शनिवार, 26 अप्रैल 2008

असली अश्लील कौन है?


आई पी एल चीयरलीडर्स मामले से ये एक बार फिर से सिद्ध हो गया है कि समरथ को नहि दोस गुसाईं.. आप के पास पैसा हो ताक़त हो, सत्ता हो तो आप कुछ भी कर सकते हैं। ये वही आर.आर पाटिल हैं जो बार बालाओं के विरुद्ध तब तक अभियान चलाते रहे जब तक कि उनकी रोजी-रोटी का एकमात्र ज़रिया शुद्ध वेश्यावृत्ति नहीं रह गया। बार में काम करते हुए कम से कम उनके पास अपनी मोटी कमाई के चलते ये विकल्प था कि वे अपने धंधे की सीमाओं को खुद तय कर सकें। अब उनको अपने आप को बेचने के लिए दल्लों को सहारा लेना पड़ रहा होगा और वह भी छिप-छिपा के। पर पाटिल साब के लिए समाज अब बार-बालाओं के आक्रमण से सुरक्षित है और प्रदेश की जनता स्टेडियम में नैनसुख लेने की लिए आज़ाद!

खबर है कि कल पाटिल साब, जो शरद पवार की पार्टी के ही एक सिपाही हैं, ने चीयरलीडर्स का मुआइना किया और उस में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाया और कहा कि उन्होने प्रदेश में बार में नाच पर रोक लगाई है नाच पर नहीं। पाटिल साब की मुख्य चिंता शराब और शबाब के मिलन के है.. उनका मानना है कि शराब पियो.. क़ानूनी है.. शबाब का सेवन अलग से करो.. कहीं न मिले तो टी.वी खोल के आई.पी.एल. देखो.. सब क़ानूनी है.. पर एक साथ.. नो सन नो.. दैट्स इल्लीगल.. !

आगे कहते हैं कि बार में नाच के दौरान मनोरंजन के नाम पर आपराधिक गतिविधियों चल रही थीं.. अरे तो भाई अपराधियों को सजा देते..उन पर रोक लगाते मगर आप ने तो बेचारी लड़कियों की नौकरी ले ली! ये तो वही बात हुई कि बलात्कार के बाद आप सारा दोष लड़की के सर डाल दें कि उसी ने उकसाया होगा। और वैसे सबसे ज़्यादा आपराधिक गतिविधियाँ तो राजनेताओं के आस-पास चलती हैं.. उनके बारे में क्या ख्याल है? हैं?

साथ ही साथ इन चीयरलीडर्स की वार्डरोब और डान्स स्टेप की भी जाँच की गई और उस में कुछ भी अश्लील नहीं पाया गया। लेकिन ये पुछ्ल्ला भी जोड़ा गया कि अगर कभी वार्डरोब मैलफ़ंक्शन हुआ तो खैर नहीं। वार्डरोब..? अजी साहब.. उन नन्ही-नन्ही पट्टियों में मैलफ़ंक्शन के लिए बचा ही क्या है?

पर निजी तौर पर मुझे न तो बार-बालाओं से कोई तक़लीफ़ थी और न इन चीयरलीडर्स से कोई परेशानी है.. जिसे देखना हो देखे.. न देखना हो न देखे..। मुझे चीयरलीडर्स के आई पी एल में काम करने से भी कोई परहेज़ नहीं.. पर बार बालाओं के रोज़गार छिन जाने का दुख है। मुझे एक बार बार-बालाओं का नाच देखने का अवसर मिला है.. उसमें मुझे कुछ ऐसा विशेष अश्लील नज़र नहीं आया जो हिन्दी फ़िल्मों और टीवी पर नज़र नहीं आता।

इसी तरह से मुझे चीयरलीडर्स में भी अपने आप में कुछ विशेष अश्लील नहीं दिखता.. लेकिन जब मैं शरद पवार को देखता हूँ और मुझे याद आता है कि ये आदमी इस देश का कृषि मंत्री है.. तो मुझे वो सारे किसान याद आ जाते हैं जो देश की पूरी कृषि नीति बड़े कॉरपोरेशन्स को बेच देने के चलते इतने बेउम्मीद हो चुके हैं कि बीस-पचीस हज़ार की मामूली रक़मों के लिए अपनी जान दे रहे हैं।

