tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post5213654306192488001..comments2023-10-27T15:06:34.550+05:30Comments on निर्मल-आनन्द: बुरे समय के साथीअभय तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-33582488083634935802007-03-13T21:32:00.000+05:302007-03-13T21:32:00.000+05:30और ऐसे बुरे समय में जब साया भी साथ छोड़ देता है.. न...<I>और ऐसे बुरे समय में जब साया भी साथ छोड़ देता है.. नए साथी बनते हैं वे लोग... जिनका खुद का बुरा समय चल रहा हो.. </I><BR/><BR/>गुलज़ार ने इसे यूँ कहा है,<BR/><B>दिल बहल तो जाएगा इस ख़याल से<BR/>हाल मिल गया तुम्हारा अपने हाल से</B>v9yhttps://www.blogger.com/profile/07973018577021600722noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-60442508381386340502007-03-13T14:11:00.000+05:302007-03-13T14:11:00.000+05:30भारी शब्दों व भारी देह के मालिक रवीश कुमार की सेव...भारी शब्दों व भारी देह के मालिक रवीश कुमार की सेवायें लेकर इन सभी मित्रों को तोडा क्यों न जाये? रकु वैसे भी चिंतित हो रहे थे कि हाथ-पैर चलाये उन्हें अर्सा हो गया, रिवाइटलाइजेशन चाहते हैं. तुम तैयारी करो, मैं उनको तैयार करता हूं.azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.com