tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post3410421412766674329..comments2023-10-27T15:06:34.550+05:30Comments on निर्मल-आनन्द: ब्रह्माण्ड का सहज स्वभाव?अभय तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-61325361369196130212008-01-12T15:41:00.000+05:302008-01-12T15:41:00.000+05:30सृजन-सम्मान द्वारा आयोजित सर्वश्रेष्ठ साहित्यिक ब्...सृजन-सम्मान द्वारा आयोजित सर्वश्रेष्ठ साहित्यिक ब्लॉग पुरस्कारों की घोषणा की रेटिंग लिस्ट में आपका ब्लाग देख कर खुशी हुई। बधाई स्वीकारें।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-70300797118581919532008-01-10T03:31:00.000+05:302008-01-10T03:31:00.000+05:30अरे अभय भाई, इस ब्रह्मांड से बाहर आइये। कहीं किसी ...अरे अभय भाई, इस ब्रह्मांड से बाहर आइये। कहीं किसी श्याम विवर के चक्कर में पड़ गए तो मुश्किल होगी पृथ्वीवासी बनने में ..:)अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-13349392074141157872008-01-03T03:23:00.000+05:302008-01-03T03:23:00.000+05:30मै पिछ्ले 10 सालो से कार्ल सेगान के घर के पास से अ...मै पिछ्ले 10 सालो से कार्ल सेगान के घर के पास से अक्सर गुजरती रही हू. और हर बार मुझे उंके लेख, उनके नोवेल्स, उनके कुछ दोस्त मिले. अक्सर बाते इस दिशा मे मुड जाती है. पिछ्ले साल उनकी पत्नी को भी एक समरोह मे सुनने का मौका मिला. करीब 10-12 साल पहले जब दलई लामा यहा आये थे तो कार्ल सेगान ने ही सूत्र्धार का काम किया था.<BR/> मुझे लगता है कि भले ही एलियंस न आये पर हम सिर्फ अकेले नही है.स्वप्नदर्शीhttps://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-2005755951684393382008-01-01T01:41:00.000+05:302008-01-01T01:41:00.000+05:30अभयजी , दुआ करता हूं कि नववर्ष में आप वो सब पाएं ज...अभयजी , दुआ करता हूं कि नववर्ष में आप वो सब पाएं जिन्हें पाना चाहते हैं। <BR/>शुभकामनाएं।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-52045950960289582132007-12-31T15:03:00.000+05:302007-12-31T15:03:00.000+05:30ग़र आपकी कतरनी न चले, तो मैं परिहार साहब से निवेदन ...ग़र आपकी कतरनी न चले, <BR/>तो मैं परिहार साहब से निवेदन करना चाहूँगा कि वह जहाँ हैं ,जैसे हैं । ससम्मान बने रहें, वैसे भी अपनी बिरादरी में एक कबाड़खाना और एक अदद कबाड़ी की सख़्त ज़रूरत है, वरना आने वाले संभावित कबाड़ियों को सर्चलैट कौन प्रदान करेगा । <BR/>और फिर नाम में रखा ही क्या है ? दम तो लिखने वाले के दम ख़म से ही होता है !डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-76292954065050534962007-12-30T23:13:00.000+05:302007-12-30T23:13:00.000+05:30प्रिय अभय जी, मैं चूंकि बाहर था इसीलिए आपकी ...प्रिय अभय जी,<BR/> मैं चूंकि बाहर था इसीलिए आपकी पोस्ट नहीं पढ पाया। परंतु आपने मेरे ब्लॉग कबाडखाने के बारे में जो भी लिखा है उस से मैं सहमत हूं परंतु मेरे साथ समस्या यह है कि यदि मैं अब अपने ब्लॉग का नाम बदलता हूं तो कई समस्याएं उत्पन्न हो जाएंगी। जैसे मैंने जहां कबाड़खाना के नाम से रजिस्टर किया है वहां वहां मुझे सब कुछ बदलना पड़ेगा। तो कृपया मुझे उन उत्पन्न होने वाली समस्याओं का समाधान भी बताएं जिससे मैं यथासम्भव कदम उठा सकूं।