tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post368745616285323551..comments2023-10-27T15:06:34.550+05:30Comments on निर्मल-आनन्द: अछूत कौन थे : अम्बेदकरअभय तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-40981958174802171672011-10-27T10:28:19.987+05:302011-10-27T10:28:19.987+05:30इस पुस्तक को पढ़ने के पूर्व ..निष्कर्षो को समझने के...इस पुस्तक को पढ़ने के पूर्व ..निष्कर्षो को समझने के लिए इसका उत्तर भाग अर्थात डाक्टर आंबेडकर द्वारा लिखित प्रबंध ग्रन्थ - शुद्र कौन थे ?<br />वे भारतीय आर्य समाज के चतुर्थ वर्ण कैसे बने ?<br />को पढ़ना और समझना आवश्यक है ! इस कोशिश के लिये आप को साधुवाद !Akash78https://www.blogger.com/profile/16462194969851297797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-18501712555439616872007-06-23T10:55:00.000+05:302007-06-23T10:55:00.000+05:30अभय जी आपकी इस श्रृंखला को पढ़ने का वक्त नहीं मिल...अभय जी आपकी इस श्रृंखला को पढ़ने का वक्त नहीं मिला । आज से ही शुरू किया है, ये पुस्तक तो कमाल की है । पहले अंक को पढ़कर मैं इस बात से परेशान हो गया हूं कि शुरूआत से ही मनुष्य ने अपने समाज को पेचीदा बनाने का काम सबसे पहले किया और उससे भी बड़ी विडंबना ये रही कि अपने ही रचे इस चक्रव्यूह को तोड़ने में इंसान को सदियां लग गयीं । आज भी नहीं टूटा, पूरी तरह । पता नहीं आगे टूटेगा या नहीं । <BR/>इस अनुवाद के लिए आप बधाई के पात्र हैं । अंबेडकर की एक पुस्तक ‘रिडल्स ऑफ हिंदूइज्म’ के अंश बरसों पहले पढ़ने मिले थे । पता नहीं शायद ये पुस्तक प्रतिबंधित <BR/>हो । अगर हो सके तो इस पुस्तक से भी कुछ चढ़ाईयेगा ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-30607172817813581802007-06-19T18:17:00.000+05:302007-06-19T18:17:00.000+05:30बहुत अच्छा अभियान शुरु किया है आपने ... मेरी कई भा...बहुत अच्छा अभियान शुरु किया है आपने ... मेरी कई भावनाओं को आपके इस पोस्ट से अभिव्यक्ति मिलने की संभावना दीख रही है मुझे... <BR/><BR/>मैं अक्सर हिन्दुओं के इस्लाम, ईसाईयत या बौध्द धर्म स्वीकार करने पर विचार करता हूं ... धर्मांतरण की उनकी ज़रूरत पर विचार करता हूं... इस पोस्ट से मुझे अपने सवालों के जवाब भी मिल रहे हैं. <BR/><BR/>अछूत व्यवस्था से परेशान शूद्रों ने सूफ़ियों के असर से शायद सबसे अधिक इस्लाम ही स्वीकार किया है ... और आज सांप्रदायिक दंगों में जो मुस्लमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत देखेने को मिल रही है ... संभवत: वह नफ़रत अचेतावस्था में शूद्रों के ख़िलाफ़ है....<BR/><BR/>अपना ये विचार मैं यहाँ विमर्श के लिए छोड रहा हूं ... "ये मेरा अंतिम निर्णय नहीं है" .Farid Khanhttps://www.blogger.com/profile/04571533183189792862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-64274856537681811412007-06-19T12:59:00.000+05:302007-06-19T12:59:00.000+05:30बेनाम जी और ललित जी,अम्बेदकर के ही शब्दों में.."मे...बेनाम जी और ललित जी,<BR/>अम्बेदकर के ही शब्दों में..