tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post2146184649158566542..comments2023-10-27T15:06:34.550+05:30Comments on निर्मल-आनन्द: पूँजीवाद-माओवाद: कुछ नोट्स-३अभय तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-11283867676694144022010-04-20T18:19:04.364+05:302010-04-20T18:19:04.364+05:30“असल में ये उनकी समझ का दोष है जो राज्य के चरित्र ...“असल में ये उनकी समझ का दोष है जो राज्य के चरित्र और समाज के चरित्र में भेद नहीं कर पा रहीं।”<br /> <br />दरअसल ये हर उस छद्म साम्यावादी-समाजवादी की समझ का दोष है जो कभी हिन्दुओं को बख्शने के मूड़ में नहीं रहे। और तो और व्यापक हिन्दू समाज में भी अल्पसंख्य ब्राह्मण ही इनके निशाने पर रहे। इन्हें नहीं दिखता कि अपनी मातृभूमि पर आज सिर्फ तीस से पैंतीस हजार रह गए पारसी (प्रकारांतर से जोरास्ट्रीयन) भारत में फल फूल रहे हैं और एक लाख की तादाद में हैं। इनकी आबादी धीमी गति से बढ़ रही है तो सिर्फ इसलिए कि अपनी नस्ल को लेकर इनका दृष्टिकोण सनक की हद तक शुद्धतावादी है। हमलावर इस्लामी ताकतों का चरित्र सबको पता है। वे खैरात बांटते हुए यहां नहीं आए थे। इसके बावजूद यहां वे लगातार बढ़े, फले-फूले। धर्म के भरोसे बहिश्त के सुखों की चाहवालों की तुलना में वे कहीं ज्यादा बढ़े जिन्हें इस मुल्क के कानून और अमन में ज्यादा भरोसा था। गौरतलब यह भी है कि आजादी के बाद इस देश में इस्लाम खूब फलाफूला तो इसमें गलती हिन्दुओं या ब्राह्मणों की कैसे है? अगर इस्लामपरस्तों का बड़ा तबका अपने मजहब की ऐसी बढ़ती में खुद को गारत कर भी खुश है तो कोई क्या करे? अपने बाशिंदों के खुशहाल होने से कोई मजहब ज्यादा व्यापक होता है या उस तरह से जैसा इस उपमहाद्वीप में नजर आ रहा है।<br /> <br />जो आदिवासी माओवादी तौरतरीकों पर यकीन नहीं करते क्या वे आदिवासी नहीं? अरुंधती अंततः सरकारी अंधेरगर्दी का विरोध करते हुए माओवादी अंधेरगर्दी के पक्ष में खड़ी हैं।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-38311474429268044132010-04-20T18:18:12.088+05:302010-04-20T18:18:12.088+05:30"ये कैसा सवर्ण हिन्दू राज्य है जिसमें मनुस्मृ..."ये कैसा सवर्ण हिन्दू राज्य है जिसमें मनुस्मृति और चाणक्य के अर्थशास्त्र के वो विशेष अधिकारों के विपरीत, ब्राह्मण की अवमानना पर कोई विशेष अपराध नहीं बनता जबकि दलित के सम्मान की रक्षा के लिए हर सम्भव जगह बनाई जा रही है? "<br /><br />जम कर चिंतन किया है पंडित जी। ऐसी अनेक पंक्तियां कोट करता चला जाऊंगा, अगर अपनी पसंद बताने की शर्त रख दी जाए।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-30034312449971049862010-04-20T16:33:53.024+05:302010-04-20T16:33:53.024+05:30दामन !!!!दामन !!!!प्रीतीश बारहठhttps://www.blogger.com/profile/02962507623195455994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-59879929255575505272010-04-19T17:09:23.230+05:302010-04-19T17:09:23.230+05:30अभय, बहुत सही विचार रखे हैं। हम यह मान सकते हैं कि...अभय, बहुत सही विचार रखे हैं। हम यह मान सकते हैं कि आदिवासियों या किसी भी वर्ग के साथ अन्याय हुआ है या हो रहा है, किन्तु उसकी आड़ में माओवाद या किसी भी अतिवाद जिसमें लोकतान्त्रिक मूल्य न हों, जिसमें हिंसा की स्तुति की जाती हो, भय जिसके फैलने के लिए आवश्यक सामग्री हो, को सही <br />नहीं ठहराया जा सकता।<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-2767167327340980202010-04-18T12:45:28.381+05:302010-04-18T12:45:28.381+05:30बहुत ही बढ़िया लेखन शैली।
