tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post1140702468801335987..comments2023-10-27T15:06:34.550+05:30Comments on निर्मल-आनन्द: चित्त जहाँ भयमुक्त हो..अभय तिवारीhttp://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-3925720553495706822007-08-17T06:33:00.000+05:302007-08-17T06:33:00.000+05:30अभय जी आपको बधाई । अच्छी जानकारी सबके सामने लाने क...अभय जी आपको बधाई । अच्छी जानकारी सबके सामने लाने के लिए। ढाईआखर पर भाई नासिरूद्दीन ने भी गुरूदेव के पत्र को पेश कर पुण्यकार्य किया है। मगर संदेह तो बने ही रहेंगे लोगों के मन में। दरअसल इतना अर्सा गुज़र चुका है। अब इन बातों से ज्यादा कुछ फर्क नहीं पड़ता। जिन्हें गुरूदेव की चाटूकारिता प्रचारित करनी हो, वे करते रहें। शंकराचार्य ने भी अरब से केरल पहुंचे इस्लामी धर्मदूतों के सम्पर्क में आने के बाद एकेश्वरवाद का महत्व जाना और फिर उसका प्रचार किया । ऐसे अनेक तथ्य हैं जिनके बारे में लोग बहस करते रहेंगे ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-36648134163907505932007-08-17T03:22:00.000+05:302007-08-17T03:22:00.000+05:30एक तो यूँ ही आपका चिन्तन बेहतरीन था और उस पर यूनुस...एक तो यूँ ही आपका चिन्तन बेहतरीन था और उस पर यूनुस भाई की टिप्पणी-सोने पे सुहागा. बहुत बढ़िया रहा पूरा पठन.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-27230152032352827852007-08-17T01:02:00.000+05:302007-08-17T01:02:00.000+05:30-राष्ट्र अपने आप में एक शोषक अवधारणा है.-मुझे राष्...-राष्ट्र अपने आप में एक शोषक अवधारणा है.<BR/>-मुझे राष्ट्रगान जैसी किसी चीज़ पर आस्था नहीं है.<BR/><BR/>सही कहा अभय भाई.Reyaz-ul-haquehttps://www.blogger.com/profile/07203707222754599209noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-25565530324913723002007-08-16T22:54:00.000+05:302007-08-16T22:54:00.000+05:30अभयजी और युनुस खान को शुक्रिया ।अभयजी और युनुस खान को शुक्रिया ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-595122908907831772007-08-16T22:07:00.000+05:302007-08-16T22:07:00.000+05:30क्या बात है युनूस भाई.. आनन्द आ गया.. मैं मेहनत कर...क्या बात है युनूस भाई.. आनन्द आ गया.. मैं मेहनत करने से थोड़ी कोताही कर गया.. आपने कमी पूरी कर दी.. बहुत शुक्रिया..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-88040361213291022572007-08-16T22:00:00.000+05:302007-08-16T22:00:00.000+05:30अभय भाई 'चित्त जेथा भयशून्य' का हिंदी अनुवाद, शा...अभय भाई 'चित्त जेथा भयशून्य' का हिंदी अनुवाद, शायद ये शिवमंगल सिंह सुमन का है, पक्की तौर पर नहीं कह सकता । मेरे पास ये अनुवाद वर्षों पहले से पड़ा था । <BR/><BR/><BR/>जहां चित्त भय से शून्य हो <BR/>जहां हम गर्व से माथा ऊंचा करके चल सकें<BR/>जहां ज्ञान मुक्त हो <BR/>जहां दिन रात विशाल वसुधा को खंडों में विभाजित कर <BR/>छोटे और छोटे आंगन न बनाए जाते हों <BR/>जहां हर वाक्य दिल की गहराई से निकलता हो<BR/>जहां हर दिशा में कर्म के अजस्त्र सोते फूटते हों<BR/>निरंतर बिना बाधा के बहते हों <BR/>जहां मौलिक विचारों की सरिता <BR/>तुच्छ आचारों की मरू रेती में न खोती हो<BR/>जहां पुरूषार्थ सौ सौ टुकड़ों में बंटा हुआ न हो <BR/>जहां पर कर्म, भावनाएं, आनंदानुभूतियां<BR/>सभी तुम्हारे अनुगत हों<BR/>हे प्रभु हे पिता <BR/>अपने हाथों की कड़ी थपकी देकर<BR/>उसी स्वातंत्र्य स्वर्ग में <BR/>इस सोते हुए भारत को जगाओYunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-24861507824255215022007-08-16T20:51:00.000+05:302007-08-16T20:51:00.000+05:30प्रतीक से बात अधूरी रह गई.. राष्ट्रगान क्या होना च...