tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post4760684843119602357..comments2023-10-27T15:06:34.550+05:30Comments on निर्मल-आनन्द: मैं हर जगह बन्धन में हूँ..अभय तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-81276423299430594662007-09-19T18:43:00.000+05:302007-09-19T18:43:00.000+05:30सब मानसिक बंधन हैं. चाहो तो वहीं से उन्मुक्त गगन म...सब मानसिक बंधन हैं. चाहो तो वहीं से उन्मुक्त गगन में नीले सरोवर के उपर से उड़ान भर लो या जेल में बंद कैदी बन चार दीवारी ताको.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-2489041575143371192007-09-18T23:30:00.000+05:302007-09-18T23:30:00.000+05:30यह बार बार लगता है - ट्रान्जियेण्ट फेज है...यह बार बार लगता है - ट्रान्जियेण्ट फेज है...Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-80487485137133620882007-09-18T20:57:00.000+05:302007-09-18T20:57:00.000+05:30आपने जो लिखा वह तो यही दिखा रहा है कि यहाँ तो मैं ...आपने जो लिखा वह तो यही दिखा रहा है कि यहाँ तो मैं बंधन में में जरुर हूँ पर यही आनंद में ही गोते लगा रहा हूँ… सच कहा जाए आपकी स्थिति साक्षी सी है और फिर कौन कह सकता है कि जो व्यक्ति खुद को इतना जानता हो अपने बंधन को भी…<BR/>वह तो स्वयं स्वतंत्र है…।Divine Indiahttps://www.blogger.com/profile/14469712797997282405noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-50410913512096790502007-09-18T15:49:00.000+05:302007-09-18T15:49:00.000+05:30सारे बन्धन मानने के हैं। एक दिन उड़ जाएगा हंस अकेल...सारे बन्धन मानने के हैं। एक दिन <BR/>उड़ जाएगा हंस अकेला<BR/>जग दर्शन का मेला ।<BR/>तो देख लें बन्धन तुड़ा कर भाग पाते हैं क्या। <BR/>सब माया का परसार है भाई। कौन बच सका है।बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-56491203897135359552007-09-18T13:57:00.000+05:302007-09-18T13:57:00.000+05:30bakaul chachajan--eeman mujhe roke hai to khainche...bakaul chachajan--<BR/><BR/>eeman mujhe roke hai to khainche hai mujhe kuphra<BR/><BR/>kabaa mere peechhe hai kaleesaa mere aageAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-24904392405210630872007-09-18T13:45:00.000+05:302007-09-18T13:45:00.000+05:30कौन बच सका है इन बंधनों से! यह बंधन मिलकर ही तो जी...कौन बच सका है इन बंधनों से! यह बंधन मिलकर ही तो जीवन बनाते हैं न!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-68576887559710550282007-09-18T11:32:00.000+05:302007-09-18T11:32:00.000+05:30सत्य का ज्ञान होते ही सारे बंधन समाप्त हो जाते हैं...सत्य का ज्ञान होते ही सारे बंधन समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति मुक्त हो जाता है। <BR/><BR/>सा विद्या या विमुक्तये। <BR/><BR/>हर किसी को अपना सत्य खुद ही तलाशना पड़ता है, अपनी मुक्ति खुद ही हासिल करनी होती है।<BR/><BR/><BR/>केवल स्वार्थी ही अकेले अपनी मुक्ति की बात सोचता है। <BR/><BR/>हृदय में प्रेम का भाव हो तो हर बंधन प्रिय लगता है। प्रेम के बंधन में बंधने के लिए तो ईश्वर भी लालायित रहते हैं। <BR/><BR/>अज्ञानी भी कर्म करते हैं और ज्ञानी भी। अज्ञानी कर्मफलों से बंध जाते हैं, पर ज्ञानी उनसे निर्लिप्त रहते हैं।<BR/><BR/>यदि दिनचर्या में सहजता, संतुलन और साक्षीभाव सदैव कायम रहे तो आप मुक्ति पथ पर हैं।Srijan Shilpihttps://www.blogger.com/profile/09572653139404767167noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-22297530693568642452007-09-18T07:58:00.000+05:302007-09-18T07:58:00.000+05:30बंधुवर, बंधनों से बंधने में ही मुक्ति है। जो इनसे ...बंधुवर, बंधनों से बंधने में ही मुक्ति है। जो इनसे जितना भागते हैं उतने ही बंध जाते हैं।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.com