ़लस्तीनी ख़ुद पर बम बाँधकर इसराइलियों के बीच स्वाहा हो जाता है. दुनिया का ध्यान इस समस्या की ओर बना रहता है.<BR/>4- वियतनाम का ज़िक्र करने की कोई ज़रूरत नहीं.<BR/>5- कश्मीर तब तक नक़्शे के पीछे रहा जब तक वहाँ एके-47 का राज नहीं हुआ.<BR/>6- सुभाष बोस, भगत सिंह आदि वादि की भी बात नहीं करूँगा.<BR/>7- गाँधी की राजनीति अँगरेज़ों को सुहाती थी -- क्योंकि ख़तरनाक या हिंसक नहीं थी.<BR/><BR/>इसका मतलब ये नहीं है कि हिंसा अत्यावश्यक अवयव है. उसके बिना भी काम चल सकता है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-29234555854807700792007-08-22T13:12:00.000+05:302007-08-22T13:12:00.000+05:30बहुत बीहड़ व टेढ़े सवाल हैं.. इसीलिए तो घर-बाहर हर...बहुत बीहड़ व टेढ़े सवाल हैं.. इसीलिए तो घर-बाहर हर कहीं इनपर सोचते-सोचते जीना मुहाल बना हुआ है..azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-70584595156678341822007-08-22T13:10:00.000+05:302007-08-22T13:10:00.000+05:30आपकी मार्क्स पर आस्था मुझे प्रभावित करती है. बाकी ...आपकी मार्क्स पर आस्था मुझे प्रभावित करती है. बाकी देखें, क्या होता है!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-76217732305593873372007-08-22T11:27:00.000+05:302007-08-22T11:27:00.000+05:30शिवकुमारजी मैं आप से सहमत हूँ..अनुनाद, जो लोग मार्...शिवकुमारजी मैं आप से सहमत हूँ..<BR/><BR/>अनुनाद, जो लोग मार्क्स को भविष्यवक्ता या भगवान समझने की भूल करेंगे उनका ये रूप हो ही जाना है..मार्क्स एक विचारक थे.. दुनिया की हर बीमारी के इलाज की पुडिया नहीं.. उनके पहले भी लोगों ने अदभुत बाते कहीं है.. आगे भी कहेंगे.. वे मानव के वैचारिक विकास का आदि और अन्त थोड़ी हैं.. पर साथ ही साथ उनके योगदान और वैचारिक ऊँचाई को अनदेखा करके लाभान्वित न होना भी बेवकूफ़ी होगी..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-35072574145990108592007-08-22T10:49:00.000+05:302007-08-22T10:49:00.000+05:30समय ने सिद्ध कर दिया है कि बाबा मार्क्स का चिन्तन ...समय ने सिद्ध कर दिया है कि बाबा मार्क्स का चिन्तन कितना गहरा था । मैने मार्क्सवाद को जितना भी पढ़ा, मुझे सब कुछ उच्च कोटि का वाक्-जाल ही लगा। कोई मुझे बताये कि इन डेढ़ सौ वर्षों में मार्क्स की कौन सी भविष्यवाणी सही साबित हुई? <BR/><BR/>ऐसे में यदि बाबा की लकीर पीटने वालों को सबसे बड़ा 'फण्डामेन्टलिस्ट' और कठमुल्ला कहा जाय तो गलत नहीं होगा।अनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-71010444843061337802007-08-22T09:31:00.000+05:302007-08-22T09:31:00.000+05:30अभय जी, रक्तपात तो नहीं होना चाहिए, क्योंकि अगर रक...अभय जी, <BR/><BR/>रक्तपात तो नहीं होना चाहिए, क्योंकि अगर रक्तपात के बाद ये पता चले कि जिस क्रांति को आना था वह नहीं आई तो तकलीफ दो गुना बढ जायेगी.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.com