सोमवार, 31 मई 2010

बस आने वाली है...

कलामे रूमी


जो नतीजा है इस मेहनत का..

15 टिप्‍पणियां:

  1. संयोग देखिए। राजकुमार केसवानी ने भी रूमी का अनुवाद किया है: "जहान-ए-रूमी"। और उनके अनुवाद की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। पहले अंग्रेज़ी से फिर सीधे फ़ारसी सीखकर। नहीं, मैं पूरी बात नहीं जानता, एक दुकान पर उनकी किताब की प्रस्तावना अधूरी पढ़ी थी। शायद आप दोनों एक दूसरे के काम से अनजान हैं।

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  2. अलिए, आपकी फिल्म तो अब तक न देख पाये, यह किताब जरुर मंगा लेंगे. इसे तो पढ़ना ही पड़ेगा.

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  3. आपको बधाई एवं शुभकामनाएँ.

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  4. इधर कोटा में मिल गई तो कल ही खरीदते हैं। वर्ना 25 तक का इंतजार करना पड़ेगा जब जोधपुर-जयपुर जाना होगा।

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  5. Priy Abhay,
    Bahut sundar kitab dikh rahi hai aur andar ka masaala to bariya hi hai aisa mujhe pata hai. Mubarakbaad. Cover kya Pramod bhai ne banaya hai?
    sanjay joshi

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  6. रूमी का पढ़ैया रहेन , अच्छा किहेव कि किताब
    लिखी डारेव ! अब जब देखाए , खरीद लियब !
    बधाई भाय !

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  7. सभी मित्रों को अनेक धन्यवाद।
    संजय @

    प्रमोद भाई के सहयोग से विनीता ने एक कवर बनाया है उसका इस्तेमाल हार्डबैक के लिए होगा।

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  8. बहुत बधाई अभय भाई,
    आपकी मेहनत सार्थक हुई और अब इसका लाभ हिन्दी जगत को भी मिलेगा। राजकुमार केसवानीजी की जहाने रूमी भी पिछले साल देखने में आई थी। वाणी से छपी है और अब कलामे रुमी आपकी। पहली फुरसत में ही दोनों को एक साथ अपने पुस्तक संग्रह में शामिल करता हूं।
    आपकी सजग चेतना इसी तरह रचनात्मक रूपाकारों में सामने आती रहे और इसके लिए आपको वांछित संसाधन भी मिलते रहें इसी कामना के साथ।
    अजित

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  9. अब आने वाली किताब का इंतज़ार रहेगा... सरपत का इंतज़ार भी अब तक है...कभी न कभी दोनो देखने पढने को मिल जाएँगे... आपको ढेरों शुभकामनाएँ

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  10. बधाई ! हमें समझ में आ जायेगी? आने पर कोशिश करके देखते हैं.

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