tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post7939394994203671273..comments2023-10-27T15:06:34.550+05:30Comments on निर्मल-आनन्द: कुदरती शॉक-एबज़ॉर्बर्सअभय तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-25914009365225455732007-09-14T00:46:00.000+05:302007-09-14T00:46:00.000+05:30झेलना सच में एक मुश्किल काम है। झेल कर शांत रह जान...झेलना सच में एक मुश्किल काम है। झेल कर शांत रह जाना तो तपसी लोगों के बस में भी अक्सर नहीं होता था। जरा-जरा सी बात पर कई तो शकुंतलाओं को शाप तक दे डालते थे।बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-25621730486436354692007-09-13T21:50:00.000+05:302007-09-13T21:50:00.000+05:30खुशियाँ इतनी उदास कयो लगती है .खुशियाँ इतनी उदास कयो लगती है .आभाhttps://www.blogger.com/profile/04091354126938228487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-47231870690593505392007-09-13T16:05:00.000+05:302007-09-13T16:05:00.000+05:30सटीक!!सटीक!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-13205023011557123502007-09-13T12:03:00.000+05:302007-09-13T12:03:00.000+05:30'सेन्स ऑफ़ ह्यूमन' इंसान के अन्दर सेन्स आफ ह्युमर ...'सेन्स ऑफ़ ह्यूमन' इंसान के अन्दर सेन्स आफ ह्युमर लाता है. बहुत जरूरी है कि हम छोटी-छोटी खुशियाँ बटोरें. बड़ी खुशी के इंतजार में रहने से जीवन जीने का मजा नहीं आएगा. कल किसने देखा है?Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-39535229240527633252007-09-13T10:57:00.000+05:302007-09-13T10:57:00.000+05:30बहुत सटीक कहा। आम आदमी की दुख भरी सामान्य जिंदगी म...बहुत सटीक कहा। आम आदमी की दुख भरी सामान्य जिंदगी में खुशी कभी-कभार क्षणिक अंतराल के रूप में ही आती है। ("Happiness is an occasional episode in the general drama of pain"-Thomas Hardy) ऐसे में, सेंस ऑफ ह्यूमर के रूप में शॉक आब्जर्वर का होना जिंदगी की राह को कुछ आसान बना देता है। <BR/><BR/>मेरे भीतर यह शॉक आब्जर्वर प्री-गिफ्टेड नहीं है। इसलिए जिंदगी और दुनियादारी के तनावों-हिचकोलों को सीधा दिमाग और दिल पर ले लिया करता हूं और उन्हें अपने भीतर जज्ब कर जाता हूं। यह खतरनाक है। शायद परिपक्वता और समझदारी बढ़ने पर सेंस ऑफ ह्यूमर का कुछ हद तक विकास हो जाता हो।Srijan Shilpihttps://www.blogger.com/profile/09572653139404767167noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-11209278870854579872007-09-13T09:32:00.000+05:302007-09-13T09:32:00.000+05:30अच्छा है। हंसने के लिये मन निर्मल मन जरूरी होता है...अच्छा है। हंसने के लिये मन निर्मल मन जरूरी होता है। सो आप हो। फिर क्या समस्या?अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-71117577254830402412007-09-13T08:03:00.000+05:302007-09-13T08:03:00.000+05:30बहुत वेरी गुड कहा । लेकिन दिक्कत ये है कि हम भारत...बहुत वेरी गुड कहा । लेकिन दिक्कत ये है कि हम भारतीय बहुधा रोतले होते हैं ।<BR/>और अगर कोई क्राइसिस के वक्त हंसे तो उसे पागल समझते हैंYunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-6531893854631363642007-09-13T07:28:00.000+05:302007-09-13T07:28:00.000+05:30सेंस ऑफ ह्यूमर ब्यूटी टाईप है..इन द आईज ऑफ बी होल्...सेंस ऑफ ह्यूमर ब्यूटी टाईप है..इन द आईज ऑफ बी होल्डर...जो झेलता है वो कैसे लेता है इस पर डिपेंड करता है. कभी वही बेहूदगी लगती है और कभी सेंस ऑफ ह्यूमर.<BR/><BR/>यह विडंबना ही है. जावेद जी का तो ऐसा है कि एक बेहतरीन शायर होने के बानजूद भी कभी अहम के शिकार भी लगते हैं अक्सर.<BR/><BR/>बाकि तो समझने वाले की आँख मे है..कम से कम मेरी आँख में तो है.<BR/><BR/>अन्यथा न लें मगर मैं इसे ब्यूटी से ज्यादा कुछ नहीं मानता.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-19773116956454968592007-09-13T07:21:00.000+05:302007-09-13T07:21:00.000+05:30सेंस ऑफ ह्यूमर तभी जगता है जब आप तनावमुक्त होते है...सेंस ऑफ ह्यूमर तभी जगता है जब आप तनावमुक्त होते हैं। ये भी सच है कि एक गहरी हंसी आपको तनावों से बाहर निकाल लेती है। वैसे, आपने कभी गौर किया है, सारे जीवों में सिर्फ इंसान ही है जो हंस सकता है। आप हंसते है तो अपने इंसान होने का सबूत पेश करते हैं।... <BR/>अच्छी है शॉक एब्जॉर्वर की उपमा।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.com