tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post1173672589606059481..comments2023-10-27T15:06:34.550+05:30Comments on निर्मल-आनन्द: ब्लॉगर को टिप्पणी करने वाला चाहियेअभय तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-5710095951191522342007-12-19T04:33:00.000+05:302007-12-19T04:33:00.000+05:30अभय जी आपकी ये पंक्तियां सार है, और खोजें तो समाधा...अभय जी आपकी ये पंक्तियां सार है, और खोजें तो समाधान भी-<BR/>मेरी समझ में सामाजिक तौर पर हिन्दी समाज एक हीनग्रंथि से ग्रस्त समाज है.. <BR/>दिलीप भाई की ये बात बढ़िया रही कि-हमारा संवाद बिना किसी कड़वाहट के पूरा हो रहा है । <BR/>अब खुद की बात। अभयजी , ऐसा कब तक चलेगा कि मेरे मन की बातें आप लिखते रहेंगे और मै कमबख्त, बदबख्त सिर्फ सफर की कड़ियां लिखता रहूंगा...कब तक... आखिर कब तक।<BR/>टिप्पणी लिखवा लेती है पोस्ट । समय का तोड़ा न हो तो बिना अपेक्षा के सिर्फ टिप्पणियां ही करता रहूं में।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-74532219184111634372007-12-18T22:50:00.000+05:302007-12-18T22:50:00.000+05:30अभय जी, टिप्पणियों का हमारी विधा में महत्व है और इ...अभय जी, टिप्पणियों का हमारी विधा में महत्व है और इससे इनकार मुझे भी नहीं है। लेकिन एक ब्लॉगर उठता है, एक एक कर कुछ ब्लॉग पर जाता है, एक-एक लाइन में जोई सोई कछु लिख देता है, तो ऐसी टिप्पणियां किसी को क्या सुख दे सकती है, ये मेरी समझ से परे है। किसी ब्लॉगर की एक पंक्ति से प्रेरणा लेकर कह रहा हूं कि जब हिंदी में लाखों ब्लॉग होंगे तो न ऐसी टिप्पणियों की जरूरत होगी न ही ब्लॉग मिलन की। अभय भाई, मुझे खुशी है और इस बात का सुख भी, कि हमारा संवाद बिना किसी कड़वाहट के पूरा हो रहा है और आगे संवाद की गुंजाइश बनी हुई है। नमस्ते।दिलीप मंडलhttps://www.blogger.com/profile/05235621483389626810noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-10241272503033776452007-12-18T13:06:00.000+05:302007-12-18T13:06:00.000+05:30अपन तो जी एक ही टिपण्णी करना चाहते है कि" टिपण्णी ...अपन तो जी एक ही टिपण्णी करना चाहते है कि<BR/>" टिपण्णी है तो ब्लाग, ब्लागियर और पोस्ट है वरना कुछ नही."बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-45129767962383635942007-12-18T11:39:00.000+05:302007-12-18T11:39:00.000+05:30टिप्पणियाँ चाहिए भाई....बिना इसके लिखते रहना मुश्क...टिप्पणियाँ चाहिए भाई....बिना इसके लिखते रहना मुश्किल होता है...बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/09557000418276190534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-10963532500164956852007-12-18T11:33:00.000+05:302007-12-18T11:33:00.000+05:30टिप्पणीयाँ प्रेरणा स्वरुप होती हैं।और शायद किसी हद...टिप्पणीयाँ प्रेरणा स्वरुप होती हैं।और शायद किसी हद तक लेखन को सार्थकता का आभास देती है।anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-44299392199349939642007-12-18T11:19:00.000+05:302007-12-18T11:19:00.000+05:30चमचागिरी की परिभाषा आज तक सर्व मान्य इस लिए नही बन...चमचागिरी की परिभाषा आज तक सर्व मान्य इस लिए नही बन पायी कि अपने द्वारा ख़ुद के लिए पाये शब्द<BR/>सम्मान ,आदर और सही करार दिया जाता है .दूसरे के लिए यही शब्द अतिशयोक्ति दिखती है . जिसे एक <BR/>साधारण आदमी चमचागिरी ,या चाटुकारिता कह जाता है. टिपण्णी जारी रहे . ब्लोगर मीट भी हो .