tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post255657759081409343..comments2023-10-27T15:06:34.550+05:30Comments on निर्मल-आनन्द: ब्लॉग हो ब्लॉगर मिलन न हो..अभय तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-75872325900765237692007-12-17T13:31:00.000+05:302007-12-17T13:31:00.000+05:30हमहूं मिलना चाहता हूं . प्रेम-मित्रता-सद्भाव-आशनाई...हमहूं मिलना चाहता हूं . <BR/><BR/>प्रेम-मित्रता-सद्भाव-आशनाई तो छोडिये,बिना मिले तो भला-सा झगड़ा भी नहीं हो सकता .Priyankarhttps://www.blogger.com/profile/13984252244243621337noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-29940870849496593272007-12-16T21:00:00.000+05:302007-12-16T21:00:00.000+05:30भैये, हम तो मिलने-मिलाने वाली पाल्टी के आदमी हैं।भैये, हम तो मिलने-मिलाने वाली पाल्टी के आदमी हैं।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-23551277147638931142007-12-16T11:45:00.000+05:302007-12-16T11:45:00.000+05:30पानी बहता है तो पता चल जाता है कि उसकी तलहटी में क...पानी बहता है तो पता चल जाता है कि उसकी तलहटी में क्या छिपा है। ब्लॉगिंग भी क्योंकि एक प्रवाहमान माध्यम है, इसलिए यहां लोगों की असलियत फौरन सामने आ जाती है। सोचिए जो शख्स इंसानों के मिलने पर ऐतराज कर रहा है, वही खुद को मार्क्सवादी-लेनिनवादी भी कहता है। उसकी इस कथनी का सच अब सामने आ गया है।। असल में ब्लॉगिंग एक लोकतांत्रिक माध्यम है और यह लोकतंत्र-विरोधियों को चुटकी बजाते ही बेनकाब कर देता है।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-61011644624535387252007-12-16T02:14:00.000+05:302007-12-16T02:14:00.000+05:30आभासी दुनिया हो या सपनों की दुनिया हो...वास्तविक ज...आभासी दुनिया हो या सपनों की दुनिया हो...वास्तविक जीवन में मिलने का आनन्द ही अलग होता है... हम तो दिन गिन रहे थे कि कब देश जाना होगा और भारत भ्रमण के बहाने ब्लॉगरज़ दर्शन होगें........ यहाँ भी आपत्ति .... ! <BR/>हम तो सबसे मिलना चाहेंगे...मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-6900047394802631592007-12-15T23:56:00.000+05:302007-12-15T23:56:00.000+05:30हमें तो हर ब्लॉगर मिलन सुहाता है...हालाकि अभी तक क...हमें तो हर ब्लॉगर मिलन सुहाता है...हालाकि अभी तक किसी ब्लॉगर मिलन में शामिल नही हो पाई हूँ.....पर फोटू.देख कर और ब्लॉग चर्चा पढ़ कर मजा आता है...<BR/>मैं तो ब्लॉगर मिलन के फेवर में हूँ....<BR/>लेकिन न मिलनेवालों से तो दूर ही रहना चाहूँगी....क्योंकि एक हाथ से ताली बजीने में मुझे कोई रुचि नहीं...और मैं बजा भी नहीं पाऊँगी...मेरा हाथ हवा में लहराने का कोई इरादा नहीं हैं...आभाhttps://www.blogger.com/profile/04091354126938228487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-4870228798755526582007-12-15T23:52:00.000+05:302007-12-15T23:52:00.000+05:30भाई हम तो मेल मिलाप के पक्ष में हैं....फोन पर बात ...भाई हम तो मेल मिलाप के पक्ष में हैं....फोन पर बात करने और चैट पर प्यार करने से अगर काम चल पाता तो प्रेम कितना आसान हो जाता आज....कोई पूछे उन दीवानों से कि मिलने की क्या जरूरत है.....मेल से काम चला लो भाई....फोन पर सुन लो एक दूसरे को...एसएमएस पर कह लो दिल की बात....।<BR/>अगर उपर्युक्त भाई के विचारों से सहमत हुआ जाए तो सबसे पहले लेखक संघों के सम्मेलनों पर रोक लगे....फिर तमाम राजनैतिक दलों के अधिवेशनों पर फिर बारात और शादियों पर....फिर शवयात्रा पर.....फिर विरोध प्रदर्शन करनेवाले जूलूसों पर....फिर रोकने के लिए क्या बचेगा<BR/>इसलिए हम तो हर तरह के मेल मुलाकात के पक्षधर है भाई....समीर लाल से मिले हैं आलोक पुराणिक से मिलेंगे....अगर मंडल साहब मुंबई आए तो उनसे भी मिलेंगे....वे हमारा क्या कर लेंगे....हम मिलेंगे। क्योंके हम मिलने मिलाने में यकीन रखते हैं...हम ज्ञान भाई से भी मिलते....अगर वो सन्नाटा न खींच लिए होते...हम तो मनीष से न मिल पाने पर पछता रहे हैं...हम तो फुरसतिया के जन्म दिन पर केक काट कर बहुत खुश थे....<BR/>क्यों कि हम मानते हैं कि मिलने से आदमी एक दूसरे को अधिक समझ पाता है....