<BR/>"मेरे आलोचक इस बात पर ध्यान दें कि मैं अपनी कृति को अंतिम मानने का दावा नहीं करता। मैं उनसे नहीं कहूँगा कि वे इसे अंतिम निर्णय माने लें। मैं उनके निर्णय को प्रभावित नहीं करना चाहता।वे अपना स्वतंत्र निर्णय लें.. मेरी अपने आलोचकों से यही आकांक्षा है कि वे इस पर निष्पक्ष दृष्टिपात करेंगे.."<BR/>तो आप जो मन आये मत बनायें.. पर साथ ही उन्होने जो लिखा है उसे निष्पक्ष भाव से पढ़ते भी चलें.. <BR/><BR/>मैथिली जी,<BR/>अम्बेदकर साहित्य के हिन्दी प्रकाशक हैं;<BR/>डॉ. अम्बेदकर प्रतिष्ठान<BR/>क्ल्याण मंत्रालय <BR/>भारत सरकार<BR/>२५, अशोक रोड<BR/>नई दिल्ली<BR/><BR/>और अंग्रेज़ी प्रकाशक हैं;<BR/>Education Department <BR/>Government of Maharashtra<BR/>Mumbai-400032अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-16176220035238429592007-06-19T12:27:00.000+05:302007-06-19T12:27:00.000+05:30शुक्रिया!!!शुक्रिया!!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-84653257312521092132007-06-19T12:08:00.000+05:302007-06-19T12:08:00.000+05:30यह भी एक सच्चाई है कि "अम्बेदकर" उपनाम तो एक ब्राह...यह भी एक सच्चाई है कि "अम्बेदकर" उपनाम तो एक ब्राह्मण जाति का होता है। एक विद्वान ब्राह्मण ने बालक भीमराव को 'अपना' उपनाम देकर दीक्षित किया था, ताकि वह पढ़ सके। लेकिन उनके प्रति कहाँ व्यक्त की गई है? सचमुच 'नीचता' व्यक्ति के चरित्र में होती है, खून में नहीं। जातिगत, वंशगत आधार पर भेदभाव को ही खत्म किया जाना चाहिए। 'आरक्षण' ने देश की आधी से अधिक प्रतिभावान जनता को 'आलसी', 'प्रतिभाहीन' बना दिया है।ललितhttps://www.blogger.com/profile/16095464463179535684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-82756474828559769962007-06-19T11:31:00.000+05:302007-06-19T11:31:00.000+05:30बड़ा कलेजे का काम हाथ में लिया, भइया. बहुत खूब.. ब...बड़ा कलेजे का काम हाथ में लिया, भइया. बहुत खूब.. <BR/>बोधि से जो उड़ा के लाए हैं, अब उसे वापस मत कीजिए, आपके यहां से मैं उड़ा सकूं इसकी संभावना बने रहने दीजिएगा.azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-17186768149796828522007-06-19T07:27:00.000+05:302007-06-19T07:27:00.000+05:30अभय जी; माफ कीजिये हट कर प्रश्न पूछ रहा हू.क्या आप...अभय जी; माफ कीजिये हट कर प्रश्न पूछ रहा हू.<BR/>क्या आप अम्बेडकर जी के संपूर्ण वाड्मय के प्रकाशक का नाम बता सकेंगे?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-29557482270825528972007-06-19T00:30:00.000+05:302007-06-19T00:30:00.000+05:30इस परिश्रम के लिए हार्दिक साधुवाद. बात आपकी बिल्कु...इस परिश्रम के लिए हार्दिक साधुवाद. बात आपकी बिल्कुल सही है, अंबेडकर को सवर्णों ने एक दायरे में क़ैद कर दिया है. भारत के सवर्णों ने पेरियार, ज्योतिबा फुले जैसे समाज सुधारकों को सम्मान की नज़र से देखा हो (राजनीतिक मजबूरियों को छोड़कर) इसके उदाहरण खोजने पर भी नहीं मिलते. कुछ लोगों में पूर्वाग्रह है और हम जैसे कुछ लोग हैं जो उतने ही ज्ञान से काम चला लेते हैं जितना हमारा सवर्ण तंत्र उपलब्ध कराता है. इस जकड़न को तोड़ने की एक सार्थक कोशिश के लिए आभार.