<BR/> सधन्यवाद<BR/> विकास परिहार<BR/>मेरा ई-मेल पता है:-<BR/>vikas009p@gmail.comविकास परिहारhttps://www.blogger.com/profile/07464951480879374842noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-42419688228188120482007-12-28T20:55:00.000+05:302007-12-28T20:55:00.000+05:30अरे तिवारी महराज,पाँय लागी, ई बड़ी बड़ी व्याख्या तो ...अरे तिवारी महराज,<BR/>पाँय लागी, ई बड़ी बड़ी व्याख्या तो हमरे मुंडी में घुसै से रही लेकिन एक सूचना मिली है कि उड़न तश्तरी आजकल भारत में देखी जा रही है । उनको सामने लायें तो ब्रह्माण्ड-चर्चा सार्थक हुई जाये ।डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-74215236053131506362007-12-27T03:24:00.000+05:302007-12-27T03:24:00.000+05:30हूं.. तो ये बात है। जो लोग बिना बह्मांड को पूरा जा...हूं.. तो ये बात है। जो लोग बिना बह्मांड को पूरा जाने ये फतवे देने में लगे हैं कि सृष्टि में हम अकेले हैं, वे सचमुच मूर्ख हैं। मैं एक नास्तिक पर भरोसा कर लूंगा मगर इन पर नहीं। यकीनन सम्पूर्ण ब्रह्मांड जीवन से स्पंदित है। इसे सिर्फ ठोस , निष्क्रिय पिंडों का गोदाम अथवा यार्ड मानना ठीक नहीं। यहां तो क्षण-क्षण में , कण-कण में लीला घट रही है , रची जा रही है। ब्रह्मांड का विस्तारित होना इस का ही प्रमाण है। <BR/>बढ़िया पोस्ट । आनंदम मंगलम ...अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-4117030419971149832007-12-26T10:20:00.000+05:302007-12-26T10:20:00.000+05:30तो एलिएंस आ रहे हैं क्या ? कार्ल सेगान की कॉस्मास ...तो एलिएंस आ रहे हैं क्या ? <BR/>कार्ल सेगान की कॉस्मास प्रोग्राम की याद आई और search for extra terrestrial intelligence । ये सोच कर भी अच्छा लगता है कि कहीं शायद हम जैसे लोग किसी दूसरे सौर मंडल पर रह रहे हों । बहुत सारा साईंस फिक्शन इसी सोच पर आधारित है ।Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-28820506970487131762007-12-26T05:04:00.000+05:302007-12-26T05:04:00.000+05:30मेरे पसंदीदा विषय पर एक शानदार पोस्ट । कल फिर इत्म...मेरे पसंदीदा विषय पर एक शानदार पोस्ट । कल फिर इत्मीनान से पढ़ूंगा। फिर टिप्पणी लिखूंगा। अभी तो पावती समझें अभय भाई।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-79824409695825229382007-12-26T00:17:00.000+05:302007-12-26T00:17:00.000+05:30चश्मा बदलते ही दुनिया भर की कहानी सुनाने लगे आप! ब...चश्मा बदलते ही दुनिया भर की कहानी सुनाने लगे आप! ब्रह्माण्ड तक हो लिये।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-29119611376074315792007-12-25T21:20:00.000+05:302007-12-25T21:20:00.000+05:30तिवारी जी। आप की आज का आलेख पढ़ कर अत्यन्त प्रसन्न...तिवारी जी। आप की आज का आलेख पढ़ कर अत्यन्त प्रसन्नता हुई। मुझे लगा जैसे सोच और रुचियों में आप मेरी या मैं आप की प्रतिच्छाया हों। हो सकता है पहले भी आपका चिट्ठा पढ़ा हो और समयाभाव में टिप्पणी नहीं कर पाया, या कर दी हो स्मरण नहीं। आप का चिट्ठा रोज पढ़ना-पढ़ाना पड़ेगा। आप का टिप्पणी संदेश अपने चिट्ठों पर लगाना चाहता हूँ, स्वीकृति दें।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-47672223765830209922007-12-25T20:39:00.000+05:302007-12-25T20:39:00.000+05:30"अगर इस मीटिरायट पर मिले अमीनो एसिड्स आदि का स्रोत..."अगर इस मीटिरायट पर मिले अमीनो एसिड्स आदि का स्रोत सचमुच पृथ्वी से बाहर है तो इस का क्या अर्थ है?"<BR/><BR/>इंतजार है इस बात का कि इन एमीनो एसिड्स का स्रोत निश्चित हो जाये!Shastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.com