tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post908107340838581775..comments2023-10-27T15:06:34.550+05:30Comments on निर्मल-आनन्द: क्षणभंगुर प्रेमअभय तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-8012155089755698842011-02-02T17:00:04.871+05:302011-02-02T17:00:04.871+05:30‘सबर कर.. सुधीर में ज़िन्दगी नहीं थी.. ज़िन्दगी मे...‘सबर कर.. सुधीर में ज़िन्दगी नहीं थी.. ज़िन्दगी में सुधीर था..<br /><br />यकीन मानिये...ताली बजा बैठी इस लाइन पर....<br /><br /><br /><br />लाजवाब कथा बुनी है आपने....<br /><br />प्रेम क्षणभंगुर नहीं होता...जो क्षणभंगुर होता है ,वह प्रेम नहीं होता...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-79566319307584594152011-02-02T11:44:19.692+05:302011-02-02T11:44:19.692+05:30shanti ka kirdar pasand aaya .shanti ka kirdar pasand aaya .मेरे भावhttps://www.blogger.com/profile/16447582860551511850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-75315223538882487182011-02-01T21:00:55.941+05:302011-02-01T21:00:55.941+05:30पहले आर्टिकल से ही पढ़ रहा हूँ | सौम्य कटाक्ष हैं ...पहले आर्टिकल से ही पढ़ रहा हूँ | सौम्य कटाक्ष हैं अच्छे लग रहे हैं, लेकिन बीच बीच में थोड़े तीखे तीरों (अथ संयम व्यथा जैसे) का भी इंतज़ार रहेगा |योगेन्द्र सिंह शेखावतhttps://www.blogger.com/profile/02322475767154532539noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-20835450472685702052011-02-01T20:26:17.412+05:302011-02-01T20:26:17.412+05:30भाई सोनू,
है तो काम ही..क्योंकि मन की तरंग पर नही...भाई सोनू, <br />है तो काम ही..क्योंकि मन की तरंग पर नहीं, समयसीमा से बँधकर लिख रहा हूँ, जिसके लिए पैसे भी मिलने की उम्मीद है। मगर एक आधारभूत सहमति बन जाने के बाद कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है..टीवी में ऐसा नहीं होता.. वहाँ बहुत अत्याचार है। आप कह सकते हैं कि इस काम को मैं राज़ी-ख़ुशी से कर रहा हूँ।अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-76789270569216855042011-02-01T19:51:42.398+05:302011-02-01T19:51:42.398+05:30आप इस स्तंभ को राज़ी-ख़ुशी लिखते हैं या तकाज़े पर,...आप इस स्तंभ को राज़ी-ख़ुशी लिखते हैं या तकाज़े पर, अपने टीवी के काम की तरह?सोनूhttps://www.blogger.com/profile/15174056220932402176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-45195513173386598272011-02-01T19:08:16.653+05:302011-02-01T19:08:16.653+05:30आप जानते है कौन से पाठक के लिए कैसा लिखना है.........आप जानते है कौन से पाठक के लिए कैसा लिखना है......डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-19434260723891789402011-02-01T10:46:52.016+05:302011-02-01T10:46:52.016+05:30सच है , नकारात्मक है, लेकिन शायद जिंदगी ऐसी ही है...सच है , नकारात्मक है, लेकिन शायद जिंदगी ऐसी ही है , सच भी , नकारात्मक भी |Neerajhttps://www.blogger.com/profile/11989753569572980410noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-26182104707695997812011-02-01T09:19:52.306+05:302011-02-01T09:19:52.306+05:30बहती कहानी।बहती कहानी।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-8009800374040511812011-02-01T07:51:36.947+05:302011-02-01T07:51:36.947+05:30खूब! अभिषेक ओझा ने हमारा कमेंट चुरा लिया। रपट दर्ज...खूब! अभिषेक ओझा ने हमारा कमेंट चुरा लिया। रपट दर्ज की जाये! :)अनूप शुक्लhttp://hindini.com/fursatiyanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-22967466855137341962011-02-01T07:35:34.138+05:302011-02-01T07:35:34.138+05:30अच्छी श्रृंखला है-पसंद आयी.अच्छी श्रृंखला है-पसंद आयी.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-57300884416546801202011-02-01T03:14:01.216+05:302011-02-01T03:14:01.216+05:30फेसबुक पर तो पढ़ नहीं पाए थे फॉण्ट साइज़ के चक्कर म...फेसबुक पर तो पढ़ नहीं पाए थे फॉण्ट साइज़ के चक्कर में. ये लाइन बेस्ट है: "सुधीर में ज़िन्दगी नहीं थी.. ज़िन्दगी में सुधीर था.."Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-40353396199517864432011-01-31T23:49:15.436+05:302011-01-31T23:49:15.436+05:30कल के भास्कर में नज़र पडी थी, पर शंका थी कि आप ही ...कल के भास्कर में नज़र पडी थी, पर शंका थी कि आप ही हैं या कोई और, बधाई ! चूंकि अपने होस्टल में भास्कर आता है,. नियमित पढ़ा करूंगा.iqbal abhimanyuhttps://www.blogger.com/profile/15082145353058329783noreply@blogger.com