प्रतीक से बात अधूरी रह गई.. राष्ट्रगान क्या होना चाहिये इस पर मेरी कोई राय नहीं है.. क्योंकि मुझे राष्ट्रगान जैसी किसी चीज़ पर आस्था नहीं है.. जिन्हे है उनसे मेरा कोई विरोध नहीं.. मैं यहाँ सिर्फ़ रवीन्द्रनाथ की अस्मिता की रक्षा की नन्ही कोशिश कर रहा हूँ.. मेरे लिए राष्ट्र से बड़े राष्ट्रवासी और उनकी अस्मिताएँ हैं..<BR/>अब इसका मतलब यह ना निकाला जाय कि मैं राष्ट्रद्रोही हूँ.. वितण्डावादी ऐसा आरोप लगाने की ताक में ही होंगे..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-81269693188227645252007-08-16T20:41:00.000+05:302007-08-16T20:41:00.000+05:30अभय जी स्कूल की असेम्बली में हमारे प्रिसिंपल इस कव...अभय जी स्कूल की असेम्बली में हमारे प्रिसिंपल इस कविता की एक-एक लाइन पढ़ते थे और हम सभी बच्चे इसे एक साथ दोहराते थे। आपने स्कूल के दिनों की याद दिला दी। कविता की ये पंक्तियां मुझे आज भी प्रेरित करती हैं...<BR/>Where the clear stream of reason has not lost its way into the dreary desert sand of dead habit, <BR/>Where the mind is led forward by thee into ever-widening thought and action,<BR/>Into that heaven of freedom, my Father, let my country awake.अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-82186818760262191672007-08-16T20:38:00.000+05:302007-08-16T20:38:00.000+05:30प्रिय प्रतीक..सवाल यहाँ पर जार्ज पंचम की स्तुति की...प्रिय प्रतीक..सवाल यहाँ पर जार्ज पंचम की स्तुति की था.. वरना तो राष्ट्र अपने आप में एक शोषक अवधारणा है.. कल तक लाहौर अपना था..रहने वाले हमारे अपने थे.. आज दुश्मन हैं.. क्या बकवास है..!! वसुधैव कुटुम्बकम..!! <BR/><BR/>मगर इतना आसान तो नहीं है सब.. देश हैं.. राष्ट्र हैं.. पाकिस्तान है.. आंतकवाद है.. सेना है.. कश्मीर है.. दंगे हैं.. सब ठोस सच्चाई है..इसी के बीच गिरते पड़ते जीना है..लड़ते लड़ते जीना है..<BR/><BR/>अपनी न्याय व्यवस्था तो मुझे किसी नौटंकी से कम नहीं लगती.. काल कोट पहन कर आप एक सफ़ेद विग पहने आदमी को मी लार्ड कह कर जिरह करते हैं.. ये क्या ढो रहे हैं हम लोग..? पर इसी न्याय व्यवस्था से कितने लोगों के जीवन का फ़ैसला होता है.. क्या करेंगे..?अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3447425639729337005.post-91996333097409763652007-08-16T20:26:00.000+05:302007-08-16T20:26:00.000+05:30"भारत भाग्य विधाता" यदि ईश्वर है, तो भी राष्ट्र-गा..."भारत भाग्य विधाता" यदि ईश्वर है, तो भी राष्ट्र-गान के रूप में इसका क्या औचित्य है? राष्ट्रगान गाते समय कोई परमात्मा को याद करते हुए भजन नहीं गाना चाहता, बल्कि राष्ट्र-चिंतन करना चाहता है। इसके अलावा क्या नास्तिकों को भी इससे परेशानी नहीं होगी? मेरे ख़्याल से राष्ट्रगान तो किसी ऐसे गीत को होना चाहिए जो राष्ट्र के प्रति गौरव का भाव जाग्रत कर सके, न कि ईश्वर को समर्पित किसी भजन को। इस बारे में आपकी क्या राय है?Pratik Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/02460951237076464140noreply@blogger.com