tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post5585405353037240658..comments2023-10-27T15:06:34.550+05:30Comments on निर्मल-आनन्द: न करो अपने प्रति घातअभय तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-69389606578363975342007-09-02T21:54:00.000+05:302007-09-02T21:54:00.000+05:30आप के विचारों से अवगत हुई। अच्छा लगा।आप के विचारों से अवगत हुई। अच्छा लगा।आभाhttps://www.blogger.com/profile/04091354126938228487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-51897089695678438912007-09-02T21:15:00.000+05:302007-09-02T21:15:00.000+05:30शिव कुमार जी.. ओशो ने क्या किया.. ओशो के चेलों ने ...शिव कुमार जी.. ओशो ने क्या किया.. ओशो के चेलों ने क्या किया.. इस को सोचने से क्या लाभ..? अगर अपने काम की बात कह रहे हैं तो ले लें नहीं तो फेंके.. <BR/><BR/>ज्ञान भाई.. सही कहा आपने.. बस आप की बात सब पर लागू होती हैं.. अकेले ओशो पर ही नहीं..<BR/><BR/>बेनाम भाई.. लगता है आप उमर भर पढ़ने वाले हैं.. दूसरी किताबें आप के पठन योग्य न हो सकेंगी.. अफ़सोस..<BR/><BR/>अनिल भाई.. आप जैसा सोच सका.. मेरा सौभाग्य.. <BR/><BR/>समीर भाई.. आप की इस लिस्ट में जगह कहाँ.. आप तो वहाँ ऊपर.. इसलिए तो लिखा नहीं.. क्योंकि ऊपर उठे हुए हैं..:)अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-33859090132837348022007-09-02T20:59:00.000+05:302007-09-02T20:59:00.000+05:30ओशो को तो लगभग रोज ही सुन लेता हूँ.--अनिल भाई कहते...ओशो को तो लगभग रोज ही सुन लेता हूँ.<BR/><BR/>--अनिल भाई कहते हैं महान लोग (मैं और आप) एक समय में एक जैसा ही सोचते हैं।<BR/><BR/><BR/>--अरे, सोचे तो हम भी थे बस लिखे नहीं..तो क्या इस लिस्ट में माने जायेंगे??Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-87202798924368022972007-09-02T20:13:00.000+05:302007-09-02T20:13:00.000+05:30कुछ और महान आत्माएँ भी हैं । धीरे धीरे पता चलेगा ...कुछ और महान आत्माएँ भी हैं । धीरे धीरे पता चलेगा ।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-18963172066133101932007-09-02T11:43:00.000+05:302007-09-02T11:43:00.000+05:30अभय जी, क्या संयोग है। मैंने भी आज इसी मसले पर लिख...अभय जी, क्या संयोग है। मैंने भी आज इसी मसले पर लिखा है कि अक्सर आध्यात्मिक नहीं होते आस्तिक। और समर्थन में नत्थी कर दिया है कि किन्हीं परमहंस श्री नित्यानंद जी को। वाकई महान लोग (मैं और आप) एक समय में एक जैसा ही सोचते हैं।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-10017593045818367882007-09-02T11:08:00.000+05:302007-09-02T11:08:00.000+05:30गीता का अध्ययन तब तक करें जब तक उसमें से नए-नए अर्...गीता का अध्ययन तब तक करें जब तक उसमें से नए-नए अर्थ निकलते रहें, जब नए अर्थ निकलने बंद होजाएँ तब पढ़ना छोड़ें। शायद ही आप छोड़ पाएँगे क्योकि कभी भी गीता में से अर्थ औए संदेश निकलने बंद नहीं होंगे।<BR/>गीता संपूर्ण चराचर का तत्त्व ज्ञान है। ओशो और बकिया सभी उसी से सीखकर भगवान बने।<BR/>हमारा आशय किसी को भी कमतर करने का नहीं बल्कि वस्तुस्थिति बताने का है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-62283126959288634392007-09-02T10:43:00.000+05:302007-09-02T10:43:00.000+05:30शैतान के चेले बड़े परेशान कि नया व्यक्ति जो ज्ञान ब...शैतान के चेले बड़े परेशान कि नया व्यक्ति जो ज्ञान बता रहा है, उससे तो शैतानियत समाप्त हो जायेगी.<BR/> <BR/>शैतान हंसा. बोला, जब यह ज्ञानी अपने ज्ञान को प्रसारित करने को सिद्धान्त बनायेगा, धर्म ऑर्गनाइज करेगा, तब अपनी शैतानियल को पूरा मौका मिलेगा. फ़िक्र न करो.<BR/><BR/>बिल्कुल वही ओशो के साथ भी है!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-25111972678470375742007-09-02T10:23:00.000+05:302007-09-02T10:23:00.000+05:30कभी आस्तिक न बनो।कभी अनुगामी न बनो। कभी किसी संगठन...कभी आस्तिक न बनो।<BR/>कभी अनुगामी न बनो। <BR/>कभी किसी संगठन के सदस्य न बनो। <BR/><BR/>बड़े आश्चर्य की बात है. उनके इतना कहने के बावजूद कितने सारे लोगों ने;<BR/><BR/>१. उनके प्रति अपनी आस्था दिखाई.<BR/>२. उनके अनुगामी बने.<BR/>३. उनके द्वारा बनाए गए संगठन के सदस्य बने.<BR/><BR/>अभय जी, ये शायद खोज का विषय है कि उन्होंने ये सारी बातें 'भगवान्' बनने से पहले कहीँ या फिर 'भगवान्' बनने के बाद.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-19292160619818791202007-09-02T09:50:00.000+05:302007-09-02T09:50:00.000+05:30वाह् वाह ,बिलकुल सही जी,और मेरे हिसाब से यही सच्चा...वाह् वाह ,बिलकुल सही जी,और मेरे हिसाब से यही सच्चा हिंदू धर्म है...Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.com