tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post6704994129012185817..comments2023-10-27T15:06:34.550+05:30Comments on निर्मल-आनन्द: पूँजीवाद की प्रेरणाअभय तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-62580967850176367022008-01-17T21:46:00.000+05:302008-01-17T21:46:00.000+05:30पूंजी कभी बुरी नहीं होती. लेकिन पूंजी ही निर्णायक ...पूंजी कभी बुरी नहीं होती. लेकिन पूंजी ही निर्णायक हो जाए तो अर्थ अनर्थ बन जाता है.Sanjay Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/13133958816717392537noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-82475410578197991792008-01-17T14:33:00.000+05:302008-01-17T14:33:00.000+05:30बढ़िया है। आम आदमी के बारे में क्यों सोचते है ?किस...बढ़िया है। आम आदमी के बारे में क्यों सोचते है ?किसी भी काल में , किसी भी व्यवस्था ने कभी नहीं सोचा। तमाम अच्छे बुरे दौरों से गुज़रने के बाद आज भी हर फिक्र इस बिंदु पर आकर टिकती है कि आम आदमी का क्या होगा ?अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-71212120618280279232008-01-17T10:31:00.000+05:302008-01-17T10:31:00.000+05:30अच्छी जानकारी दी.एक सुझाव है जब आप किसी पुस्तक के ...अच्छी जानकारी दी.एक सुझाव है जब आप किसी पुस्तक के बारे में बतायें तो थोड़ी जानकारी और दें...मसलन उसका प्रकाशक , पृष्ठ संख्या व मूल्य. अभी पिछ्ले दिनों आपकी बतायी हुई ओरहान पामुक की स्नो देखी एक स्टाल में सोचा खरीद लूँ पर दाम 400 रुपया देख कर सोचा शायद इसकी इतनी वर्थ नहीं है इतनी..ये तो इससे सस्ती मिल ही जायेगी...<BR/><BR/>पूंजीवाद हो साम्यवाद दोनों में कोई भी पूर्ण नहीं है.इन पर लगातार विमर्श कर एक सर्वसहमति पर पहुंचना कठिन है लेकिन विमर्श जारी रहे.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-16670812353839492432008-01-17T09:52:00.000+05:302008-01-17T09:52:00.000+05:30बुनियादी सवाल हैं। लगातार सोच-विचार कर समझना ज़रूर...बुनियादी सवाल हैं। लगातार सोच-विचार कर समझना ज़रूरी है।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.com