अनामदासhttps://www.blogger.com/profile/10451076231826044020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-13867644490671947252007-06-19T00:26:00.000+05:302007-06-19T00:26:00.000+05:30अभय जी आप किस जमाने की बाते कर रहै हैं। भारत मे आर...अभय जी <BR/>आप किस जमाने की बाते कर रहै हैं। भारत मे आरक्षण मिल रहा है, कानून है, कोई दलित को छू भी नहीं सकता। जितना शोषन इतिहास में होने का दावा किया जाता है उससे कहीं अधिक बदला पीछले 50 वर्षों में लिया जा चुका हे। दलित बौद्ध बन रहे हैं, इसाइ बन रहे हैं और फिर हिंदू वर्ण व्यस्था मे दलित होने के नाम पर आरक्षण भी मांगते हैं, क्या यह ठिक हे।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-67775615800210802502007-06-18T23:28:00.000+05:302007-06-18T23:28:00.000+05:30आपने किताब उड़ाई, हमको जानकारी बताये इसके लिये शुक्...आपने किताब उड़ाई, हमको जानकारी बताये इसके लिये शुक्रिया अभय भाई!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-46347829481858463422007-06-18T22:09:00.000+05:302007-06-18T22:09:00.000+05:30यकीनन, आपने इस किताब को पढ़ने की चाहत जगा दी। वैसे...यकीनन, आपने इस किताब को पढ़ने की चाहत जगा दी। वैसे, एक बार मेरे बाबा ने बताया था कि अछूतों को गांव के दक्षिण में बसाया जाता था। इसकी वजह ये थी कि पुरवा, पंछुआ और उत्तरहा हवाएं तो चलती हैं, लेकिन दखिनहा हवा कभी नहीं चलती। सवर्ण जातियां अछूतों को छूकर आयी हवा से बचने के लिए उन्हें गांव के दक्षिण में बसाती थीं।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-50859999688625791092007-06-18T20:48:00.000+05:302007-06-18T20:48:00.000+05:30इस लेख को यहाँ प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद । आगे ...इस लेख को यहाँ प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद । आगे पढ़ने की प्रतीक्षा है । <BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-90405340508682064442007-06-18T20:19:00.000+05:302007-06-18T20:19:00.000+05:30अभी तक तो लोग फिरकापरस्ती से परेशान थे। अब आप छुआछ...अभी तक तो लोग फिरकापरस्ती से परेशान थे। अब आप छुआछूत लेकर आ गये अभय जी। खैर।<BR/><BR/>यह बात सौ फीसदी सही है कि हिन्दुस्तान को समझने के लिए अम्बेडकर एक अहम जरिया हैं और उन्हें जिस तरह पढा या समझा जाने चाहिए, वो नहीं हुआ। आपने जितना पोस्ट किया है, वह बता रही है कि अम्बेडकर कितनी समग्रता और वैज्ञानिक तरीके से इस प्रश्न से जूझने की कोशिश कर रहे थे। <BR/>मैंने अभी एक फिल्म देखी है, इंडिया अनटचेबुल, सन् 2007 में दलित समुदाय किस तरह का जीवन जीने पर मजबूर है, यह फिल्म उसका आइना है।<BR/>लिखने की सोच रहा था पर मटिया गया। शायद आपकी पोस्ट प्रेरणा बने। और हां, अछूत माने जाने वाले लोग, हर समुदाय और धर्म में हैं।ढाईआखरhttps://www.blogger.com/profile/01652717565027075912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-64422049626971310202007-06-18T18:27:00.000+05:302007-06-18T18:27:00.000+05:30यहाँ प्रस्तुत करने के लिये आभारयहाँ प्रस्तुत करने के लिये आभारअफ़लातूनhttps://www.blogger.com/profile/08027328950261133052noreply@blogger.com