<BR/>जो मिलने से बचता है हम उसे खोज कर मिलने में भरोसा रखते हैं....<BR/>एसे लोग अक्सर छुपे रहते हैं....और हम ऐसे लोगों को खोजते रहते हैं...क्योंकि हम मिलने में मजा पाते हैं....बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-63434953438174483272007-12-15T23:21:00.000+05:302007-12-15T23:21:00.000+05:30एक बात और है कि किसी भी चिट्ठेकार के लिये तकनीकी भ...एक बात और है कि किसी भी चिट्ठेकार के लिये तकनीकी भी ज़रूरी है,और मिल लेने से जाता क्या है,हमारा मिलन अनुभव सुखकर रहा है, और मिलने के बाद तादात्म्य और बढ़ा है,हां, मिलना ना मिलना ब्लॉगर पर निर्भर करता है,VIMAL VERMAhttps://www.blogger.com/profile/13683741615028253101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-26679155413329057022007-12-15T20:43:00.000+05:302007-12-15T20:43:00.000+05:30अरे काहे को बन्द कर दें , भाई हम तो मिलने को तैयार...अरे काहे को बन्द कर दें , भाई हम तो मिलने को तैयार हैं , चाहे कोई कैसा सोचे:) अब अभय भाई , अब आप कब मिल रहे है :)Dr Prabhat Tandonhttps://www.blogger.com/profile/14781869148419299813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-45151557621802841942007-12-15T20:12:00.000+05:302007-12-15T20:12:00.000+05:30भई शरद जोशी के एक व्यंग्य को थोड़ा सा तरमीम करके...भई शरद जोशी के एक व्यंग्य को थोड़ा सा तरमीम करके कह रहा हूं नल हो पर पानी ना हो ऐसा कैसे होगा । हम जीते जागते इंसानों ने ही ब्लॉग रचा है ना तो फिर ऐसा कैसे हो सकता है कि मिला ना जाए , अभी तक मुंबई में जितनी बार ब्लॉगर मिले हैं मजा ही आया है ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-91435755588165697662007-12-15T20:01:00.000+05:302007-12-15T20:01:00.000+05:30अभय जी हम भी इस बात से सहमत हैं कि ब्लोगरस मिलन हो...अभय जी हम भी इस बात से सहमत हैं कि ब्लोगरस मिलन होना चाहिए, जिसे न मिलने की इच्छा हो न मिले कोई दवाब तो है नहीं।Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-47945053410389590292007-12-15T15:52:00.000+05:302007-12-15T15:52:00.000+05:30बहुत खूब लिखा आपने.मैं आपसे पूर्ण रूप से सहमत हूँ....बहुत खूब लिखा आपने.<BR/>मैं आपसे पूर्ण रूप से सहमत हूँ.<BR/>"ब्लॉग तो उस साक्षात संवाद का विकल्प है "बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-61587786857206878852007-12-15T14:38:00.000+05:302007-12-15T14:38:00.000+05:30मनुष्य सामाजिक प्राणी है जहाँ रहेगा एक समाज बना कर...मनुष्य सामाजिक प्राणी है जहाँ रहेगा एक समाज बना कर एक दूसरे से जुड़ेगा.. वैचारिक तौर पर भावनात्मक तौर पर । इससे अच्छा और क्या हो सकता है ?समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-88533166662590424552007-12-15T14:33:00.000+05:302007-12-15T14:33:00.000+05:30अभय जी,मेरे विचार से किसी से मिलना व्यक्ति की बड़ी...अभय जी,<BR/>मेरे विचार से किसी से मिलना व्यक्ति की बड़ी बुनियादी भावना है. अब ये तो संयोग है कि बहुत सारे ब्लॉगर एक साथ मिल रहे हैं. जो मिल रहे हैं, अगर ब्लॉगर नहीं होते तो कुछ और होते. मिलने का जरिया कुछ और होता. लोग एक दूसरे से मिल रहे हैं, सम्बन्ध स्थापित कर रहे हैं, इससे अच्छा और क्या हो सकता है?<BR/><BR/>मैं तो ब्लॉगर मिलन का समर्थन करता हूँ. इसके लिए तो मैंने कलकत्ते के चिट्ठाकारों से एक अपील भी की है कि हमलोग एक बार मिलें.Shiv Kumar Mishrahttps://www.blogger.com/profile/16210136982521324733noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-77620456357304921942007-12-15T13:42:00.000+05:302007-12-15T13:42:00.000+05:30ब्लॉगर मिलन में मिलना या न मिलना व्यक्ति की पसन्द ...ब्लॉगर मिलन में मिलना या न मिलना व्यक्ति की पसन्द पर निर्भर करता है । यदि कुछ लोग मिलना चाहें तो यह उनकी इच्छा है , न मिलना चाहें तो भी उनकी ही इच्छा है । मुझे नहीं लगता कि इसे बन्द करने की कोई आवश्यकता है। जब चिट्ठाकार बढ़ेंगे तो शायद केवल कुछ ही लोग एक दूसरे से मिलेंगे ।<BR/><BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.com