tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post7839176982857731366..comments2023-10-27T15:06:34.550+05:30Comments on निर्मल-आनन्द: शब्दों के रहस्यों का पर्दाफ़ाशअभय तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-65235697039624759242011-02-06T14:54:01.050+05:302011-02-06T14:54:01.050+05:30बहुत-बहुत बधाई अजित जी!बहुत-बहुत बधाई अजित जी!Pratibha Katiyarhttps://www.blogger.com/profile/08473885510258914197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-22589672904048018222011-02-06T11:51:41.365+05:302011-02-06T11:51:41.365+05:30yah to khushii kii khabar hai..pustak bhii rakhne ...yah to khushii kii khabar hai..pustak bhii rakhne ka mn ho raha hai..bahut badhayii.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-24920860865000942862011-02-06T11:19:41.610+05:302011-02-06T11:19:41.610+05:30शब्द यात्री है। इस यात्री के पांव बांधकर उसे निश्...शब्द यात्री है। इस यात्री के पांव बांधकर उसे निश्वित 'अर्थ' की कारा में डाल देना उसके साथ अन्याय है। होना यह चाहिए कि हम शब्दयात्री के सहयात्री बनकर यात्रानन्द लें। शब्दानन्द साथ होगा तो फिर ब्रह्मानन्द भी पीछे पीछे भागता हमारे साथ हो लेगा। अजीत ब्रह्मानन्द की निकटता का सुख दे रहा हैा उसे मेरे आशीष।। अभय जी ने अच्छी समीक्षा लिखी है। उन्हें भी साधुवाद ।...डॉ0कमलकांत बुधकरKamalkanthttps://www.blogger.com/profile/08676733449196855715noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-51755923843273548892011-02-06T11:19:41.405+05:302011-02-06T11:19:41.405+05:30शब्द यात्री है। इस यात्री के पांव बांधकर उसे निश्...शब्द यात्री है। इस यात्री के पांव बांधकर उसे निश्वित 'अर्थ' की कारा में डाल देना उसके साथ अन्याय है। होना यह चाहिए कि हम शब्दयात्री के सहयात्री बनकर यात्रानन्द लें। शब्दानन्द साथ होगा तो फिर ब्रह्मानन्द भी पीछे पीछे भागता हमारे साथ हो लेगा। अजीत ब्रह्मानन्द की निकटता का सुख दे रहा हैा उसे मेरे आशीष।। अभय जी ने अच्छी समीक्षा लिखी है। उन्हें भी साधुवाद ।...डॉ0कमलकांत बुधकरKamalkanthttps://www.blogger.com/profile/08676733449196855715noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-6545377186148139592011-02-06T02:18:57.620+05:302011-02-06T02:18:57.620+05:30बहुत बहुत बधाई '
बहुत ही उत्कृष्ट समीक्षा
श...बहुत बहुत बधाई '<br /><br />बहुत ही उत्कृष्ट समीक्षा <br /><br />शुभ कामनाएंप्रकाश गोविंदhttps://www.blogger.com/profile/15747919479775057929noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-8250891916154576792011-02-05T20:33:18.768+05:302011-02-05T20:33:18.768+05:30संग्रहणीय पुस्तक।संग्रहणीय पुस्तक।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-86565016220033796722011-02-05T19:29:14.545+05:302011-02-05T19:29:14.545+05:30ajit bhaai.badhai...ajit bhaai.badhai...''अपनी माटी'' वेबपत्रिका सम्पादन मंडलhttps://www.blogger.com/profile/16471251362095496908noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-65583463322451916322011-02-05T17:36:00.861+05:302011-02-05T17:36:00.861+05:30सफ़र की समीक्षा के लिए बहुत आभार अभय भाई। आपका सुझ...सफ़र की समीक्षा के लिए बहुत आभार अभय भाई। आपका सुझाव सिरमाथे है। निश्चित ही पुस्तक के सभी खण्ड निकल जाने के बाद नई तरतीब के साथ यह समूचा काम अलग जिल्द में लाया जाए, तभी यह व्युत्पत्ति-विवेचना कोश सम्पूर्णता प्राप्त करेगा। जैसे इस पुस्तकाकार रूप के पीछे आपकी इच्छा और प्रेरणा रही है वैसे ही अब यह काम भी होगा। इसमें वक्त लग सकता है, मगर अब उतना कठिन नहीं रहा है। <br /><br /><br />@प्रमोदसिंह<br />रुक्क रुक्क वाला मामला ही सही है, धक्क धक्क काहे?अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-24701788185538001552011-02-05T16:05:24.215+05:302011-02-05T16:05:24.215+05:30धक्-धक् शक्क-शक्क हुक्क-हुक्क छुक्-छुक्, जय हो...धक्-धक् शक्क-शक्क हुक्क-हुक्क छुक्-छुक्, जय हो मन-मलय हो, भासा प्रलय हो.. <br /><br />(गुप्तेन केन प्रकारेन: बाबू अ ब, हमरी कापी कहां? दिल्ली से चलकर आय रही, रुक्क-रुक्क?)azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-39359214437670978102011-02-05T13:04:09.908+05:302011-02-05T13:04:09.908+05:30अजित वडनेरकर के महती कार्य की तारीफ करने के लिए शब...अजित वडनेरकर के महती कार्य की तारीफ करने के लिए शब्द कम पड रहे हैं और कम क्यों न पड़ें शब्दो पर ही तो उनने कार्य किया है ।<br />आपने भी बडी अच्छी समीक्षा की है ।डॉ महेश सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/18264755463280608959noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-10834579536710768652011-02-05T11:50:03.888+05:302011-02-05T11:50:03.888+05:30अजित भाई ब्लॉग जगत के लिए फख्र की बात हैं, खैर मेर...अजित भाई ब्लॉग जगत के लिए फख्र की बात हैं, खैर मेरा ये कहना सिर्फ जबरदस्ती मेरी उपस्थिति दिखाना है , अजित जी के बारे में कुछ कहना न कहना हमारी क्षमताओं से बाहर है |Neerajhttps://www.blogger.com/profile/11989753569572980410noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-78524524709810993282011-02-05T11:37:50.527+05:302011-02-05T11:37:50.527+05:30अजित वाडेकर जी को हार्दिक बधाई इस कृति के लिए. बेह...अजित वाडेकर जी को हार्दिक बधाई इस कृति के लिए. बेहतरीन समीक्षा के लिए अभय जी को भी साधुवाद ! आभार !Narendra Vyashttps://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-57084129959289128972011-02-05T09:44:47.576+05:302011-02-05T09:44:47.576+05:30इस कृति के लिए वाडनेकर जी को बहुत बधाई, बधाई आपको ...इस कृति के लिए वाडनेकर जी को बहुत बधाई, बधाई आपको भी बेहतरीन समीक्षा के लिएडॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.com