tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post92665968371750372..comments2023-10-27T15:06:34.550+05:30Comments on निर्मल-आनन्द: सैन्ड्रा फ़्राम बैन्ड्राअभय तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-9352012906448910332007-12-07T07:12:00.000+05:302007-12-07T07:12:00.000+05:30So darm familier ...! Good effort by Paromita !Kud...So darm familier ...! <BR/>Good effort by Paromita !<BR/>Kudos !!लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-23864746541476059342007-12-07T02:13:00.000+05:302007-12-07T02:13:00.000+05:30पारोमिता जी को फिल्म के लिए अच्छा विषय चुनने के लि...पारोमिता जी को फिल्म के लिए अच्छा विषय चुनने के लिए और आपको यह फिल्म दिखाने के लिए बधाई...<BR/>पुराने का मोह और नए का आकर्षण सदा मन में रहता है. सैंन्ड्रा मोहक भी है और आकर्षक भी है. पानी का बहाव हमेशा आगे को बढ़ता रहता है.... होना भी यही चाहिए..मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-84388351200834909692007-12-07T01:02:00.000+05:302007-12-07T01:02:00.000+05:30फिल्म अच्छी लगी । १९८० में हम बम्बई रहने गए । बान्...फिल्म अच्छी लगी । १९८० में हम बम्बई रहने गए । बान्द्रा भी बहुत बार गए । वहाँ की कई यादें इस फिल्म को देखकर ताजा हो गईं व अपने कई क्रिस्चियन मित्र परिवारों की याद आ गई ।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-54076699033516677552007-12-06T13:25:00.000+05:302007-12-06T13:25:00.000+05:30अच्छी फिल्म है....पारोमिता बोहरा जी को बधाई....आपक...अच्छी फिल्म है....पारोमिता बोहरा जी को बधाई....आपको भी एक बढ़ियाँ फिल्म दिखाने के लिएआभाhttps://www.blogger.com/profile/04091354126938228487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-85192713519527276512007-12-06T13:12:00.000+05:302007-12-06T13:12:00.000+05:30पारो और आपको बधाई.......लीक से हट कर किया गया काम ...पारो और आपको बधाई.......लीक से हट कर किया गया काम कभी भी अच्छा ही होता है.....<BR/>यह काम भी लीक से हट कर ही है....बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-56520171327014136252007-12-06T13:06:00.000+05:302007-12-06T13:06:00.000+05:30"मेरा अपना मानना है कि भले ही पारो को ये मायावी सै..."मेरा अपना मानना है कि भले ही पारो को ये मायावी सैन्ड्रा भले ही बैन्ड्रा में कहीं न मिली हो पर आज बदलते हुए हिन्दुस्तान की हर शहरी लड़की के भीतर (मौजूद दूसरे प्रतिमानों के साथ-साथ) एक सैन्ड्रा भी मौजूद है.. अ गर्ल हू जस्ट वान्ट्स टु हैव फ़न!"<BR/>अभय जी मैं आपकी बात से सहमत हूँ. और ये परिणाम है बदलती हुई वैश्विक परिस्थितियों का, बढ़ते हुए ग्लोब्लाईसेशन का पर कुछ अर्थो मे शायद बुरा भी नही है. फ़िल्म अच्छी लगी. बीच-बीच मे नए पुराने हिन्दी गीतों का अच्छा मिश्रण किया गया है.बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.com