गुरुवार, 29 जुलाई 2010

कलामे रूमी से दो कलाम

पानी और प्यासा



इश्क़ का ज़हर

10 टिप्‍पणियां:

  1. दोनों शानदार...पढ़ने का अंदाज भाया.

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  2. दोनो ही सुन्दर और सारगर्भित रचनायें। सुनने से अर्थ गहरा जाता है।

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  3. अगर प्यासा पानी खोजता है तो पानी भी प्यासा खोजता है.........hmm

    दोनों बहुत शानदार रचनाएं हैं।

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  4. सुन्दर |

    पर यह कैसा संयोग है, पिछली बार भी और इस बार भी, As the विडियो starting The पंखा stop running.
    आवाज साफ़ रिकॉर्ड हो इसलिए बंद कर रहे हैं या बिजली की समस्या सार्वभौमिक है |

    आसपास कहीं ग़ुलाम भी सुर मार रहा है | ;-)

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  5. kya baat hai bhai sahab ..kya baat hai,kya baat hai.

    ye bimar rota hai ki muzhe aur bimar bana..
    kya baat hai.

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  6. अभी ठीक से खुले नहीं दोनों फ़ाइल...फिर आती हूँ...

    लिखकर भी दे दते तो बड़ा अच्छा रहता...क्योंकि लिखा हुआ कमजोर नेट कनेक्शन में पढ़ा जा सकता है...

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  7. अमें यार, इ का होइ गवा है..हेडिंग अउर कमेंट तो देखाई देत हैं, मुला जौन लिखे हौ तौन गायब है...या बीमारी कुछ दिनन से लगातार बनी है...कुछ ठोंका ठांकी करो तो सायद सुधरै..

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(सिवाय गालियों के..भेजने पर वापस नहीं की जाएंगी..)