कितनी सरलता से आपने सभी ...बहुत ही बढ़िया लेखन शैली।<br /><br />कितनी सरलता से आपने सभी बातों का समावेश किया है एकदम आसान तरीके से कि हर कोई समझ सके।<br /><br />इस श्रृंखला को पढ़कर और भी कायल होता जा रहा हूं।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-11970828108974298362010-04-18T10:57:35.356+05:302010-04-18T10:57:35.356+05:30विचार उमेड़ती प्रस्तुतिविचार उमेड़ती प्रस्तुतिप्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-37420299907184704592010-04-18T07:52:13.805+05:302010-04-18T07:52:13.805+05:30सर्वहारा वर्ग के पक्ष से विकास करने वाली व्यवस्थाओ...<b>सर्वहारा वर्ग के पक्ष से विकास करने वाली व्यवस्थाओं का रेकार्ड बहुत रक्तरंजित रहा है।</b><br /><br />सही है।<br /><br />अरुंधती भी ईमानदार की तरह अड़ियल हो चुकी हैं। इसलिये इन हत्याओं की भर्त्सना नहीं कर पा रही होंगी।<br /><br />पूंजीवाद और आज के समाज पर <a href="http://hindini.com/fursatiya/archives/535" rel="nofollow">अखिलेशजी का लेख </a>याद आता है अक्सर-<b>कोई शराब मांगेगा, आइसक्रीम मांगेगा, स्त्री का शरीर मांगेगा, घूस मांगेगा, कुछ भी मांगेगा। उसे नहीं मिलेगा तो गोली मार देगा । कोई कहेगा कि उसका धर्म सर्वोच्च है, यदि सामने वाले ने स्वीकार नहीं किया तो उसे खत्म कर दिया जायेगा।</b>अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-76527407266514542992010-04-18T03:17:48.977+05:302010-04-18T03:17:48.977+05:30सटीक !सटीक !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-71588755796064984922010-04-18T01:17:19.881+05:302010-04-18T01:17:19.881+05:30वे इस देश में न्यू डेमोक्रेसी क़ायम करना चाहते हैं,...<b>वे इस देश में न्यू डेमोक्रेसी क़ायम करना चाहते हैं,</b><br />न्यू या मोडीफाइड डेमोक्रेसी, कर्रेंट डेमोक्रेसी और उसके निवासिओं का बेरहमी से क़त्ल करके नहीं आ सकती यह बात मओवादिओं और उनके पिट्ठुओं को अच्छी तरह पता न हो ऐसे नादाँ नहीं हैं वे. वे सत्ता और संसाधनों पर निरंकुश एकाधिपत्य चाहते हैं और इसके लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-84849997698541916122010-04-17T21:13:08.256+05:302010-04-17T21:13:08.256+05:30मेरी व्यक्तिगत राय में -अरुंधति के तर्क को किसी की...मेरी व्यक्तिगत राय में -अरुंधति के तर्क को किसी कीमत पर मैं सही नहीं मानता बाकी आप लिख ही रहे हैं.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-37632462040615710792010-04-17T19:44:55.968+05:302010-04-17T19:44:55.968+05:30आप ने इस विषय पर लिखने की पहल की है यही बहुत बड़ी ...आप ने इस विषय पर लिखने की पहल की है यही बहुत बड़ी बात है।आनंदhttps://www.blogger.com/profile/08860991601743144950noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-4464692993125420002010-04-17T18:14:48.932+05:302010-04-17T18:14:48.932+05:30ई इन्वेर्सिटी के पुराने धुराने नोट का फायादा उठाय...ई इन्वेर्सिटी के पुराने धुराने नोट का फायादा उठाया जा रहा है क्या अभय भाई ....मुझे कापी मिल जाय तो शून्य बटा लड्डू ....इतना लंबा कहीब्लॉग पर लिखते हैं ! परीक्षार्थी परीक्षक से कम गधा नहीं है .....Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-6834766300996290322010-04-17T14:15:09.067+05:302010-04-17T14:15:09.067+05:30आपके नोट्स पढ़कर यह समझा जा सकता है कि व्यवहारिकता...आपके नोट्स पढ़कर यह समझा जा सकता है कि व्यवहारिकता का क्या महत्व है. विषय पर आपकी समझ और पकड़ अद्भुत है.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-29221809435430053402010-04-17T13:15:04.636+05:302010-04-17T13:15:04.636+05:30यात्रा पर हूँ, बिटिया के घर पहुँचते ही उस का यंत्र...यात्रा पर हूँ, बिटिया के घर पहुँचते ही उस का यंत्र खाली मिल गया। तीसरी कड़ी पढ़ ली है। कुछ निष्कर्षों पर मतभेद है, किन्तु आलेख की दिशा सही है। पूरा पढ़े बिना कुछ भी कहना उचित नहीं है। वह उचित पद्धति भी नहीं है।<br />आप ने इस विषय पर लिखने की पहल की है यही बहुत बड़ी बात है। इस से आगे समझ को विकसित होने के मार्ग खुलेंगे।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-24532982258169298642010-04-17T09:50:14.829+05:302010-04-17T09:50:14.829+05:30बहुत ही उत्तम आलेख. आपकी गहरी समझ को दाद देते हुये...बहुत ही उत्तम आलेख. आपकी गहरी समझ को दाद देते हुये इस मुद्दे पर अपनी समझ को भी विस्तृत करने का मौका देने का शुक्रिया.C Ghttp://cg.comnoreply@blogger.com