<BR/>किसी का थोपा हुआ सिधांत , विचार को कैसे मान लेगा . जरूरी है केवल साफ सुथरे विचार उकेरे जाएँ पढेंगे अच्छा लगेगा टिपण्णी देंगे ही . अच्छा नही लगेगा तब भी टिपण्णी देने कि हिम्मत रखनी होगी . क्योंकि साहित्य अगर समाज का दर्पण है . तो दर्पण साफ रहे इसी बात कि दरकार है . समीर साहेब से सहमति<BR/>है. मिहिर भोज साहेब पेशे से डॉ. हैं उनतक टिपण्णी के माध्यम ही जाना हुआ . बथुआ और रूसी फटी एडियों<BR/>सब पढ़ पाया जो काफ़ी लाभ प्रद लगा . बिना टिपण्णी के आ गए . पर ये मेरी चमचागिरी मे ही गिना जाएगा<BR/>तो भी कोई बात नही . अच्छे को अच्छे ही कहा जाना चाहिए बुरा को बुरा . ये टिपण्णी द्वारा ही सम्भव हैसंजय शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06139162130626806160noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-15729779789674092332007-12-18T00:47:00.000+05:302007-12-18T00:47:00.000+05:30सही कहा आपने ...अंदाज भी अच्छा लगा ...बधाईसही कहा आपने ...अंदाज भी अच्छा लगा ...बधाईReetesh Guptahttps://www.blogger.com/profile/12515570085939529378noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-9434519993563333112007-12-17T22:52:00.000+05:302007-12-17T22:52:00.000+05:30आलेख http://anvarat.blogspot.com/पर मिल जाऐंगे।आलेख http://anvarat.blogspot.com/पर मिल जाऐंगे।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-87926663264589504472007-12-17T22:47:00.000+05:302007-12-17T22:47:00.000+05:30भाई, ब्लॉगर को टिप्पणी संजीवनी है। गाली भी चलेगी। ...भाई, ब्लॉगर को टिप्पणी संजीवनी है। गाली भी चलेगी। आप मेरे ये आलेख पढें तो शेष टिप्पणी पूरी हो जाएगी।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-87994053379397319172007-12-17T22:26:00.000+05:302007-12-17T22:26:00.000+05:30दिलीप जी ने लिखा वो भी ठीक था और और आप ने जो कहा व...दिलीप जी ने लिखा वो भी ठीक था और और आप ने जो कहा वो तो बहुत ही अच्छा है,पर टिप्पणी का सिर्फ ये मतलब निकाल लेना कि सिर्फ टिप्पणी चाटुकारिता के लिए ही की जाती है गलत है,टिप्पणी करने से पढना भी जरूरी है मतलब कि आपने जो भी बङा सोच समझकर लिखा वह किसी ने पढा तो सही.यहां सब स्थापित लेखक नहीं है मेरे जैसे लोग जो लेखक नहीं पर सोचते बहुत हैं उनके लिए चिटठा लेखन अपने को अभिव्यक्त करने का एकमात्र साधन है,टिप्पणियां आपको सुधरने का और अपने विचारों को और अधिक तरीके से अभिव्यक्त करने का मौका देती हैdrdhabhaihttps://www.blogger.com/profile/07424070182163913220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-75100333051244484452007-12-17T21:29:00.001+05:302007-12-17T21:29:00.001+05:30मैं समीर जी के विचारो से सहमत हूँ यदि ब्लागर को प्...मैं समीर जी के विचारो से सहमत हूँ यदि ब्लागर को प्रोसाहित न किया जाए तो ब्लागर की रूचि नही रहती है और ब्लॉग बंद होने की कगार पर आ जाते है. इसीलिए ब्लागर को प्रोत्साहित किया जाना चाहिएसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-44958679433130669632007-12-17T21:29:00.000+05:302007-12-17T21:29:00.000+05:30aje hum kya mar gayein hain jo aap aisee munaadi k...aje hum kya mar gayein hain jo aap aisee munaadi karwaa rahein hain aap likte jaaye hum aapki chippiyon par ek se ek tippiyan lagaayenge. <BR/><BR/> aapka <BR/> jholtanmaअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.com