रविवार, 29 सितंबर 2013

संगीत विचारशील नहीं होता

संगीत भावशील होता है। 

संगीत बुद्धि का निषेध करता है। जब तक संगीत चलता है। और आप बह गए तो बुद्धि के हाथ-पैर नहीं चलते। संगीत बांध देता है। रोक देता है। बुद्धि की कैंची की दोनों धारें जुड़ जाती हैं। एक हो जाती है। 


संगीत से एका क़ायम हो जाता है। सांस और धड़कन का। लय और ताल का। मन और तन का। जीव और ईश्वर का। 

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2 टिप्‍पणियां:

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