क्योंकि जो बीज पहले सात रुपये किलो बिकते थे वो अब सात सौ रुपये किलो में भी नहीं मिलते और इसके अलावा पेस्टीसाइड और फ़र्टीलाइज़र का खरच अलग से। ये सब कॉरपोरेशन्स की मेहरबानी से! इस देश के निवासियों का पेट पालने वाला किसान अब अनाज का उत्पादक नहीं रहा वो बीज, खाद, कीटनाशक का उपभोक्ता बन गया है। और अभी तो षडयंत्र जारी है कि उसे उसकी ज़मीन से पूरी तरह बेदखल कर के शहर का विस्थापित मज़दूर बना दिया जाय।


ये सब याद आने पर मुझे शरद पवार समेत आई पी एल का ये पूरा आयोजन बेहद अश्लील लगने लगता है।




11 टिप्‍पणियां:

  1. इस देश के निवासियों का पेट पालने वाला किसान अब अनाज का उत्पादक नहीं रहा वो बीज, खाद, कीटनाशक का उपभोक्ता बन गया है. यही है सच्‍चायी. वैसे फ़र्क नहीं पड़ेगा. शरद शरम नहीं करेंगे. पवार हैं, पॉवर हैं, उनके सपनों में आईपीएल आता होगा, रस्‍सी से टंगनेवाले किसान नहीं.. मैच देखनेवालों को भी शरम नहीं.. समूचा देश हुलु हुलु क्‍या बात है, गुरु की पलटन हो गया है..

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  2. इस मुद्दे पर एक से एक बेशर्म कुतर्क आ रहे हैं कि बॉलीवुड और आइटम सॉन्ग में भी तो, ये सब होता है। जूता मारने का मन होता है। वैसे आपने अच्छा जूतियाया है। लेकिन, अब शायद ये अगल-बगल देखते हैं कि कितने लोगों ने देखा फिर झाड़कर उसी करम में लग जाते हैं।

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  3. 'ये सब याद आने पर मुझे शरद पवार समेत आई पी एल का ये पूरा आयोजन बेहद अश्लील लगने लगता है।'

    पूरी तरह से सही है.

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  4. देखिये अभय़ जी आप की सोच गलत है
    १. जब सरकार नचवा रही हो तो वो ठीक है
    २. जब सरकार जुआ खिलवा रही हो तो वो ठीक है
    ३. जब सरकार चकले चलवा रही हो तो वो जायज है
    लेकिन अगर इस सब मे नेताओ को कुछ /या कम मिल रहा हो तो सारा मामला नाजायज,गैर कानूनी, अश्लील बन जाता है ,देशी बार बालाये नचाना अपराध है और देश भर मे बडे होटलो मे जो साल भर विदेशी बालाये नाचती है उससे किसी को कोई दिक्कत नही है जी ,नये साल का नाम पर मुंबई मे भी ये नाच हुये थे तब कोई दिक्कत नही हुई सरकार को ?

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  5. बार में जो कुछ चलता था वो अश्लील तो था ही साथ ही वह गैर कानूनी कामो को अंजाम देने की शुरुवात होती थी. यह केवल अश्लीलता है, गैर कानूनी काम की शुरुवात नही.

    बाकी न तो मुझे बार बाल्वो के नाच से परहेज है और ना ही चीयरलीडर्स के नाच से

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  6. जमाने भर के धतकरम सरेआम जारी हैं उधर कोई ध्यान नहीं देता, सबको क्रिकेट, नचनिया, और अब तो श्रीसंत-भज्जी नाम के दो मूर्खों की हरकत यही सब दिख रहा है…

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  7. 'इस देश के निवासियों का पेट पालने वाला किसान अब अनाज का उत्पादक नहीं रहा वो बीज, खाद, कीटनाशक का उपभोक्ता बन गया है।' गहरी बात है. सही पकड़.
    वैसे आपने फोटुएं बहुत सही कबाड़ी हैं, एक दम कंटेंट के अनुरूप. बधाई! चीयरबाला का पोज तो किसी भी बीयरबाला के छक्के छुड़ा दे!

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  8. आपने सबकुछ कह दिया , अब कहने को कुछ भी नहीं बचा है ।
    घुघूती बासूती

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(सिवाय गालियों के..भेजने पर वापस नहीं की जाएंगी..)