tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post651518470767127886..comments2023-10-27T15:06:34.550+05:30Comments on निर्मल-आनन्द: तबादलाअभय तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-53758233082103618502011-08-07T19:57:48.084+05:302011-08-07T19:57:48.084+05:30जीवन जब सरल राहों से निकल कर ऊबड़ खाबड़ राहों पर उ...जीवन जब सरल राहों से निकल कर ऊबड़ खाबड़ राहों पर उतर आता है, संवेदनायें रिसने लगती हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-17454474789732141852011-08-07T18:59:53.438+05:302011-08-07T18:59:53.438+05:30GGShaikh said:
अभय जी,
तुम्हारे संवेदन मन को छूत...GGShaikh said:<br /><br />अभय जी,<br />तुम्हारे संवेदन मन को छूते है...<br />आज महत्वाकांक्षा का मतलब एक गोल्ड मेडलिस्ट या फ़र्स्ट क्लास फ़र्स्ट के लिए यह नहीं है <br />कि वे नए-नए संशोधन करें, ज़रूरतमंद लोगों की सेवा करें, व्यवस्था में गुणात्मक सुधार लाए,<br />बल्कि कैसे बिचौलिए बने, अर्थव्यवस्था में मध्यस्थी बन उपरियों का और खुद का स्वार्थ कैसे साधे...ईमानदार और सच्चे लोगों का जीवन कैसे नर्क बना दे... फ़िर संवेदनहीन बने रहे...यही है महत्वाकांक्षा...जो हमें मालूम है जहाँ तक, किसी भी कॉलेज में सिखाई नहीं जाती.<br /><br />शांति की अपने वर्तमान में यह अंतरंग-कथा भी है और बहिरकथा भी... और अभय जी आपका <br />यह प्रयास नवीन भी है और पठनीय भी...GGShaikhhttps://www.blogger.com/profile/02232826611976465613noreply@blogger.com