शुक्रवार, 2 नवंबर 2007

हमारी भी चर्चा हो गई

भाईसाहब बहुत दिनों से बड़े-बड़े ब्लॉगर जनों की कीर्ति-चर्चा तमाम अखबारों-रिसालों में पढ़ता रहा, मन ही मन कुढ़ता रहा। पर आज सब क्लेश धुल कर मन निमल हो गया। हो गई अपनी भी चर्चा। किसी टैक्टाइल मैगज़ीन में नहीं तो न सही.. आभासी वेब दुनिया भी किसी से कम नहीं। बन्दे के ऊपर इस आलेख के पहले उसी जगह पर रवि रतलामी, प्रत्यक्षा, रवीश कुमार, ज्ञानदत्त पाण्डेय, आलोक पुराणिक, अनिल रघुराज, उदय प्रकाश, पंकज पराशर और युनुस खान भी शोभायमान हो चुके हैं।

यह मधुर चर्चा करने वाली मनीषा पाण्डेय से आप पूरी तरह अनजान न होंगे.. उनकी डायरी को आप मोहल्ले पर देख चुके हैं।

बन्दे के बारे में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कर के वेबदुनिया पर एनर्जाइज़ हो जायँ!

14 टिप्‍पणियां:

  1. तो ये हुई आपकी चौथी मुन्नी पोस्ट.

    बधाइयां जी बधाइयां.

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  2. कानपुर से जब से लौटे हैं, आपकी पोस्ट का साइज छोटा होता जा रहा है जी। फुरसतियाजी के सोहबत में यह क्या कर लिया। होना तो उलटा चाहिए था।

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  3. बेवदुनिया में प्रकाशित होनें की बधाई।आप के बारे मे बिल्कुल सही लिखा है।

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  4. चर्चा उन्होंने पहले नहीं की, यह वेबदुनिया की कमज़ोरी और ढिलाई है।
    बधाई देना महज औपचारिकता है।

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  5. बधाई। अब जाते हैं पढ़ने। :)

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  6. बहुत खूब. ढ़ेरों बधाई हो जी. मिठाई तो खिलाओ. :)

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  7. यह तो अच्छी खबर है.....निर्मल आनन्द लें....

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  8. ऐसे ही और दैदीप्यमान बने रहो - सतत निखरो।

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  9. साधो साधो, आनंद आनंद. बहुत खुशी हुई कि आप थोड़ा और चर्चित हो गए, वैसे चर्चित तो आप पहले से हैं.

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  10. यह तो आपके निर्मल लेखन का नतीजा है...बधाई

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