tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post4846937600526927112..comments2023-10-27T15:06:34.550+05:30Comments on निर्मल-आनन्द: गोली जैसा चलते देखाअभय तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-44299085738518340772009-04-29T02:52:00.000+05:302009-04-29T02:52:00.000+05:30बहुत सुन्दर! बहुत सुन्दर!!
कम शब्दों में अपनी बात...बहुत सुन्दर! बहुत सुन्दर!!<br /><br />कम शब्दों में अपनी बात कह पाना,<br />और वो भी इतनी खूबसूरती से कह पाना,<br />अति सुन्दर है!<br /><br />धन्यवाद!varunhttp://www.bhaiyyu.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-66907250141466152612007-05-05T15:27:00.000+05:302007-05-05T15:27:00.000+05:30बेहद महत्वपूर्ण प्रस्तुति . अपने समकालीन बड़े कवियो...बेहद महत्वपूर्ण प्रस्तुति . अपने समकालीन बड़े कवियों की उपस्थिति में वे पृष्ठभूमि में चले गए ऐसा कहना ठीक नहीं होगा . वे हमेशा अगली पांत के बड़े कवि माने गये . चूंकि वे आते-जाते कम थे और उस तरह युवतर कवियों के दल ने उन्हें प्रतिष्ठित करने का ऐसा कोई बीड़ा नही उठाया था तो हो सकता है ऐसा आभास होता हो.पर वे बड़े कवि थे . बहुत बड़े कवि . <BR/><BR/>मुझे एक दिन बांदा उनके घर पर उनके साथ रहने का सौभाग्य मिला था . बेहद भले और निश्छल इंसान लगे . अपना एक काव्य संकलन उस सत्तर पार की उमर में कंपकंपाते हाथों से लिखकर मुझे भेंट किया . ढेर सारी बातें की साहित्य की और घर-परिवार की .<BR/><BR/>'जमुन जल तुम' संकलन तो,जिससे आपने कुछ कविताएं उद्धृत की हैं, दाम्पत्य प्रेम की कविताओं का अपूर्व और असाधारण संकलन है. भारतीय साह्त्य में तो वह अद्वितीय है ही,विश्व साहित्य में भी अपनी पत्नी पर लिखी गई कविताओं का ऐसा कोई उत्कृष्ट संकलन अभी तक मेरी नज़र से नहीं गुज़रा है. <BR/><BR/>विजयबहादुर जी तो अभी कुछ दिन पहले कलकत्ता आए थे . मिलने-बतियाने का मौका मिला .हमारे एक मित्र उनसे बहुत शिकायत करते रहते हैं कि उन्होंने 'जन कवि' में भवानी भाई को क्यों नहीं रखा .Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-31552556997026061852007-05-05T07:30:00.000+05:302007-05-05T07:30:00.000+05:30आप सबके प्रोत्साहन के लिये बहुत धन्यवाद....आप सबके प्रोत्साहन के लिये बहुत धन्यवाद.. कोशिश करूँगा कि आगे भी स्तरीय कविताएं आपके बीच लाता रहूँ..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-87240291668865972352007-05-05T02:23:00.000+05:302007-05-05T02:23:00.000+05:30इतनी अच्छी कविताएँ पढ़वाने के लिए धन्यवाद ।घुघूती ब...इतनी अच्छी कविताएँ पढ़वाने के लिए धन्यवाद ।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-52445588634603045412007-05-04T16:21:00.000+05:302007-05-04T16:21:00.000+05:30सुंदरतम । चुन-चुनकर लाएँ और ऐसे मोती ।सुंदरतम । <BR/>चुन-चुनकर लाएँ और ऐसे मोती ।Prabhakar Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04704603020838854639noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-34087865015101489422007-05-04T09:52:00.000+05:302007-05-04T09:52:00.000+05:30और भी पढायेंऔर भी पढायेंPratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-67464198877027610132007-05-03T22:31:00.000+05:302007-05-03T22:31:00.000+05:30कविता कुछ पढ़ीं थी फिर पढ़ ली ..कुछ नहीं पढ़ी थी वो भ...कविता कुछ पढ़ीं थी फिर पढ़ ली ..कुछ नहीं पढ़ी थी वो भी पढ़ लीं . धन्यवाद . पढ़ते रहें पढ़ाते रहें .Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-34238155894107129062007-05-03T20:56:00.000+05:302007-05-03T20:56:00.000+05:30श्रेष्ठ कवि केदारनाथ अग्रवाल की रचनाएँ पेश कीं , आ...श्रेष्ठ कवि केदारनाथ अग्रवाल की रचनाएँ पेश कीं , आभार । पहली कविता का चित्र-पोस्टर हमारी प्रदर्शनी का हिस्सा होता था ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-57819974026839606692007-05-03T20:26:00.000+05:302007-05-03T20:26:00.000+05:30अभय भाईकैदारनाथ जी पहली बार पढ़ा, बहुत अच्छा लगा. आ...अभय भाई<BR/><BR/>कैदारनाथ जी पहली बार पढ़ा, बहुत अच्छा लगा. आपका बहुत आभार इसे उपलब्ध कराने के लिये.<BR/><BR/>भविष्य में भी जारी रखें.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com