गुरुवार, 6 सितंबर 2007

कुत्ते और आदमी

मुझे बचपन में दो बार कुत्ते काट चुके हैं और इस वक़्त मेरी गली में दस बारह कुत्ते हैं। जो भौंकते हैं, गुर्राते हैं, आने-जाने वालों को चौंभिया कर गली पर अपना हक़ जमाते हैं। इन्ही का हवाला दे-देकर मैं लोगों के अन्दर एक भय जगाता रहता हूँ। पर सच्चाई ये है कि मैं स्वयं कुत्तों से बहुत भयभीत हूँ। मुझे उनके अस्तित्व से कोई शिकायत नहीं। मैं उन्हे मारना-पीटना भी नहीं चाहता, उल्टे उनसे स्नेह है सहानुभूति है पर दूर से। क्योंकि.. वे मुझे काट लेंगे, इस डर से आक्रांत रहता हूँ।

समझाने वाले मुझे समझाते हैं कि डरने की क्या ज़रूरत है, एक बार ज़ोर से झिड़क दो, दुम दबा के भाग जाएंगे। न भागे तो पत्थर उठा लो, मार दो.. या दौड़ा लो। पर किसी को इस तरह दुरदुराराना, हड़काना, या धमकाना मेरा स्वभाव नहीं। और मैं अपने पिता के लिए अपने स्वभाव को बदलने के लिए तैयार नहीं हुआ, बीबी के लिए नहीं हुआ, ज़्यादा पैसा कमाने के लिए नहीं हुआ.. तो क्या अब कुत्तो से मुकाबला करने के लिए अपने स्वभाव को बदल दूँ?

कुत्तो से मुकाबला ही तो हुआ न यह! आप को कुत्ते के साथ एक द्वन्द्व में उतरना पड़ेगा। तभी न आप उसे पराजित कर पाएंगे, और वह दुम दबा के अपने हार स्वीकार कर लेगा। नीत्शे का एक वचन याद आता है, राक्षसों से लड़ने वालों को गौर करना चाहिये कि वे खुद एक राक्षस न बन जायँ। जब आप किसी घाटी में लम्बे समय तक देखते हैं, तो घाटी भी देखती है आपके अन्दर।

इस बात का राज़ क्या है कि आदमी लोगों के चरित्र को जानवरो से तुलना करता रहता है? कोई शेर है, कोई कीड़ा, कोई लोमड़ी, कोई गिद्ध.. और कोई कुत्ता।

आदमी मानवता की राह पर कदम कैसे बढ़ाए जबकि कुत्ते और दूसरे जानवर उसके भीतर जीवित बने रहते हैं?

आखिर इंसान और कुत्ते जैसे जानवर कैसे रहें साथ में?

इन महीन सवालो के अलावा एक मोटा सवाल, शहर में सड़क के कुत्तो का क्या करना चाहिये? क्या उन्हे उतने ही अधिकार होने चाहिये कि जितने झुग्गी बनाने वालों के होते हैं? या उनके लिए सरकार के पास कोई स्पष्ट नीति होनी चाहिये? कुत्ता प्रगट रूप से हिंसा कर सकता है, शहर में रहने वाले आम शहरी प्रगट हिंसा को भूल चुका है। झपटते कुत्ते को देखकर वह वापस नहीं झपटता, वह डर के दुबकता है। इस सच के बावजूद कि सीधे द्वन्द में आदमी कुत्ते पर हमेशा भारी पड़ेगा।

तो क्या करना चाहिए.. कुत्तो को खुला छोड़ देना चाहिए? जहाँ वे अपना एक समान्तर समाज बनाने के लिए और कारों, बाइकों, और छोटे बच्चों पर झपटने के लिए आज़ाद हों?

उन्हे केनल में रखना चाहिये?

हर परिवार को एक कुत्ते को गोद ले लेना चाहिए?

उन्हे गोली मार देनी चाहिए?

सभी जीवित कुत्तों को नपुंसक बना देना चाहिए?


8 टिप्‍पणियां:

  1. आप साइकिल या स्कूटर पर सवार हों और किसी कुत्ते ने दौड़ा लिया , तब ? रफ़्तार बढ़ाने के बजाए रुक जाँए । कुत्ते के मन में क्या भाव जागृत होता है ,ऐसे में,पता नहीं परन्तु वह भी रुक जाएगा और दिशा बदल लेगा।
    आपने स्वभाव का जो विवरण दिया है ,उसे पेश करते वक्त आपको पूँछ वाला मुहावरा याद आया था ?

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  2. वाकई आपकी समस्या बहुत गंभीर है,इस समस्या का कया करे..? आप ऐसा करे कोई तारीख निश्चित कर हमे ट्रेन के टिकट भिजवा दे..हम लोग आकर आपके मुहल्ले का निरिक्षण करके फ़िर आपको कोई इस बारे मे राय दे पायेगे..? की आप अपना स्वभाव बदले या मुहल्ला,या फ़िर मुहल्ले के कुत्ते..? राय का चेक तो आप समझ ही गये होगे हम एड्वांस मे ही लेते है..:)

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  3. अभयजी, खास कर कुत्तों का वो झुन्ड जो सड़को पर आवारा घूमता है और रात में तो इनकी दादागीरी और बढ भी जाती है..रात के सन्नाटे में जब आप नितांत अकेले हो तब उस समय इन्हें देख कर जो सिहरन शरीर में होती है, तब ज़रूर लगता है सब की तो नहीं पर ये ज़रूर कि इनकी संख्या पर रोक तो लगानी तो होगी ही..

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  4. मेरा कहना है कि काटे चाटे श्वान के दुहू भाँति बिपरीत यानी कुत्तें का काटना और चाटना दोनों खतरनाक हो सकता है। अगर कुत्ते को रैबीज का टीका नहीं लगा है तो चाटना काटने के बराबर खतरनाक हो सकता है।
    इसलिए मेरा कहना है कि कुत्तों से बचे। जैसे भी हो सके, चाहे वे मानव रूप में ही क्यों न हों।

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  5. किन किन कुत्तों को केनल में रखेंगे?

    ऐसा करिये कि वो जो दिल्ली वाली बिल्डिंग है न, उसका नाम ही केनल रख देते है. कम से कम सत्र के दौरान तो यह दिली इच्छा पूरी होती रहेगी.

    यह जो सड़कों पर घूम घूम कर काट रहे हैं, यह उनसे बहुत बेहतर हैं. यह तो सिर्फ अपने बचाव में डराते हैं. ठीक उनसे विपरीत जो अपने प्रभाव में....

    जाने दिजिये, समाज के ही तो अंग हैं.

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  6. कुत्सित लेख. कुतत्व का किंचित सम्मान अपेक्षित है, श्वानों के प्रति सहानुभूति रखिए, उनकी वफ़ादारी कैसे भूल गए. दो दिन बिस्कुट खिलाकर देखिए. काटने वाले कुत्ते भौंकते नहीं हैं, भौंकने वालों से डरा मत करिए. कवि बिहारी को याद रखिए--
    लाठी में गुन बहुत है, सदा राखिए संग
    झपटि कूता को मारे, जहंतहं बचावे अंग

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  7. "सभी जीवित कुत्तों को नपुंसक बना देना चाहिए?"
    घोर अन्नाय !!!!

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